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मित्रों मुझे बहुत दुख होता है जब मैं देखता हूं बड़े बड़े अच्छे नाम वाले ज्योतिषी सदियों से लोगों को गुमराह कर रहे हैं राशिफल के नाम पर और भी जाने क्या-क्या और अब मैं देख रहा हूं कि 15 अगस्त भारतदेश की कुंडली की बात हो रही है जो हर साल होती है तो उसको लेकर मेरे क्या विचार हैं आइए जानते हैंभारतवर्ष की कुंडली का विश्लेषण समय-समय पर ज्योतिषीगण करते ही रहते हैं। आज मैं इस मुद्दे पर अपना मत प्रकट कर रहा हूं- जड़ वस्तु का ज्योतिषीय विश्लेषण नहीं-
मित्रों मुझे बहुत दुख होता है जब मैं देखता हूं बड़े बड़े अच्छे नाम वाले ज्योतिषी सदियों से लोगों को गुमराह कर रहे हैं राशिफल के नाम पर और भी जाने क्या-क्या और अब मैं देख रहा हूं कि 15 अगस्त भारतदेश की कुंडली की बात हो रही है जो हर साल होती है तो उसको लेकर मेरे क्या विचार हैं आइए जानते हैंभारतवर्ष की कुंडली का विश्लेषण समय-समय पर ज्योतिषीगण करते ही रहते हैं। आज मैं इस मुद्दे पर अपना मत प्रकट कर रहा हूं- जड़ वस्तु का ज्योतिषीय विश्लेषण नहीं-
मेरा मानना है कि किसी भी जड़ वस्तु का ज्योतिषीय विश्लेषण नहीं हो सकता फ़िर चाहे वह देश हो, खेत-खलिहान हो या मकान इत्यादि। उनके ज्योतिषीय विश्लेषण के लिए वह जिस व्यक्ति के आधिपत्य में है उसकी जन्मपत्रिका का विश्लेषण किया जाना चाहिए ना कि उस वस्तु का, जैसे यदि किसी राज्य का विश्लेषण करना हो तो वह उसके राजा की जन्मपत्रिका के आधार पर किया जाएगा
भारत की प्रचलित कुंडली गलत है-
यदि हम यह मान भी लें कि भारतवर्ष की कुंडली के आधार पर भारत के भविष्य के संबंध में कुछ भविष्यवाणियां की जा सकती हैं तो उसके लिए भारत की प्रामाणिक जन्मपत्रिका का होना आवश्यक है। अभी तक तथाकथित ज्योतिषीगण जिस जन्मपत्रिका को भारत की जन्मपत्रिका बताकर उसका विश्लेषण करते हैं वह जन्मपत्रिका सर्वथा असत्य व गलत है। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं कि जन्मपत्रिका के निर्माण के लिए जातक के जन्म की सही दिनांक, समय व स्थान की आवश्यकता होती है। भारत के संबंध में यह तीनों ही अप्राप्त हैं अब आप शायद मेरी बातों का विश्वास ना करें क्योंकि आप कहेंगे भारत का जन्म तो 15 अगस्त सन 1947 को रात्रि 12:00 बजे हुआ था। भारतवर्ष की बताई जाने वाली जन्मपत्रिका भी इसी समय व दिनांक के आधार पर बनी हुई होती है लेकिन यह पूर्णत: गलत है क्योंकि जन्म तो 'पाकिस्तान' का हुआ था ना कि भारत का, भारत का तो विभाजन हुआ था। विभाजन के आधार पर यदि भारत का जन्म माने तो भारत का विभाजन तो इससे पूर्व भी कई बार हो चुका था। अत: भारत के जन्म अर्थात निर्माण के सम्बन्ध में कोई दिनांक व समय प्राप्त ही नहीं है तो फ़िर जन्मपत्रिका का निर्माण कैसे हो?
