शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2018

गुरु का राशि परिवर्तन (वृश्चिक)मे

ज्योतिष के नौ ग्रहों के द्वारा हम सभी का जीवन संचालित होता है। हम सभी के जीवन की छोटी-बड़ी सभी घटनाओं में बदलते हुए ग्रहों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। यही कारण है

 कि किसी एक समय के दो अच्छे मित्र ग्रह, गोचर और दशा बदलने पर शत्रु बन जाते हैं। वास्तव में देखा जाए तो सभी जीवमात्र उस सर्वशक्तिमान सत्ता के हाथों की कठपुतलियां हैं, जिनमें धागों का कार्य नवग्रह कर रहे हैं। इसलिए धागों की दिशा अर्थात ग्रहों का गोचर बदलने पर जीवन स्वतः बदल जाता है। कभी एक और कभी एक से अधिक ग्रह वैसे तो प्रत्येक माह अपनी राशि बदलते ही रहते हैं, परन्तु जब एक साथ कई ग्रह राशि परिवर्तन करते हैं, तो परिणाम विशेष प्रभावशाली हो जाते हैं।गुरु (बृहस्पति) ज्योतिष के नवग्रहों में सबसे अधिक शुभ ग्रह माने जाते हैं। गुरु मुख्य रूप से आध्यात्मिकता को विकसित करने के कारक ग्रह हैं। ये तीर्थ स्थानों, मंदिरों, पवित्र नदियों तथा धार्मिक क्रिया-कलाप से जोड़ते हैं। साथ ही गुरु ग्रह अध्यापकों, ज्योतिषियों, दार्शनिकों, संतान, जीवन-साथी, धन-सम्पत्ति, शैक्षिक गुरु, बुद्धिमत्ता, शिक्षा, ज्योतिष, तर्क, शिल्पज्ञान, अच्छे गुण, श्रद्धा, त्याग, समृद्धि, धर्म, विश्वास, धार्मिक कार्यों, राजसिक और सम्मान के सूचक ग्रह भी हैंज्योतिष के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि गुरु की कृपा से कुंडली में कई दोषों का प्रभाव कम होता है। मनुष्य जीवन में इस ग्रह का बड़ा महत्व है गुरु गोचर में वृश्चिक राशि ( Scorpio Sign )मंगल की राशी जल तत्व में गुरु और मंगल दोनों मित्र ग्रह हैं।  11 अक्टूबर 2018 को प्रवेश कीया और इसी राशि में वे 5 नवम्बर 2019 तक भ्रमण करते रहेंगे। गुरु / बृहस्पति का वृश्चिक में गोचर का प्रभाव विभिन्न भावो/ घर / House पर अलग-अलग रूप में पड़ेगा। मित्रोंआपकी कुंडली के अनुसार ग्रहों की दशा क्या कहती है, क्योंकि आपकी कुंडली के अनुसार ही गोचर फल होग आपकी कुंडली में ग्रह कहां बैठा है कौन से घर में बैठा है किसके साथ में बैठा है कौन सी राशि में बैठा है कौन से नक्षत्र में बैठा है कितने अंश पर बैठा है इसके साथ जूती कर रहा है यह सब बातें देखकर ही गोचर फल बताया जाता है और मित्रों जब भी कोई ग्रह गोचर में परिवर्तन होता है तो उससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यह हमारे देश पर वातावरण पर  प्रदेश का हमारे शहर का संयुक्त रूप से क्या प्रभाव पड़ेगा मित्रों सबसे पहले हम वृश्चिक राशि की ही बात करेंगे क्योंकि गुरु वृश्चिक राशि में आया है वृश्चिक राशि यानी बिच्छू बिच्छू का स्वभाव उन्ही को समझ मे आता है जो बिच्छू से आमने सामने दो दो हाथ किये होते है। बिच्छू एक धरती का जीव है जो अपने विषैले डंक के साथ जमीन के नीचे निवास करता है,उसकी उपस्थिति गर्मियों के दिनो में ही देखने को मिलती है और दिन के समय अन्धेरे स्थानों में छुपे रहना तथा रात्रि के समय जहां कीट पतंगो और मच्छरों का जमाव होता है वहां से अपने आहार को प्राप्त करने की कोशिश में लगे रहना होता है। अपने पीछे पूंछ की आकार में सुई से भी महीन डंक को प्रयोग में लाता है जैसे इंजेक्सन से दवाई को शरीर में प्रवेश करवाया गया होता है उसी तरह से बिच्छू अपने जहर को खतरे के समय और अपनी रक्षा के लिये प्राणियॊं शरीर में प्रवेश करवाकर भाग लेता