शनिवार, 15 सितंबर 2018

भद्र योग

भद्र योग (Bhadra yog) बुद्धि के कारक बुध इस योग का निर्माण उस समय करते हैं जब वे स्वराशि जो कि मिथुन एवं कन्या हैं के होकर केंद्र भाव यानि प्रथम, चतुर्थ, सप्तम अथवा दशम स्थान में बैठे हों तो भद्र महापुरुष योग का निर्माण करते हैं।यह योग जातक को बुद्धिमान तो बनाता ही

 साथ ही इनकी संप्रेषण कला भी कमाल की होती है। रचनात्मक कार्यों में इनकी रूचि अधिक होते हैं ये अच्छे वक्ता, लेखक आदि हो सकते हैं। इनके व्यवहार में ही भद्रता झलकती है जिससे सबको अपना मुरीद बनाने का मादा रखते हैं। बातों में उनके सामने कोई भी नहीं ठहर सकता। ऐसे जातक आंकडो से सम्बधित कार्य, बैंक, चार्टेड अकाउंट, क्‍लर्क, अध्ययन कार्यों से सम्बंधित तथा विदेश सम्बंधी कार्य करते हैं। भद्र योग वाला व्यक्ति बहुत व्यवहार कुशल होता है और किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित करने में माहिर होते है। आज के समय में ऐसे लोग बड़े मित्र वर्ग वाले और सबसे सतत संपर्क में रहने वाले होते है। आधुनिक युग में देखें तो इन्‍हें दूर संचार के संसाधनों का बहुत शौक होता है।Bill Gates के horoscope में ये योग है जिसने उन्हें IT के क्षेत्र का दिग्गज बनाया, इसके अलावा Lalbahadur Shastri और Dr Rajendra Prasad भी इसी योग के जन्मे महापुरुष है लाल बहादुरभद्र योग (Bhadra yog) बुद्धि के कारक बुध इस योग का निर्माण उस समय करते हैं जब वे स्वराशि जो कि मिथुन एवं कन्या हैं के होकर केंद्र भाव यानि प्रथम, चतुर्थ, सप्तम अथवा दशम स्थान में बैठे हों तो भद्र महापुरुष योग का निर्माण करते हैं।यह योग जातक को बुद्धिमान तो बनाता ही साथ ही इनकी संप्रेषण कला भी कमाल की होती है। रचनात्मक कार्यों में इनकी रूचि अधिक होते हैं ये अच्छे वक्ता, लेखक आदि हो सकते हैं। इनके व्यवहार में ही भद्रता झलकती है जिससे सबको अपना मुरीद बनाने का मादा रखते हैं। बातों में उनके सामने कोई भी नहीं ठहर सकता। ऐसे जातक आंकडो से सम्बधित कार्य, बैंक, चार्टेड अकाउंट, क्‍लर्क, अध्ययन कार्यों से सम्बंधित तथा विदेश सम्बंधी कार्य करते हैं। भद्र योग वाला व्यक्ति बहुत व्यवहार कुशल होता है और किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित करने में माहिर होते है। आज के समय में ऐसे लोग बड़े मित्र वर्ग वाले और सबसे सतत संपर्क में रहने वाले होते है। आधुनिक युग में देखें तो इन्‍हें दूर संचार के संसाधनों का बहुत शौक होता है।Bill Gates के horoscope में ये योग है जिसने उन्हें IT के क्षेत्र का दिग्गज बनाया, इसके अलावा Lalbahadur Shastri और Dr Rajendra Prasad भी इसी योग के जन्मे महापुरुष है।