शुक्रवार, 18 मई 2018

ज्योतिष ज्योतिषी और जातक

एस्ट्रोलॉजी एक विज्ञान है यह बात सुप्रीम कोर्ट ने भी कही है। जो लोग ज्योतिष के नाम पर 'भ्रामक' प्रचार कर जनता को मूर्ख बना रहे हैं उन पर रोक लगाई जानी चाहिएआज हमें प्रत्येक चैनलों पर 'भ्रामक' बातें सुनने को मिलती हैं। जैसे शनि ग्रह को ही लें। 

एक चैनल पर दिखाए गए प्रोग्राम से प्रेरित होकर यूपी के एक छात्र ने आत्महत्या कर ली थी। ऐसी खबर समाचार पत्रों में छपी थी। मित्रोंज्योतिषशास्त्र ज्ञान की एक वृहद प्रणाली है, जिसमें नक्षत्रों और ग्रहों की स्थिति के आधार पर बहुत जटिल गणनाएं एवं उनके मध्य विद्यमान पारस्परिक संबंध तथा मानव-जीवन सहित पृथ्वी पर विभिन्न घटनाओं आदि की विशाल व्याख्याएं अंतर्भूत हैं । परन्तु आज ज्योतिषविषय के साथ यह कैसी खिलवाड़ हो रही है ऎसा लगता है कि कोई इसको देखने वाला या धनी धोरी बचा ही नहीं है पिछले कई वर्षों से हम देखते चले आ रहे हैं कि ज्योतिष विषय विशेषज्ञों की जहाँ देखो वहीं बाढ़ सी आ गई है,आज-कल टीवी पर प्रसारित कार्यक्रमों में सबसे ज्यादा ज्योतिष को तवज्जो दी जाने लगी है, जिसकी वजह से ज्योतिषी भविष्‍यवाणी के बारे में जानकरी देते है कोई भी चैनल फ्री में किसी भी कार्यक्रम को पेश नहीं करता। अतः जो लाखों रुपए खर्च कर टीवी पर अपना प्रचार करवाते हैं वे जनता ‍से ही राशि लूटकर चैनल वालों को देते हैं। हमने देखा होगा कि एक लोकप्रिय कलाकार भी लॉकेट व यंत्रो का प्रचार करके उसको खरीदने के लिए लोगों को प्रेरित करते दिखाई देते हे।टी. वी. का सायद ही कोई चैनल होगा जिस पर ज्योतिषी अपनी दुकान चलाते न मिल जायें,कई ज्योतिष एक घंटे में, कई ग्यारह घंटों में तो कई एक सौ एक प्रतिशत काम होने की ग्यारंटी देते हैं। सो ऐसे ही ज्योतिषियों ने ज्योतिष का माखौल उडा़या है जिससे आम जनता का ज्योतिष पर से विश्वास उठ गया है। इस प्राचीनतम विद्या को बदनाम किया है। ऐसे लोगों पर अवश्य ही कार्रवाई होनी चाहिए। और ऐसे भ्रामक विज्ञापनों को समाचार पत्रों को भी नहीं छापना चाहिए। कोई भी ज्योतिष भगवान नहीं होता जो ग्यारंटी दें और वह पूरी हो जाएँ। सिर्फ और सिर्फ 'भ्रामक' प्रचार फैला कर अपना उल्लू सीधा करते हैं। परन्तु जब इन तथा कथित ज्योतिषियों से कोई पत्रकार या बुद्धिजीबी व्यक्ति कोई बात सैद्दान्तिक या वैज्ञानिक तरीके से पूछने लगता है तो मुझे नहीं लगता कि कोई ज्योतिषी उनको उनकी ही भाषा में समुचित जबाब दे पाता है और जब जब इस प्रकार के मौके आये तब तब आज के ज्योतिषियों ने ज्योतिष को सर्मिन्दा ही किया, मुहतोड़ जबाब देने में अक्षम ही रहे । जिसका मुझे एक मुख्य कारण ये भी लगाकि जितने भी टी. बी. चैनल वाले लोग हैं बो कभी विषय विशेषज्ञों ( ज्योतिष विभागाध्यक्षों या जिन्होंने ज्योतिष विषय में ही महा विद्यालयों में विधिवत शिक्षा पाई हो ) को चैनलों पर नहीं लाये, चाहे कारण कोई भी रहा हो / जब देखो तब आपको अधिकांश ऎसे लोग ही टी. बी. पर ज्योतिष के बारे में चर्चा करते दिखाई देंगे जिन्होंने ज्योतिष की विधिवत शिक्षा नहीं पाई है। जो लोग इनकी ठगी के शिकार हो जाते हैं, बो फिर ज्योतिष के बारे मन चाही टिप्पड़ीं करते हैं, अब तो हद हो गई नाचने कूदने वाले लोग भी हनुमान चालीसा बेच कर लोगों के भाग्य बदलने में सक्षम हो गये हैं/ अरे भाई इन का हनुमान चालीसा  इतना प्रभाव शाली है तो खुद दो चार लाकिट पहन कर अरबपति क्यों नहीं बन जाते, सारे दिन किराये के तारीफदारों से क्यों उसकी तारीफ करबाते हवह सेवा या उत्पाद जिस का प्रचार इश्तिहारों के जरिए करना पड़े, कारोबार होता है. आजकल कथा कथितज्योतिषी अरबों रुपया अपने धंधे के प्रचारप्रसार पर फूंक रहे हैं. इस से साफ है कि वे एवज में खरबों रुपए कमा भी रहे हैं. न्यूज चैनल्स पर ज्योतिषी स्क्रीन पर बैठे लोगों को ग्रहनक्षत्रों की चाल और गणना किए विना ही  परेशानियों को दूर करने के उपाय बता रहे हैंकोई भी अखबार उठा लें ज्योतिष उस में जरूर मिलेगा. दैनिक राशिफल से ले कर वार्षिक भविष्यफल तक बताया जाता है. कहीं लोग विश्वास करने से इनकार न करने लगें, इस के लिए कुछ अखबार तो 2-3 तरह के भविष्य और राशिफल छाप रहे हैं. एक फलित ज्योतिष तो दूसरा अंक और तीसरा टेरो कार्ड वाला यानी कोई न कोई तो आप की परेशानियों के नजदीक होगा ही. ये भविष्यफल सट्टे के नंबर के सरीखे होते हैं. इन में से जो आप को माफिक बैठे, उसे मान लो.