है,जिससे जिस प्राणी के अन्दर इसका जहर गया होता है वह तडपने लगता है और कमजोर होता है तो मर भी जाता है,बलवान होता है तो पूरे चौबीस घंटे के बाद इसके जहर से मुक्ति मिलती है। शमशानी जीव भी इसे कहा जाता है क्योंकि यह आबादी से बाहर बाले क्षेत्र में जंगलों में पर्वतों पर और चिकनी मिट्टी वाले क्षेत्रों में मिलता है। इसका रंग काला और पीला भी होता है,सबसे खतरनाक काला बिच्छू होता है। वृश्चिक राशि के जातक भी इसी स्वभाव के होते है,उनके द्वारा की जाने वाली बात ह्रदय के अन्दर अपना पूरा असर देती है,इस राशि वाले लोग जिससे भी एक बार अपने को मिलालेते है वे हमेशा उसे अपनी कोई न कोई पहिचान दे देते है,और उस पहिचान से लोग इस राशि वाले जातक को याद रखते है। कर्क और मीन राशि से अपनी शक्ति को इकट्ठी करने के कारण इनके पास मोक्ष देने के उपाय भी होते है और भावना से अपनी पहिचान बनाने और ह्रदय के अन्दर उतरने की हिम्मत भी रखते है। दवाइयों को कई रूप में प्रयोग किया जाता है,कई दवाइयां बहुत कडवी होती है और कई दवाइयां बहुत मीठी होती है,जहर चाहे मीठा हो या कडवा कहलाया जहर ही जायेगा। भावनाओं का दरिया जब इस राशि वाले बहाने के लिये तैयार होते है तो किसी को भी अपनी भावना का प्रभाव देकर उसे अपनी तरफ़ आकर्षित कर लेते है उस समय इनके मन में कतई बैर भाव वाली बात नही होती है,इनके भावनात्मक प्रभाव को प्रदान करने वाली बुद्धि बहुत ही अजीब मानी जाती है,कारण इनकी बुद्धि की मालिक ही मीन राशि होती है और जब भी अपने को प्रदर्शित करने की कोशिश करते है तो लगता है कि यह पूरी तरह से अपने में संतुष्ट है लेकिन इनके नवें भाव में जो इकट्ठा होता है वह कर्क राशि का प्रभाव होता है,इस प्रभाव को जब यह दूसरों पर उडेलते है तो लगता है इनके पास समुद्र इकट्ठा है,लेकिन कर्क राशि के पीछे इस राशि के अष्टम की राशि मिथुन होने से और मिथुन राशि के मृत प्रभाव को जब कर्क राशि में इकट्ठा किया जाता है उसी को यह अपने लिये बडे रूप में प्रदर्शित करते है। इनकी बातों में कभी कभी बहुत ही रूखापन भी मिलता है। यह अपने अन्दर शक्ति रखते है वह शक्ति मृत शरीर में भी जान डाल देने के लिये काफ़ी मानी जाती है भौतिकता में आने के बाद यह बडी से बडी मशीनरी को अपने प्रयास से ठीक करने की इन्जीनियरिंग वाली हैसियत भी रखते है तो अस्पताली कार्यों के अन्दर दक्षता लेकर यह मरने वाले को भी अपनी शक्ति से जिसे तकनीकी शक्ति भी कहा जा सकता है जिन्दा रखने की औकात रखते है। यह अपने प्रभाव को साधारण आदमी के अन्दर अगर किसी तरह से प्रवेश करवा देते है तो वह आदमी इनसे मिले बिना भी नही रह सकता है और इनके पास भी नही रह सकता है।गुरु इस राशि मे लग्न में है और पंचम और नवम दृष्टि से प्रभावी दे रहा है गुरु की दृष्टि अमृत के समान काम भी करती है पंचम में मीन राशियह मोक्ष की भी राशि कहलाती है जैसे कर्क राशि को जन्म स्थान के नाम से जाना जाता है तो वृश्चिक राशि को मौत के स्थान से भी माना जाता है मीन राशि को आसमानी निवास भी बताया जाता है। जिसे रूह का निवास स्थान भी कहाजाता है। इस राशि के लग्न में में इस राशि के आने से इस गुरु पिछले समय से चले आ रहे धन और परिवार के सुखों से पूर्ण करने के लिये अपना असर देना शुरु करेगा,इस राशि वालों के पास जो संतान की कमी थी उसके लिये यह गुरु अपने पूरे असर के साथ अपना असर देगा और नि:संतान लोगों को अपने अस्पताली कारणों से अपने प्रभाव देकर भूण प्रत्यारोपड आदि तरीके से संतान