भद्र योग के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक अपनी आयु की तुलना में युवा दिखाई देते हैं । इस योग का प्रबल प्रभाव जातक को लंबी आयु भी प्रदान करता है । भद्र योग के विशेष प्रभाव में आने वाले कुछ जातक सफल राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ तथा खिलाड़ी भी बनते हैं मित्रों, भद्र योग का यदि ध्यानपूर्वक अध्ययन करें तो यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है, कि लगभग हर 16वीं कुंडली में भद्र योग का निर्माण होता ही है  भद्र योग वैदिक ज्योतिष में वर्णित एक अति शुभ तथा दुर्लभ योग है इसके द्वारा प्रदान किए जाने वाले शुभ फल प्रत्येक 16वें व्यक्ति में देखने को नहीं मिलते । जिसके कारण यह कहा जा सकता है, कि केवल बुध की कुण्डली के किसी घर तथा किसी राशि विशेष के आधार पर ही इस योग के निर्माण का निर्णय नहीं किया जा सकता है अपितु मेरे विचार से किसी भी अन्य शुभ योगों कि तरह ही भद्र योग के निर्माण के लिए भी यह आवश्यक है, कि कुडली में बुध शुभ हों । क्योंकि कुण्डली में बुध के अशुभ होने से बुध के उपर बताए गए विशेष घरों तथा राशियों में स्थित होने पर भी भद्र योग का शुभ फल लगभग नहीं मिलेगा अपितु इस स्थिति में बुध कुंडली में किसी गंभीर दोष का निर्माण कर सकते हैं । उदाहरण के लिए किसी कुंडली के सातवें घर में मिथुन राशि में स्थित अशुभ बुध भद्र योग नहीं बनाएंगे बल्कि ऐसी कुंडली में अशुभ बुध की स्थिति के कारण कई दोष बन सकता है । जिसके कारण जातक के वैवाहिक जीवन तथा व्यवसायिक क्षेत्र में समस्याएं उत्पन्न हो सकतीं हैं इस लिए किसी कुंडली में भद्र योग के लिए बुध का कुंडली में शुभ होना अति आवश्यक है । कुंडली में बुध के शुभ होने के पश्चात यह भी देखना चाहिए कि कुंडली में बुध को कौन से शुभ अथवा अशुभ ग्रह प्रभावित कर रहे हैं क्योंकि किसी कुंडली में शुभ बुध पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव बुध द्वारा बनाए जाने वाले भद्र योग के शुभ फलों को कम कर सकता है । किसी कुंडली में शुभ बुध पर दो या दो से अधिक अशुभ ग्रहों का प्रबल प्रभाव कुंडली में बनने वाले भद्र योग को प्रभावहीन भी बना सकता है इसके विपरीत किसी कुण्डली में शुभ बुध पर शुभ ग्रहों का प्रभाव कुण्डली में बनने वाले भद्र योग के शुभ फलों को और भी बढ़ाता है । परिणामतः जातक को प्राप्त होने वाले शुभ फलों में बहुत वृद्धि हो जाती है इसके अतिरिक्त कुंडली में बनने वाले अन्य शुभ-अशुभ योगों अथवा दोषों का भी भली भांति अध्ययन करना चाहिए । क्योंकि कुंडली में बनने वाले पित्र दोष, मांगलिक दोष तथा काल सर्प दोष जैसे दोष भद्र योग के प्रभाव को कम कर सकते हैं जबकि कुंडली में बनने वाले अन्य शुभ योग इस योग के प्रभाव को और अधिक बढ़ा सकते हैं । इसलिए किसी कुंडली में भद्र योग के निर्माण तथा इसके शुभ फलों का निर्णय करने से पहले इस योग के निर्माण तथा फलादेश से संबंधित सभी नियमों का उचित रूप से अध्ययन कर लेना चाहिए कुंडली के लग्न में बनने वाला भद्र योग जातक को स्वास्थय, व्यवासायिक सफलता, ऐश्वर्य तथा ख्याति आदि जैसे शुभ फल प्रदान करता है ।।