इतने बड़े पैमाने परगलत ढ़ंग से  ज्योतिष का प्रचारप्रसार कभी नहीं हुआ था. सीधी सी बात यह है कि ठगी के इस धंधे में अब प्रतिस्पर्धा भी बढ़ रही है अब हर कोई यह काम कर पैसा कमा रहा है. दिलचस्पी की बात यह है कि ज्योतिष के धंधे में अब महिलाएं भी तेजी से टआ रही हैं. इन्हें घर में बैठी रहने वाली महिला ग्राहकों को रिझाने में सहूलियत रहती है. वैसे भी, किसी कारोबार या ठगी पर अब पुरुषों का ही एकाधिकार नहीं रह गया है.नए जमाने के ये हाईटैक ज्योतिषी ऐरेगैरे नहीं हैं. ये पूरे आत्मविश्वास से बताते हैं कि आप की परेशानी का हल क्या है. मसलन, एक चैनल पर  ज्योतिषी टेबल पर लैपटौप ले कर बैठता है. कार्यक्रम शुरू होता है तो एंकर ज्योतिषी की ब्रह्मा तक पहुंच का बखान कर एकएक कर फोन सुनती है. एक फोन करने वाली जिसे कौलर कहा जाता है, पूछती है कि पंडितजी, मेरे बेटे का जन्म 20 अगस्त, 1993 की रात9-40ट बजे हुआ है. उस का कैरियर क्या होगा? उसे किस तरह की नौकरी मिलेगी?

पंडितजी की-बोर्ड के बटन खटखटा कर कुछ ही सैकंडों में कुंडली नाम के सौफ्टवेयर की कृपा से जन्मकुंडली बना कर धीरगंभीर आवाज में बताते हैं कि आप के बेटे को नौकरी किसी सौफ्टवेयर कंपनी में मिलेगी. उस का बुध थोड़ा कमजोर है, बेटे को कहे गणेश का पूजन करें.ओर कुछ उपाय जो हम यहां नहीं बता सकते आप हमें पर्सनली फोन पर पूछ ले फोन करने वाली मां यह सुन कर धन्य हो जाती है कि बेटे की नौकरी पक्की हो गई. . दूसरे कौलर बेटी की शादी को ले कर परेशान हैं. फोन करते हैं, पंडितजी तुरंत जन्मपत्री देखते हैं और बताते हैं कि आप की बिटिया को आंशिक मंगल है, लिहाजा, शादी में मामूली अड़चन आएगी. लेकिन ये उपाय करें. शादी जल्दी  हो जाएगी. फोन करने वाला पिता गद्गद हो जाता है कि जरा सी अड़चन है क्या हम आपको यहा पर नहीं बता सकते पर्सनली बात करें

