जब किसी ज्योतिषी से आप अपनी कुंडली बनवाते हैं; तो वह सॉफ्टवेर पर डालकर आपकी कुंडली बना देता हैं
।यह तरीका सरल है ; और ज्योतिष के तमाम दशा, महादशा, अन्तर्दशा के साथ निकल आते है।परन्तु इस सॉफ्ट
वेर के द्वारा दी गयी फल गणना किसी काम की नहीं होती।चाहे वह परम्परागत ज्योतिष हो या लाल किताब में
।जिस प्रकार ऊंगलियों के निशान एक से नहीं होते, कुंडली भी एक सी नहीं होती।लग्न में ग्रहों की स्थिति एक जैसी भी हो, तो राशियों की स्थिति का अंतर होता है, वह एक जैसी हो; तो ग्रहों के उदय बल सहित 6 बलों का नात्र होता है, नक्षत्रों, वर्ण,गण आदि का अंतर होता है।फल गणना पर इनका गुणात्मक अंतर होता है।इन सबको सॉफ्टवेर से कण्ट्रोल नहीं किया जा सकता
ग्रह, राशि, नक्षत्र, इनकी दृष्टि, इनके बलाबल के अतिरिक्त कुंडली के प्रथम एवं द्वितीय पृष्ठ पर दिए गये दर्जनों प्रकार के आंकड़ों – का समावेश होता है।लाल किताब को लोग सरल समझते है; पर इसमें इतने प्रकार के चार्ट है कि उन सबकी संख्या कई दर्जन हो जाते है।बिना इन सबको मिलाये राशि, भाव और ग्रह के सहारे फल की घोषणा करने वाला ज्योतिषी झोला छाप डॉक्टरों की तरह होता है; जो कुछ पेटेंट दवाओं के सहारे अपनी दूकानदारी चलाता है।एक लाल किताब के विवरणों की विस्तार से व्याख्या करने और उनसे निकलने वाले नये तत्त्वों की व्याख्या में बड़े साइज़ के (11”x 18”) के 2100 पेज भी कम पड़ गये।इसे कोई भी व्यक्ति सरसरी नजर देखकर कैसे बता सकता है
होता यह है कि ये लोग चार्ट से दशा-महादशा – अन्तर्दशा को देखकर या कुंडली के ग्रहों की स्थिति देख कर फल एवं उपाय बता देते है।सरल काम है।कोई साधारण व्यक्ति भी कर सकता है, जो ज्योतिष का थोङा सा भी ज्ञान रखता हो
पर न तो इस फल का कोई अर्थ है, न ही उपाय का।ऐसा उपाय आपको हानि में डाल सकता है
कुंडली में कोई ग्रह खराब हो रहा हो, तो ये लोग तुरंत उस ग्रह का दान करवा देते है या पानी में बहवा देते है।कुछ तो ऐसे भी होते है कि दान भी करवा देते है और रत्न भी फना देते है।जैसे- शनि की गड़बड़ी है, तो लोहे का छल्ला पहन लो और लोहा-तेल दान करो।अब एक तरफ लेना लेना बढ़ा दो, दूसरी तरफ उसे फेंको।यह कैसा उपाय है
कभी-कभी आपके भाग्य का ग्रह ही किसी कारण वश बुरा प्रभाव देने लगता है।आजकल लालकिताब का बहुत जोर है।अपने को इस विद्या का पारंगत मानने वाले कई व्यक्तियों ने जातक से उसके भाग्य का ग्रह ही पानी में बहवा दिया।कई व्यक्ति सड़क पर आ गये।ऐसे मेरे ही नहीं; कई प्रसिद्ध ज्योतिषियों के अनुभव रहे है
जो ज्योतिषी यह नहीं जानता कि बुरा प्रभाव डालने वाले ग्रह की वस्तुएं घर में लाना या पहनना उसेक प्रभाव को और बढ़ाना है और शुभ ग्रहों या भाग्य के ग्रहों का दान देना (उच्च ग्रह उसके प्रभाव को कम करना है; वह जातक के लिए कितना हानिकारक हो सकता है, इसे समझा जा सकता है।
कोई शनि का भय दिखाता है, कोई राहु-केतु का; पर ग्रह कोई भी बुरा नहीं होता।कोई न रहे, तो हमारा जीवन ही नहीं रहेगा।कोई भी ग्रह, यदि गलत जगह, गलत राशि के साथ होता है या किसी शत्रु आदि की दृष्टि के दायरे में आता है, तो बुरा प्रभाव देने लगता है।ऊपाय कारण का किया जाता है, उस ग्रह का नहीं।यही
शनि ही नहीं, बृहस्पति और चंद्रमा जैसे शुभ ग्रह भी व्यक्ति को बर्बाद कर देते है, यदि वे गलत जगह पर हों।लोग शनि को व्यर्थ ही बदनाम करते है।उससे भयानक तो बुध होता है; जो बुद्धि भ्रष्ट करके मनुष्य को दलदल में ढकेल देता हैइस तरह ग्रहों को अच्छा-बुरा कहना केवल भय पैदा करना है।
अतः ज्योतिषी चुनने में सावधानी बरतें।सस्ते के चक्कर में या टी.वी. पर विज्ञापन देखकर फँसे, तो अपना बहुत कुछ बर्बाद कर दे सकते है आज कल तो fb पर या whats up पर गरुप मे अपनी कुंङली की फोटो ङालते है ओर कुछ ज्योतिषी जो पुरा ज्ञान नही रखते उसकी व्याख्या करने लग जाते है मित्रो ज्योतिषी को चाहिऐ की कुंङली पर पुरा समय ले सभी चार्ट देखे कुंङली पर मनन चिन्तन करे फिर फल कथन करे तो सही होगा मित्रो मुफ्त के चक्कर मे अपनी जिन्दगी से खिलवाङ मत करे जय मा काली 07597718725 09414481324
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