सोमवार, 21 अगस्त 2017

,जेल मुकद्दमा ओर ज्योतिष


आचार्य राजेश
जेल मुकद्दमा ओर ज्योतिष
By acharyarajesh21/08/2017 No Comments
आचार्य राजेश (ज्योतिष,वास्तु , रत्न , तंत्र, और यन्त्र विशेषज्ञ ) जन्म कुंडली के द्वारा , विद्या, कारोबार, विवाह, संतान सुख, विदेश-यात्रा, लाभ-हानि, गृह-क्लेश , गुप्त- शत्रु , कर्ज से मुक्ति, सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक ,पारिवारिक विषयों पर वैदिक व लाल किताबकिताब के उपाय ओर और महाकाली के आशीर्वाद से प्राप्त करें

कानून दो प्रकार के होते है एक तो प्रकृति का कानून जिसे प्रकृति खुद बनाती बिगाडती है दूसरा इंसानी कानून जो इंसान खुद के बचाव और रक्षा के लिये बनाता है। प्रकृति का कानून सर्वोपरि है। प्रकृति को जो दंड देना है या बचाव करना वह स्वयं अपना निर्णय लेती है। अंत गति सो मति कहावत के अनुसार जीव उन कार्यों के लिये अपनी बुद्धि को बनाता चला जाता है जो उसे अंत समय मे खुद के अनुसार प्राप्त हों। कानून के अनुसार भी जीव को तीन तरह की सजाये दी जाती है पहली सजा मानसिक होती है जो व्यक्ति खुद के अन्दर ही अन्दर रहकर सोचता रहता है और वह अपने शरीर मन और दैनिक जीवन को बरबाद करता रहता है दूसरी सजा शारीरिक होती है जो प्रकृति के अनुसार गल्ती करने पर मिलती है और उस गल्ती की एवज मे अपंग हो जाना पागल हो जाना भ्रम मे आकर अपने सभी व्यक्तिगत कारको का त्याग कर देना और तीसरी सजा होती है जो हर किसी को नही मिलती है वह शारीरिक मानसिक और कार्य रूप से बन्धन मे डाल देना,इसे आज की भाषा मे जेल होना भी कहा जाता है। बन्धन योग के लिये एक बात और भी कही जाती है कि व्यक्ति अगर खुद को एक स्थान मे पैक कर लेता है या कोई सामाजिक पारिवारिक कारण सामने होता है वह अपनी इज्जत मान मर्यादा या लोगो की नजरो से बचाव के लिये अपना खुद का रास्ता एकान्त मे चुनता है तो वह भी स्वबन्धन योग की सीमा मे आजाता है किसी भी व्यक्ति के जीवन में कई बार दुखद स्थिति का सामना करना पड़ता है एवं पुलिसिया के जेल जाना कारावास और इस तरह के योग बनते हैं. इंद्रियों के पीछे ग्रहों का खेल होता है. शनि मंगल एवं राहु इन ग्रहों के बुरे योग एवं दृष्टि कारावास को इंगित करती है. लग्न कुंडली में छठे आठवें एवं बारहवें भाव वह उनके स्वामी ग्रह कारावास के लिए जिम्मेवार होते हयदि कोई शुभ ग्रहों की उपस्थिति या दृष्टि दशम भाव पर नव हो एवं शनि मंगल राहु शनि राहु मंगल का योग दशम स्थान पर होने से व्यक्ति को अपराध एवं और समाजिक कार्यों में लिप्त करता है कुंडली अथवा प्रश्न कुंडली में छठे स्थान एवं आठवें स्थान का स्वामी एवं राहु का बारहवे स्थान या 12 वे स्थान के स्वामी के साथ संबंध रहने पर व्यक्ति को जेल की सजा होती है.
दुष्प्रभावों अर्थात छठे आठवें एवं 12वें में शनि राहु एवं मंगल के अलावा केतु के साथ एवं शनि केतु का संबंध होने पर लंबी सजा होती है राहु ग्रह के 12 वे घर में होने या दृष्टि होने से एवं बारहवे घर के स्वामी के कमजोर होने से कारावास या बंधन योग बनता है बृहद जातक एवं जातक तत्व के अनुसार अगर लग्न स्वामी और छठे घर का स्वामी साथ में हो एवं शनि केंद्र या त्रिकोण में हो तो व्यक्ति को कैद की सजा होती है. कुंडली का षष्टम भाव व्यक्ति की आंतरिक क्षमता और निर्बलता को बताता है. मंगल इस भाव का नैसर्गिक कारक है. जब यह आंतरिक शक्ति प्रकृति की विघटनकारी और दुखद स्थितियों का सामना नहीं कर पाती तो व्यक्ति शत्रुओं और कानूनी दिक्कतों का शिकार हो जाता है. कब और कैसे वह इन शत्रुओं और कानूनी समस्याओं से मुक्ति पायेगा इसे षष्टम भाव और उसपर पड़ने वाले दूसरे ग्रहों के प्रभाव द्वारा जाना जाता है. अष्टम भाव का अध्ययन भी इस समस्या में किया जाता है. इस विषय में कौन से उपाय उसे राहत देंगे इसका विश्लेषण होता है. कृष्णमूर्ति पद्धति के अनुसार दूसरे तीसरे 8 वीं एवं 12 वे का उपनक्षत्र स्वामी एवं दूसरे तीसरे 8 वीं एवं 12 वे भाव का कार्य हो तो व्यक्ति को जीवन में कारावास की सजा होती है. दिल मिलना यदि छठे ग्यारहवें भाव का उपनक्षत्र स्वामी छठे और ग्यारहवें भाव का कार्य किया उसके स्वामी से जुड़ा हो तथा दशा एवं अंतर्दशा छठे एवं ग्यारहवें भाव में से किसी रूप में जुड़ा हो तो

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