इस तरह की ढेरों शाश्वत चिंताएं और परेशानियां टैलीविजन वाले पंडित को बताई जाती हैं. वह फुरती से ग्राहकों को निबटाता जाता है. उस का यह विज्ञापनीय कार्यक्रम सालछह महीने चलता है, फिर हैरानपरेशान लोग उस ज्योतिषी के स्क्रीन पर बताए गए फोन नंबरों पर संपर्क करते हैं और हजारों रुपए फीस के दे कर अपनी कथित समस्या का कथित हल निकलवाते हैं. अगर निर्मल बाबा छाप टोटकों से ग्राहक संतुष्ट नहीं होता तो ये तांत्रिक क्रियाओं के नाम पर भी पैसे ऐंठने में चूकते नहीं.  धड़ल्ले से ज्योतिषी और उन से विज्ञापनीय कार्यक्रम का  लेने वाले चैनल्स जिन्हें शुल्कोंसमाज से या लोगों के भले से कोई सरोकार नहीं.सव पैसे लूटने मे लगे हैं सब क्या है? .

धंधा बनाए रखने और बढ़ाने के लिए अब ये कथा कथित ज्योतिषी तरहतरह के नामों से संगठन बना कर शिविर लगाते हैं और ग्राहकों को पटाते हैं. ज्योतिष शिविरों में हर तरह के लोग आते हैं. एक शिविर में यह प्रतिनिधि गया और पूरे दिन नजारा देखा तो समझ आया कि किसी का दांपत्य कलह भरा है, किसी की पत्नी या पति कहीं अफेयर में फंस गया है तो कोई बेटी के गलत लड़के से प्रेमप्रसंग को ले कर तनाव में है. बेटे के जौब के बारे में जानने के लिए भी लोगों की भीड़ उमड़ती है. कोई असाध्य बीमारी से छुटकारा पाने के लिए शिविर में आया है तो कोई दफ्तर में बौस या सहकर्मी से तंग है. ऐसी ढेरों समस्याओं पर ज्योतिषियों ने निशुल्क परामर्श दिया लेकिन पुख्ता व गारंटीशुदा समाधान के लिए विजिटिंग कार्ड दे कर अपने दफ्तर में आने को कहा.

यह शिविर कहने को ही निशुल्क होते हैं, मकसद ग्राहकों की भीड़ इकट्ठा कर, बाद में उन्हें निचोड़ने का होता है और इस में वे कामयाब भी होते हैं. ये सभी ज्योतिषी पढ़ेलिखे और अधिकांश सरकारी पद पर सम्मानजनक नौकरी कर रहे थे और कुछ रिटायरमैंट के कगार पर थे जो आने वाले वक्त में मुफ्त की मलाई जीमने का इंतजाम कर रहे थे. इन का व्यक्तित्व और वाक्पटुता देख लोग प्रभावित थे पर यह नहीं सोच पा रहे थे कि यह शुद्ध ठगी है. लैपटौप और कंप्यूटर का दुरुपयोग करते ये ज्योतिषी किसी और का भले ही भविष्य न संवार पाएं, अपना भविष्य जरूर संवार चुके थे. 8-10 टेबलों पर बैठे इन ज्योतिषियों में कोई आपसी बैर नहीं था. इन की हालत अदालत के बाहर बैठे मुंशियों और दस्तावेज लेखकों जैसी थी कि जो जिस के पास आ गया वह उस का स्थायी ग्राहक हो कर रह गया. इस में कोई शक नहीं. और वे रहेंगी भी. लेकिन पढ़ेलिखे लोग ज्यादा आत्मविश्वास की कमी के शिकार हैं. उन के दिलोदिमाग में यह बात गहरे से बैठी है ज्योतिषियों के जरिए उन की समस्याएं हल कर इसलिए हमें कोई कोशिश नहीं करनी है. जबकि हकीकत यह है कि लोग अकर्मण्य और जीवन की वास्तविकताओं से भागने वाले हैं. वे बगैर मेहनत किए पैसा चाहते है

