कल कुछ मित्र जुड़वां बच्चों के वारे जानकारी चाहतेथे कि एक ही मां की कोख से कुछ मिनट के अंतराल में जन्मे जुड़वां बच्चों के रंग, स्वभाव और भविष्य में कैसे अंतर आ जाता है?जुड़वां बच्चे जन्म लेते है
तो जन्म समय में सिर्फ ५ या १० मिनट का अंतर होता है यदि कुंडली देखी जाये तो दोनों के जन्म नक्षत्र, राशि, लग्न यहाँ तक कि पूरी कि पूरी कुंडली एक जैसी हुबहू होती है सिर्फ विंशोत्तरी दशा काल में कुछ अंतर रहता है कृष्णमूर्ति जी ने यह विचार किया कि जब दोनों जुड़वाँ जन्म लेने वाले जातको की कुंडलिया एक सी है फलादेश भी एक ही है जब कि वास्तविकता कुछ और ही होती है दोने के रूप रंग , स्वाभाव, व्यव्हार, शिक्षा, विवाह, नौकरी आदि में असमानताए रहती है उन्होंने गहन अध्यन किया दिन रात ज्योतिष अनुसन्धान से उन्होंने आखिरकर ये खोज लिया कि जुड़वाँ जन्म लेने वाले बच्चो में ये असमानताए क्यों होती है !यदि दो जुड़वां बच्चों का जन्म समय एक ही मान लिया जाये तो क्या एक ही कुण्डली को दो बार देखने से अलग – अलग विश्लेषण या परिणाम प्राप्त होगा | यह धारणा बिलकुल गलत है की जुड़वाँ बच्चों का जन्म समय समान होता है |इसके अनुसार किसी भाव का फल भावेश अर्थात उसका स्वामी न करके, वह ग्रह जिस नक्षत्र में स्थित हैं, उसका उपनक्षत्र स्वामी करेगा अर्थात् उस भाव का फल उपनक्षत्रेश के आधार पर होगा। जैसे-किसी की जन्मपत्री में तुला लग्न में दशमेश चंद्र, उच्च या स्वगृही है तो उसे किसी कंपनी/सरकारी नौकरी में उच्च पद पर या प्रतिष्ठित व्यवसाय में होना चाहिए। परंतु वास्तव में वह व्यक्ति फुटपाथ पर मजदूरी कर रहा था, तब ऐसे में उसकी जन्मपत्री का अध्ययन किया तो यह पाया कि उसका उपनक्षत्र स्वामी, जन्मपत्री में नीच राशि में स्थित था, अत: उसे वास्तव में निम्न स्तर का रोजगार मिला। ठीक इस प्रकार जुड़वा बच्चों या समकक्ष में के.पी. ने उपनक्षत्र स्वामी का निर्माण राशियों को 4-4 मिनट में बांटकर सारणी तैयार कर किया तथा जुड़वा बच्चों के फल कथन में इस सिद्धांत को प्रस्तुत किया तो बिल्कुल सटीक पाया गया। क्योंकि जुडवां बच्चों में 2-3 मिनट का ही अंतर रहता है या एक ही स्थान, समय में भी 2-3 मिनट का ही अंतर पाया जाता है। अत: के.पी. की उपनक्षत्रेश पद्धति इनपर बिल्कुल सही साबित हुई। गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड के अनुसार विश्व में जुड़वाँ बच्चों के जन्म समय की अवधि में सबसे कम समय का अंतर एक मिनट का दर्ज हुआ है जो कि केसेंड्रा फ्लोरेस नामक अमरीकी महिला ने सेंट जोसफ हॉस्पिटल केलिफोर्निया में 9 जुलाई 2013 को 13:39 व् 13:40 बजे जुड़वाँ बच्चों को जन्म देने पर हुआ है | इसी प्रकार एक पंद्रह वर्ष तक की गयी एक जर्मन शोध के अनुसार जुड़वाँ बच्चों के जन्म समय में औसत अवधि का अंतर 13.5 मिनट का पाया गया है जिस से साबित होता है कि ज्योतिष दृष्टिकोण से भी जुड़वाँ बच्चों का भविष्य व् जीवन एक समान नही हो सकता क्योंकि उनका जन्म समय जो ज्योतिष का आधार है, कभी एक समान नही होता |
इन सभी कारणों से चाहे वह जीवविज्ञान से सम्बन्धित हों, प्रकृति की रचना, कर्म सिद्धांत, पूर्व जन्म का परिणाम, भाग्य, हस्तरेखा या ज्योतिष विषय हो, यह निश्चित होता है कि प्रत्येक व्यक्ति का जीवन और भविष्य कभी दूसरे व्यक्ति के समान नही हो सकता चाहे वह जुड़वाँ ही क्यों न हों |इसे ऐसा भी समझ सकतेहै हमारे चारों तरफ ऊर्जाओं के क्षेत्र है, एनर्जी फील्डसस है और वह पूरे समय हमें प्रभावित कर रहे है। जैसे ही बच्चा जन्म लेता है तो वह जगत के प्रति, जगत प्रभावों के प्रति फंस जाता है। जन्मै को वैज्ञानिक भाषा में हम कहें एक्स पोजर, जैसे कि फिल्म को हम ऐक्सपोज करते है। कैमरे में, जरा सा शटर आप दबाते है एक क्षण के लिए कैमरे की खिड़की खुलती है और बंद हो जाती है। उस क्षण में जो भी कैमरे के समक्ष आ जाता है। वह फिल्मी पर अंकित हो जाता है। फिल्म ऐक्सपोज हो गई। अब दुबारा उस पर कुछ अंकित न होगा—और अब यह फिल्मज उस आकार को सदा अपने भीतर लिए रहेगी। वहींकुछ क्षण के अन्तर से यह फिर से हो तो वो होता फ्लर्ट आ जाऐगा
जिस दिन मां के पेट में पहली दफा गर्भाधान होता है तो पहला एक्सापोजर होता है। जिस दिन मां के पेट से बच्चाे बाहर आता है, जन्म लेता है, उस दिन दूसरा एक्सिपोजर होता है। और वह दोनों एक्पोिजर संवेदनशील चित पर फिल्म की भांति अंकित हो जाते है। पूरा जगत उस क्षण में बच्चा अपने भीतर अंकित कर लेता है। और उसकी एम्पेतथीज, समानुभूति निर्मित हो जाती है।हर क्षण अलग है
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