सुलभ करवाने की कोशिश करेगा,इसके अलावा जिन लोगों के बारहवें भाव का चन्द्रमा था वे भी इस राशि के प्रभाव से अपने को लाभान्वित कर सकते है। जो लोग जल्दी से धन कमाने के साधनों के बारे में नही समझते थे उनके लिये यह गुरु कैसे और किन साधनों से धन को जल्दी कमाया जा सकता है का कारण पैदा करेगा,जो लोग पिछले समय में अपनी कविता या भावना से अपने को संसार के सामने प्रस्तुत करते रहे है उनके सामने किसी बाहरी व्यक्ति की दखलंदाजी से प्यार मोहब्बत वाली बात भी पनपेगी और वे अपने को इस साल में प्यार की जीत का साल मानने से भी दूर नही रहेंगे,इस साल के वेलेंटाइन डे पर वृश्चिक राशि वालों के द्वारा ही सबसे अधिक सन्देश देखने को मिलेंगे। मंगल की नकारात्मक राशि होने के कारण और भूत प्रेत पिशाच की शक्ति को जानने के कारण तथा अपने पूर्वजों के अन्दर अधिक विश्वास करने के कारण इस राशि के रहन सहन में भी बदलाव देखने को मिलेगा,यह गुरु धनी लोगों की संगति भी दिलवायेगा,धन के प्रति साझेदारी के मौके भी आयेंगे,वृष राशि वाले इस राशि के इस प्रकार के प्रभाव में जल्दी आयेंगे। वृश्चिक राशि के गुरु का की दृष्टि पंचम प्रभाव नवे भाव में जाने से और कर्क राशि की उपस्थिति होने से इन्हे जनता से सम्बन्धित मकान जायदाद और अपनी भावनाओं की लडाई में वाहन वाले कारणों से पानी वाले कारणों से न्याय के लिये भी जाना पड सकता है,साथ ही इनके लिये घूमने और मौज मस्ती के लिये पानी के किनारे वाले स्थान भी रास आ सकते है,हवाई यात्रायें करवाने के लिये और घूमने के मामले में जो लोग अपनी सेवायें प्रदान करते है उनके लिये भी इस गुरु का प्रभाव बहुत ही प्रभावी रहेगा।जो मित्र कर्जा दुश्मनी बीमारी और शरीर की तकलीफ़ों से जूझ रहे है वे इस राशि की बुद्धि का सहारा लेकर अपने में राहत महसूस करेंगे, बारहवें भाव में तुला राशि के होने से जो भी फ़ैसला इनके द्वारा बाहरी सामजस्य बैठाने के लिये किया जायेगा उसके अन्दर केवल त्याग की भावना ही समझ में आयेगी इनके द्वारा जो भी फ़ैसला बाहरी आफ़तों के लिये दिया जायेगा वह केवल त्याग के प्रति ही माना जा सकता है। इन्हे बाहरी कार्यों से ब्रोकर वाला कार्य करने के बाद भी धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होने के कारण बनेंगे,जो लोग अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को बाहरी क्षेत्रों में स्थापित करने के लिये अपने प्रयास कर रहे है उनके प्रयासों भी सफ़लतायें सामने आयेंगी। वृश्चिक राशि के बुद्धि वाले भाव में गुरु की Drishti दृष्टि होने के कारण जो विद्यार्थी पहले से अपने को किसी भी विषय में कमजोर मानते आये है उनके लिये यह गुरु सुनहरा अवसर प्रदान कर रहा है वे अगर अपनी बुद्धि को जरा सा भी समय देकर फ़ैलाने की कोशिश करते है और अपने अन्दर पैदा होने वाले विपरीत लिंगी के प्रति आकर्षण में कमी कर लेते है तो उन्हे उच्च सफ़लता में जाने से कोई रोक नही सकता है। इस राशि के पंचम में गुरु गुरु की दृष्टि पढ़ने का एक प्रभाव और भी सामने आता है वह होता है उनके अन्दर जो पहले से भावनात्मक मित्र जुडे होते है उनसे परित्याग की भावना इस गुरु के द्वारा पैदा होती है,जो लोग पहले से किसी जनता से जुडी कमन्युटी से अपने को बांधे बैठे है वे अपने कार्यों की अधिकता से अब अधिक वक्त इस प्रकार की कमन्युटी के प्रति नही पायेंगे। मित्रों बाकी आपकी कुंडली के द्वारा फल  आचार्य राजेश

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