शुक्रवार, 5 मई 2017

मां काली ज्योतिष की आज की पोस्ट ज्योतिष तो अपने आप में पूर्णतः सही गणना है, परन्तु भविष्य वक्‍ता की गणना सही है या गलत यह इस बात पर निर्भर करता है कि जो व्यक्‍ति गणना कर रहा है, उसके पास ज्योतिष का कितना ज्ञान है, जिस प्रकार एक प्रशिक्षित डॉक्टर या वैद्य किसी बीमारी को डा‌इग्नोस करने में पहले उसके लक्षण व स्वभाव को समझता है फिर उसका इलाज करता है । हालांकि यह और बात है कि आज के मशीनी युग में हम मशीनी परीक्षण पर निर्भर हैं, लेकिन दोनों ही स्थितियों में डॉक्टर व वैद्य का ज्ञान और परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर ही मरीज़ को सही इलाज मिलना सम्भव है । थोड़ी सी लापरवाही या अल्पज्ञान मरीज़ के लिये घातक सिद्ध हो सकता है ठीक उसी प्रकार ज्योतिष में ग्रहों के स्वभाव, भाव और राशि तथा आपसी ग्रहों के संबंधों के आधार पर भविष्य कथन होता है जो पूर्णतः सही होता है । परन्तु यदि ज्योतिष शास्त्री अगर ग्रहों की स्थिति व भावगत स्वभाव को समझने में थोड़ी सी भी भूल कर देते हैं तो उनका कथन गलत हो जाता है । ज्योतिष शास्त्र जीवन का आ‌ईना दिखाने के साथ - साथ जीवन का मार्गदर्शन भी करता है । व्यक्‍ति का जीवन किस दिशा में निर्धारित है और उसे को किस दिशा में प्रयास करना चाहि‌ए । जैसे कि ज्योतिष में पहले से निर्धारित है कि अमुक समस्या का समय अमुक तारीख से अमुक तारीख तक रहेगा, उसके लि‌ए व्यक्‍ति मानसिक तौर पर तैयार हो जाता है और उस समय धैर्य नहीं खोता है । अगर समस्या का समय पता न हो तो व्यक्‍ति धैर्य खो देता है । अतः समस्या का कारण पता होने से सकारात्मक दिशा में सुधार हेतु प्रयास भी काफी हद तक व्यक्‍ति को समस्या‌ओं से निजात दिलाने में सार्थक होते हैं । जहाँ तक नौकरी की बात है तो बच्चे के जन्म के समय से ही पता लग जाता है कि वह नौकरी करेगा या व्यवसाय तो उस दिशा में उसके स्वभाव के अनुरूप दिशा देना उसके कैरियर में काफी महत्वपूर्ण साबित होता है । ठीक उसी प्रकार से बीमारी की जहां तक बात है तो ज्योतिष द्वारा यह आंकलन होता है कि कौन सी बीमारी कब और शरीर के किस हिस्से में होगी उसके अनुरूप ज्योतिष द्वारा कौन से उपाय करने चाहि‌ए यह तय करना आसान हो जाता है । जैसे की अगर किसी को पाचन की समस्या हो रही है तो कुण्डली में यह पता चल जाता है कि उसे यह समस्या मंदाग्नि या जठराग्नि के कारण है । मंदाग्नि, जठराग्नि पित्तज प्रवृति के ग्रहों की प्रबलता या निर्बलता पर निर्भर करते हैं । ऐसी स्थिति में उन ग्रहों को सन्तुलित करने का उपाय स्वास्थ्य के लि‌ए कारगर साबित हो सकता है ।इसमें कहीं को‌ई दो राय नहीं कि मनुष्य का भाग्य और पुरूषार्थ दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। परन्तु यह भी सच है कि भाग्य से मनुष्य जो पाता है उसे कायम रखने के लि‌ए उसे प्रयास करने होते हैं लेकिन जो भाग्य में नहीं है उसे कर्मयोगी व्यक्‍ति पुरूषार्थ से हासिल कर लेते हैं। जीवन के अनेक पहलु‌ओं को प्रभावित करने वाला ज्योतिष शास्त्र हमारी समस्या‌ओं के हल तो अवश्य देता है परन्तु ज्योतिष विद्या भी कर्म पर बल देती है । इसलि‌ए यदि हम स्वयं पर भरोसा रखेंगे तो भ्रम और भ्रान्तियों के मकड़जाल में भी कम फसेंगे ।किसी भी व्यक्‍ति की कुण्डली का अध्ययन भी ज्योतिषीय गणना‌ओं के आधार पर ही किया जाता है । आज बदलते दौर के साथ हम जितना आधुनिक होते जा रहे हैं उतना ही ज़्यादा हम भविष्य को जानने के लि‌ऐ भी आतुर रहने लगे हैं । शायद यही वजह है कि आज ज्योतिष विद्या को अनेक भ्रान्तियों ने आ घेरा है जिस कारण समाज में अन्धविश्‍वास भी बढ़ने लग है अब सवाल यह है कि सही ज्योतिषी और गलत ज्योतिषी मैं फर्क कैसे जाने क्या जो ज्योतिषी अपनी फीस लेकर आपको कुंडली देखकर पसंद करते हैं वह गलत है या फ्री अभी देखकर बताते हैं पूजा पाठ के नाम से आपको ब्रोकर आपसे पैसे लेते्हैं। मुफ्त में कोई कुछ नहीं देता मित्रों अतः ऐसे लोगो से दूर रहे उसके बाद दूसरे ज्योतिषियों में से आप चुनाव करें,आचार्य राजेश

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