तगड़ी मुरगी हो तो ज्योतिषी एक एलबम निकालते हैं जिस में नामीगिरामी नेता, फिल्मकार, व्यापारी, उद्योगपति, प्रोफैसर, डाक्टर, पत्रकार और दूसरे लोग इन के साथ होते हैं. इस का वाजिब असर पड़ता है और लोग यही सोचते हैं कि कुछ न कुछ तो सच इस में होगा जो अपने क्षेत्र के कामयाब लोग इन के पास आते हैं. ज्योतिषियों के संगठन और विज्ञापन. ये शक्तिवर्धक दवाइयों की तरह हैं कि एक बार आजमा कर देखने में हर्ज क्या है. ये वैसे इश्तिहार हैं जिन्हें देख लोगों को खुदबखुद ही कमजोरी का एहसास होने लगता है.

हर्ज यह है कि इस से समाज पिछड़ रहा है. लोगों की मेहनत और कोशिश का श्रेय ठगी के खाते में ई कानून ऐसा नहीं है जो इन कुकुरमुत्ते से उगते इश्तिहारी ज्योतिषियों की गिरहबान पकड़े. अगर है भी तो लोग उस का सहारा लेने की हिम्मत नहीं जुटा पाते. किसी डाक्टर की लापरवाही से मरीज मर जाए या खतरे में पड़ जाए तो उस की पिटाई कर दी जाती है, और अदालत का दरवाजा खटखटाया भी जाता है. डाक्टर चूंकि जानकार होता है इसलिए उसे चुनौती दलीलों के जरिए दी जा सकती है ज्योतिषी को नहीं क्योंकि उस की कोई जिम्मेदारी अपने कथित ज्ञान और विद्या के बाबत नहीं बनती और न ही ज्योतिष के कारोबार का कोई सबूत या वजूद होता है.ध्यान रहे ! ये ज्योतिष बो विषय है, जहाँ आज का विज्ञान फेल होता दिखाई देता है, वहाँ से ज्योतिष विषय प्रारम्भ होता है / उदाहरण स्वरूप देखें जब रोगी के बारे में चिकित्सक मौन हो जाता है, तब रोगी के घर वाले लोग रोगी के भविष्य के बारे में ज्योतिषी से सलाह लेते रहे हैं और आज भी लेते हैं / ये देश के कर्णधार नेता लोग चुनाव लड़ते हैं तोज्योतिषी से सलाह लेते हैं / बड़े बड़े कारोबारी लोग जब अपने कारोबार में अपने साइन्टिष्टों व सलाहकारों सहित फेल हो जाते हैं और कारोबार डूबने की स्थिति में आ जाता है, तब ज्योतिषियों से सलाह लेते हैं/ जब बैबाहिक जीवन में तलाक की नौवत आ जाती है या पति पत्नी में आपस में सामाजस्य नहीं बैठ पाता है, तब लोग ज्योतिषियों से सलाह लेते हैं क्यों ? जहाँ पर सैकेण्ड से भी छोटीं इकाई काम आतीं हों, जहाँ केवल सूर्योदय निकालने के लिए सायन्ठीटा और टेन ठीटा काम आते हों, जहाँ अक्षांश और देशान्तर के बिना गणित प्रारम्भ ही न हो पाता हो, जहाँ ध्वनि ( साउण्ड ) के नियमों को पूरी तरह काम में लेना पड़ता हो , जहाँ प्रकाश ( लाइट ) के नियमों का प्रयोग होता हो , जहाँ देश काल परिस्थिति को जानने के लिए भूगोल की जान कारी अति अनिवार्य हो , जहाँ जीव विज्ञान की जान कारी अनिवार्य हो ,  उस विषय को  ऎसे ब्यक्ति देख रहे हों , जिन्हों ने उपर्युक्त विषयों का कभी सिंगावलोकन भी न किया हो , जिन्हों ने हाई स्कूल भी विज्ञान  विषय ले कर उत्तीर्ण न कर पाया हो , बो लोग उस विषय के वारे में सिबाइ बेवेकूफ बनाने के और क्या करेंगे  आचार्य राजेश

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