शनिवार, 27 जनवरी 2018

पेट रोग ओर ज्योतिष मे उपाय

मित्रों आज एक कुंडली पर चर्चा करते हैयदि जातक बचपन से रोगी हो जाये, तो यह उसके पूर्व जन्म का ही
फल होता हैं मनुष्य बुरे कर्म जानकर या अनजाने में करता है "बोया प्रैड़ बबूल का आम कहौं से खाये ।" फिर उसका नया ज़न्म होता है संसार मे जन्म लेकर आते ही रोग उसे दबोच लेते हैं l ऐसो ही यह कहानी है I लग्न में मंगल स्थित है । मंगल अष्टमेश है । खरबूजा चाकू पर गिरे श चाकू खरबूजे पर, कटता खरबूजा ही है । यहां चाकू (अष्टमेश) लग्न ने हैं; वक्री शनि, जो पंचमेश है, वह पंचम भाव, जो पेट का होता है, उसमे रोग होने का संकेत करता है i केतु 4-25 की दूष्टि सूर्य 3-50, बुध  व शुक्र 3-52 धर है राहु क्री दृष्टि पंचमेश शनि तथा चन्द्रमा पर है t नवांश में केतु सूर्य व शुक्र के साथ हैं राहु चन्द्र तथा बुध के साथ है  इस कारण इसका बचपन से पेट ख्याल रहता  राहु की विशेष कृपा कै कारण हमेशा पेट की पीड़ा कै क्या उससे प्तम्बन्धित दवायें खानी पडती हैं I इस प्रकार गत 10 वर्षो से पेट की पीडा जाने का नाम ही नहीं ले रही  सभी  औषधियों के सेवन से
तंग आकर इसका परिवार ंमिला  तब उन्हें ये उपाय  वता दिया गया
200 पूडियां तथा आलू की सब्जी प्रति सप्ताह गरीबो क्रो दान करें । ओर 2 किलो सूजी का हलवा प्रति सप्ताह बांटे। 3.100 मौसमी प्रति सप्ताह दान करे ।  कुछ और  उपाय करवाये
इसके अतिरिक्त भोजन में उन्हें पपीता खाने का परामर्श दिया गया
साथ ही हवन यज विशेष ओषघ युक्त  सामग्री से  करने के लिए कहा गया  जैसे ही पूर्व जन्म के ऋण क्री वापसी हो गई यह वच्चा बिना औषधि के दो मास मेँ स्वस्थ हो गया

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