नशे की लत आज समाज को अंदर ही अंदर खोखला कर रही हैं। नशे रूपी दानव दिन प्रतिदिन विकराल होता जा रहा हैं। आज छोटे छोटे बच्चों से लेकर बडे बुजुर्ग तक नशे के शिकार बन चुके हैं। समाज में व्यापत अनेक अपराध नशे के कारण ही पनप रहे हैं। नशे का सबसे भयंकर रूप तब देखने को मिलता हैं जब किसी को इसकी लत पड जाती हैं। वह लाख प्रयत्न करने के बाद भी इस समस्या से बहार नही आ पाता।ज्योतिष शास्त्र कि सहायता द्वारा यह जाना जा सकता हैं, कि कौन व्यक्ति नशा कर सकता हैं, कौन नही और साथ ही यह भी जाना जा सकता हैं कि व्यक्ति किस प्रकार का नशा करेगा। ग्रहों की जिन परिस्थितियों के कारण व्यक्ति नशे का अभ्यस्त होता है सभी जानते हैं कि नशा खराब है..??? इससे शरीर, मन, धन, परिवार सब कुछ दाँव पर लग जाता है, मगर फिर भी लोग विशेषकर युवा बुरी तरह से इसकी गिरफ्त में आ जाते हैं। आज हर दूसरा युवा किसी न किसी नशे को अपनाता है। प्रारंभ में शौक में किया गया नशा बाद में लत बनता जाता है और सारा करियर तक चौपट कर सकता है।यह सच है कि नशे का आदी बनने में वातावरण का भी हाथ होता है,ज्योतिष में राहु को नशे के रूप में माना जाता है। जब राहु की छाया चन्द्रमा पर पडती है तो मानसिक चिन्ता का रूप शुरु हो जाता है,मंगल के साथ राहु का रूप होने से खून के अन्दर मंगल की स्थिति के अनुसार कम या अधिक दबाब अधिक चिन्ताओं के कारण बन जाता है। बुध के साथ राहु की युति होने के कारण व्यक्ति का दिमाग असीम गणनाओं की तरफ़ चला जाता है,गुरु के साथ राहु की स्थिति होने के कारण हवा के अन्दर ही विषाक्त कणों का जाना शुरु हो जाता है और जातक के अन्दर कई तरह की वायु वाली बीमारियां होने से बेकार की चिन्तायें ही अपना घर बना लेती है,शुक्र के साथ राहु का आना खतरनाक माना जाता है,इस युति के कारण जातक का दिमाग किसी भी प्रकार से किसी भी उम्र में अनैतिक सम्बन्धों की तरफ़ चला जाता है,अक्सर इसी प्रकार के किस्से प्रेम करने और प्यार करने तथा प्यार भरी कहानी बनाने के लिये माना जाता है। अक्सर कोई सही ग्रह अगर राहु शुक्र की तरफ़ अपना इशारा कर लेता है तो यह नशा बडी बडी इमारते बनाने और चमक दमक की तरफ़ मन को ले जाने के लिये भी माना जाता है। स्त्री की कुंडली में अगर राहु मंगल का योग है तो वह किसी न किसी प्रकार से अपने को प्रेम सम्बन्धों की तरफ़ खींच कर ले ही जाता है वह सम्बन्ध जरूरी नही है कि गलत ही हो,अक्सर इस युति से बने सम्बन्ध कभी कभी खतरनाक भी हो जाते है और उन सम्बन्धो के कारण कई गृहस्थियां टूटी भी है और कितने ही लोगों ने अपने जीवन को इस युति के कारण बरबाद भी किया है,राजपूत कुल के लिये अक्सर मंगल राहु की युति को पूर्ण रूप से देखा जाता है,खून का नशा मानकर और किसी भी समस्या में जुझारू वृत्ति होने के कारण मंगल राहु की युति को समझना बहुत ही टेढी खीर मानी जाती है,कब किसके प्रति दुश्मनी बना कर किस प्रकार से अपने दाव का बदला लिया जाये यह समझना मुश्किल हो जाता है। अक्सर इस युति के कारण लोगों के द्वारा गांव शहर और देश तक उजडते देखे गये है।