आचार्य राजेश (ज्योतिष,वास्तु , रत्न , तंत्र, और यन्त्र विशेषज्ञ ) जन्म कुंडली के द्वारा , विद्या, कारोबार, विवाह, संतान सुख, विदेश-यात्रा, लाभ-हानि, गृह-क्लेश , गुप्त- शत्रु , कर्ज से मुक्ति, सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक ,पारिवारिक विषयों पर वैदिक व लाल किताबकिताब के उपाय ओर और महाकाली के आशीर्वाद से प्राप्त करें07597718725-०9414481324 नोट रत्नों का हमारा wholesale का कारोबार है असली और लैव टैस्ट रत्न भी मंगवा सकते है
बुधवार, 31 मई 2017
आओ ज्योतिष सीखे ग्रुप से ज्योतिष शास्त्र एक बहुत ही वृहद ज्ञान है। इसे सीखना आसान नहीं है। ज्योतिष शास्त्र को सीखने से पहले इस शास्त्र को समझना आवश्यक है। सामान्य भाषा में कहें तो ज्योतिष माने वह विद्या या शास्त्र जिसके द्वारा आकाश स्थित ग्रहों, नक्षत्रों आदि की गति, परिमाप, दूरी इत्यादि का निश्चय किया जाता है। हमें यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि ज्योतिष भाग्य या किस्मत बताने का कोई खेल-तमाशा नहीं है। यह विशुद्ध रूप से एक विज्ञान है। ज्योतिष शास्त्र वेद का अंग है। ज्योतिष शब्द की उत्पत्ति 'द्युत दीप्तों' धातु से हुई है। इसका अर्थ, अग्नि, प्रकाश व नक्षत्र होता है। शब्द कल्पद्रुम के अनुसार ज्योतिर्मय सूर्यादि ग्रहों की गति, ग्रहण इत्यादि को लेकर लिखे गए वेदांग शास्त्र का नाम ही ज्योतिष है। छः प्रकार के वेदांगों में ज्योतिष मयूर की शिखा व नाग की मणि के समान सर्वोपरी महत्व को धारण करते हुए मूर्धन्य स्थान को प्राप्त होता है। सायणाचार्य ने ऋग्वेद भाष्य भूमिका में लिखा है कि ज्योतिष का मुख्य प्रयोजन अनुष्ठेय यज्ञ के उचित काल का संशोधन करना है। यदि ज्योतिष न हो तो मुहूर्त, तिथि, नक्षत्र, ऋतु, अयन आदि सब विषय उलट-पुलट हो जाएँ। ज्योतिष शास्त्र के द्वारा मनुष्य आकाशीय-चमत्कारों से परिचित होता है। फलतः वह जनसाधारण को सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्र-सूर्य ग्रहण, ग्रहों की स्थिति, ग्रहों की युति, ग्रह युद्ध, चन्द्र श्रृगान्नति, ऋतु परिवर्तन, अयन एवं मौसम के बारे में सही-सही व महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है। इसलिए ज्योतिष विद्या का बड़ा महत्व है् : अगर आप भी मुझसे वैदिक ज्योतिष सीखना चाहते हैं वह WhatsApp पर मैंने ग्रुप बनाए हैं जिसमें ज्योतिष ज्योतिष की पूरी जानकारी और अच्छी तरह से आपको फ़लादेश करना सिखाया जाएगा अगर आप ज्योतिष सीखना चाहते हैं मुझे ग्रुप ज्वाइन कर सकते हैं और इसमें आपको फीस2100 देकर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा यह हमारे बैंक अकाउंट में जमा होगी Rajeshkumar pnb bank ac no 0684000100192346 ifc punb 0068400 hanumangarh townbranch 07597718725 [29/05 7:55 am] Acharya Rajesh kumar: किसी के जन्मांग चक्र या जन्मकुंडली को देखने से हमें जातक के बारे में बहुत जानकारियां मिल जाती है , ये रही एक व्यक्ति की जन्मकुंडली ... जन्मुकंडली में सबसे ऊपर मौजूद अंक हमें जातक के लग्न की जानकारी देता है , इस कुंडली में 5 अंक सिंह राशि का सूचक है , इसलिए जन्म लग्न सिंह हुआ , इसका अर्थ यह है कि जातक का जन्म उस वक्त हुआ , जब आसमान में 120 डिग्री से 150 डिग्री का उदय हो रहा था , जो भचक्र की पांचवी राशि है। चंद्रमा 9 अंक में मौजूद है , इसलिए चंद्रराशि धनु हुई। सूर्य 1 अंक में मौजूद है , इसलिए सूर्य राशि मेष हुई। सूर्य 1 अंक में है , इसका अर्थ यह भी है कि जातक का जन्म 15 अप्रैल से 15 मई के मध्य हुआ है। लग्न से चौथे खाने में मौजूद सूर्य से हमें यह जानकारी मिल रही है कि जातक का जन्म रात 10 के वाद हुआे हुआ होगा। सूर्य से पहले चंद्र की स्थिति होने से हमें जानकारी मिल रही है कि जातक का जन्म कृष्ण पक्ष में हुआ है। सूर्य से चार खाने चंद्रमा की स्थिति से मालूम हो रहा है कि जातक का जनम षष्ठी के आसपास का है। मान लो अभी शनि कन्या राशि में यानि 6 अंक में चल रहा है , जबकि जन्मकुंडली में 12 अंक में शनि है। इसका अर्थ यह है कि शनि ने अपना आधा या डेढ या ढाई या साढे तीन चक्र पूरा किया है। इस हिसाब से जातक का जन्म लगभग 15 वर्ष या 45 वर्ष या 75 वर्ष पहले हुआ होगा। मान लो अभी बृहस्पति मीन राशि में यानि 12 अंक में चल रहा है , जबकि जन्मकुंडली में बृहस्पति 4 अंक में है। इसका अर्थ यह है कि जातक का जन्म लगभग 8 या 20 या 32 या 44 या 56 या 68 या 80 वर्ष पहले हुआ है। शनि और बृहस्पति दोनो की संभावना 44 के आसपास बनती है , इस हिसाब से जातक की उम्र 44 के आसपास होने का पता चल जाता है। इसी प्रकार बिना पंचांग के ही अन्य जन्मकुंडली से भी जातक के बारे में ये दसों जानकारियां प्राप्त की जा् सकती है
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