एक समान कुंडली-नोट यहां में जड़ वस्तु की वात कर रहा हु
14 एवं 15 अगस्त को रात्रि 12:00 बजे को आधार मानकर निर्माण की जाने वाली कुंडलियों में चन्द्र को छोड़कर सभी ग्रहों की समानता है क्योंकि ग्रह परिवर्तन सामान्यत: कम से कम 1 माह में ही होता है। अत: जब कुंडली एक ही समान हैं तो फ़लित विलग-विलग कैसे संभव है? इसका निर्णय आप स्वयं कीजे विभाजन के आधार पर समय अलग नहीं हो सकता-कुछ विद्वानों ने 13 रात का समय लिया तो कुछ विद्वानों ने 14 सुवह का पाकिस्तान का लिया है
हम यदि भारत के विभाजन को भी जन्मपत्रिका निर्माण का आधार मानें जो कि सर्वथा गलत है तो भी विभाजन का समय अलग-अलग नहीं हो सकता। जिस दिन पाकिस्तान का निर्माण किया गया ठीक उसी समय वर्तमान भारत भी अस्तित्व में आ गया फ़िर दोनों देशों का निर्माण समय अलग-अलग कैसे हुआ? स्वतन्त्रता या परतन्त्रता ज्योतिष का आधार नहीं हो सकती।
अत: उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर यह स्पष्ट हो जाता है कि भारतवर्ष की कुंडली बनाकर उसका फ़लित व भविष्य विश्लेषण सम्बन्धी बातें करना नितांत असत्य व भ्रामक हैं।कल वात करते हैं कि भारत का नाम भारत कैसे पड़ा। मित्रों भारतवर्ष का नामकरण कैसे हुआ इस संबंध में मतभेद हैं। भारतवर्ष में तीन भरत हुए एक भगवान ऋषभदेव के पुत्र, दूसरे राजा दशरथ के और तीसरे दुश्यंत- शकुंतला के पुत्र भरत।
भारत-1 : भारत नाम की उत्पति का संबंध प्राचीन भारत के चक्रवर्ती सम्राट राजा मनु के वंशज भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत से है। श्रीमद् भागवत एवं जैन ग्रंथों में उनके जीवन एवं अन्य जन्मों का वर्णन आता है।
ऋषभदेव स्वयंभू मनु से पांचवीं पीढ़ी में इस क्रम में हुए- स्वयंभू मनु, प्रियव्रत, अग्नीघ्र, नाभि और फिर ऋषभ। राजा और ऋषि ऋषभनाथ के दो पुत्र थे- भरत और बाहुबली।
बाहुबली को वैराग्य प्राप्त हुआ तो ऋषभ ने भरत को चक्रवर्ती सम्राट बनाया।
भारत-2 : राम के छोटे भाई भरत राजा दशरथ के दूसरे पुत्र थे। उनकी माता कैकयी थी। उनके अन्य भाई थे लक्ष्मण और शत्रुघ्न। परंपरा के अनुसार राम को गद्दी पर विराजमान होना था लेकिन उन्हें 14 वर्ष का वनवास मिला। इस दौरान भरत ने राजगद्दी संभाली और उन्होंने राज्य का विस्तार किया। कहते हैं उन्हीं के कारण इस देश का नाम भारत पड़ा।
भरत-3 : पुरुवंश के राजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत की गणना 'महाभारत' में वर्णित सोलह सर्वश्रेष्ठ राजाओं में होती है। कालिदास कृत महान संस्कृत ग्रंथ 'अभिज्ञान शाकुंतलम' के एक वृत्तांत अनुसार राजा दुष्यंत और उनकी पत्नी शकुंतला के पुत्र भरत के नाम से भारतवर्ष का नामकरण हुआ।
मरुद्गणों की कृपा से ही भरत को भारद्वाज नामक पुत्र मिला। भारतद्वाज महान ऋषि थे। चक्रवर्ती राजा भरत के चरित का उल्लेख महाभारत के आदिपर्व में भी है।
हालांकि ज्यादातर विद्वान मानते हैं कि ऋषभनाथ के प्रतापी पुत्र भरत के नाम पर ही भारत का नामकरण हुआ। आचार्य राजेश
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