खून का नशा जब भी किसी पर हावी होता है तो वह अपनी चाल को दूसरे के प्रति बदले की नीयत से सामने लाने की कोशिश करता है,राजपूती खून के अन्दर यह नशा होने के कारण ही इस जाति को जुझारू जाति कहा जाता है,अक्सर शराब और तामसी कारणों को खून के अन्दर लगातार मिक्स करते रहने से भी खून के अन्दर जुझारू कारण पैदा होने लगते है,जैसे किसी नशेलची से अगर तकरार कर ली जाये और उसे भूल जाने की कोशिश की जाय तो यह असम्भव ही माना जा सकता है,इसका कारण है कि नशे को करने वाला व्यक्ति जब भी नशा उस पर हावी होगा उसकी अतीन्द्रिय अपना काम करना शुरु कर देती है और उसे जन्मों की बातें याद आने लगती है,जैसे ही उसे याद आता है कि अमुक ने उसके साथ अन्याय किया था वह अपनी जुझारू वृति को अपनाने केलिये प्रयास करना शुरु कर देता है,यही नशाखोरी के अन्दर किये जाने वाले अपराधों की श्रेणी में आजाता है। कारण साधारण आदमी तो अपनी बातो को भूल जाता है लेकिन नशे को करने वाला व्यक्ति उस बात को भूलता नही है जैसे ही साधारण आदमी किसी कारण से अपने रास्ते को भूला या नशा करने वाले के फ़न्दे में आया वह नशा करने वाले व्यक्ति का शिकार हो जाता है।राहु की द्रिष्टि कभी भी एक स्थान पर नही होती है वह अपने स्थान के अलावा तीसरे भाव पन्चम भाव सप्तम भाव और नवे भाव को देखता है। इसी प्रकार से मंगल के साथ बैठने वाला राहु मंगल की द्रिष्टि का भी अनुसरण करता है,जैसे मंगल अपने स्थान पर अपने स्थान से चौथे स्थान पर अपने स्थान से सप्तम स्थान पर और अपने स्थान से अष्टम स्थान को कन्ट्रोल करने की कोशिश करता है,इन दोनो की युति के कारण जब भी कोई शरारत मंगल और राहु की युति वाला व्यक्ति करता है तो वह अपनी तीसरे चौथे पांचवे सातवें आठवे और नवे भाव को आहत करता ही है। सबसे पहले वह अपनी आदतों के अनुसार अपने को नशेलची घोषित करता है यह उसके तीसरे भाव का कारण है और वह अपने जनता के बीच में ले जाता है सार्वजनिक स्थान में ले जाता है यह चौथे भाव का कारण बनता है उसके बाद पंचम भाव में ले जाने पर वह किसी से भी अपनी दोस्ती करने की कोशिश करता है,अपने आपको राजा समझता है यह पंचम भाव की बात होती है जो भी उसे समझाने की कोशिश करता है या बात करने की कोशिश करता है वह उसकी नजर में केवल दुश्मन ही समझ में आता है और जो भी वह कहता है लगने वाली बात के अनुसार ही कहता है इसलिये अच्छे लोग नशा करने वाले से बचते है,सबसे बडी बात जब मंगल और राहु की सम्मिलित द्रिष्टि आठवें भाव पर पडती है तो उसे अपमान करने कोई भी जोखिम लेने और किसी भी तरह से मौत को कारित करने में देर नही लगती है,उस समय उसका खून बह रहा हो या सामने वाले का उसे कोई दर्द नही महसूस होता है। यह केवल राहु की सीमा में रहने तक ही सीमित होता है जैसे ही चन्द्रमा का असर या मगल के डिग्री का असर समाप्त होता हैया किसी प्रकार का राहु विरोधी उपाय किया जाता है जातक अपने ही मूड में आजाता है और अपने पहले जैसे स्वभाव को प्रदर्शित करने लगता है।
आचार्य राजेश (ज्योतिष,वास्तु , रत्न , तंत्र, और यन्त्र विशेषज्ञ ) जन्म कुंडली के द्वारा , विद्या, कारोबार, विवाह, संतान सुख, विदेश-यात्रा, लाभ-हानि, गृह-क्लेश , गुप्त- शत्रु , कर्ज से मुक्ति, सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक ,पारिवारिक विषयों पर वैदिक व लाल किताबकिताब के उपाय ओर और महाकाली के आशीर्वाद से प्राप्त करें07597718725-०9414481324 नोट रत्नों का हमारा wholesale का कारोबार है असली और लैव टैस्ट रत्न भी मंगवा सकते है
गुरुवार, 24 मई 2018
नशा और राहु
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