कुंडली के चौथे घर में बनने वाला भद्र योग जातक को संपत्ति, वैवाहिक सुख, वाहन, घर, विदेश भ्रमण तथा वयवसायिक सफलता जैसे शुभ फल प्रदान करता है ।।कुण्डली के सातवें घर का भद्र योग जातक को वैवाहिकसुख,व्यवसायिक सफलता तथा प्रतिष्ठा और प्रभुत्व वाला कोई पद प्रदान करता है ।।दसवें घर का भद्र योग जातक को उसके व्यवसायिक क्षेत्र में बहुत अच्छे परिणाम देता है । इस योग के प्रभाव में आने वाले जातक किसी सरकारी अथवा निजी संस्था में लाभ, प्रभुत्व तथा प्रतिष्ठा वाला पद प्राप्त कर सकते हैं भद्र योग के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक अपनी आयु की तुलना में युवा दिखाई देते हैं । इस योग का प्रबल प्रभाव जातक को लंबी आयु भी प्रदान करता है । भद्र योग के विशेष प्रभाव में आने वाले कुछ जातक सफल राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ तथा खिलाड़ी भी बनते हैं मित्रों, भद्र योग का यदि ध्यानपूर्वक अध्ययन करें तो यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है, कि लगभग हर 16वीं कुंडली में भद्र योग का निर्माण होता ही है  भद्र योग वैदिक ज्योतिष में वर्णित एक अति शुभ तथा दुर्लभ योग है इसके द्वारा प्रदान किए जाने वाले शुभ फल प्रत्येक 16वें व्यक्ति में देखने को नहीं मिलते । जिसके कारण यह कहा जा सकता है, कि केवल बुध की कुण्डली के किसी घर तथा किसी राशि विशेष के आधार पर ही इस योग के निर्माण का निर्णय नहीं किया जा सकता है अपितु मेरे विचार से किसी भी अन्य शुभ योगों कि तरह ही भद्र योग के निर्माण के लिए भी यह आवश्यक है, कि कुडली में बुध शुभ हों । क्योंकि कुण्डली में बुध के अशुभ होने से बुध के उपर बताए गए विशेष घरों तथा राशियों में स्थित होने पर भी भद्र योग का शुभ फल लगभग नहीं मिलेगा अपितु इस स्थिति में बुध कुंडली में किसी गंभीर दोष का निर्माण कर सकते हैं । उदाहरण के लिए किसी कुंडली के सातवें घर में मिथुन राशि में स्थित अशुभ बुध भद्र योग नहीं बनाएंगे बल्कि ऐसी कुंडली में अशुभ बुध की स्थिति के कारण कई दोष बन सकता है । जिसके कारण जातक के वैवाहिक जीवन तथा व्यवसायिक क्षेत्र में समस्याएं उत्पन्न हो सकतीं हैं इस लिए किसी कुंडली में भद्र योग के लिए बुध का कुंडली में शुभ होना अति आवश्यक है । कुंडली में बुध के शुभ होने के पश्चात यह भी देखना चाहिए कि कुंडली में बुध को कौन से शुभ अथवा अशुभ ग्रह प्रभावित कर रहे हैं क्योंकि किसी कुंडली में शुभ बुध पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव बुध द्वारा बनाए जाने वाले भद्र योग के शुभ फलों को कम कर सकता है । किसी कुंडली में शुभ बुध पर दो या दो से अधिक अशुभ ग्रहों का प्रबल प्रभाव कुंडली में बनने वाले भद्र योग को प्रभावहीन भी बना सकता है इसके विपरीत किसी कुण्डली में शुभ बुध पर शुभ ग्रहों का प्रभाव कुण्डली में बनने वाले भद्र योग के शुभ फलों को और भी बढ़ाता है । परिणामतः जातक को प्राप्त होने वाले शुभ फलों में बहुत वृद्धि हो जाती है इसके अतिरिक्त कुंडली में बनने वाले अन्य शुभ-अशुभ योगों अथवा दोषों का भी भली भांति अध्ययन करना चाहिए । क्योंकि कुंडली में बनने वाले पित्र दोष, मांगलिक दोष तथा काल सर्प दोष जैसे दोष भद्र योग के प्रभाव को कम कर सकते हैं जबकि कुंडली में बनने वाले अन्य शुभ योग इस योग के प्रभाव को और अधिक बढ़ा सकते हैं । इसलिए किसी कुंडली में भद्र योग के निर्माण तथा इसके शुभ फलों का निर्णय करने से पहले इस योग के निर्माण तथा फलादेश से संबंधित सभी नियमों का उचित रूप से अध्ययन कर लेना चाहिए कुंडली के लग्न में बनने वाला भद्र योग जातक को स्वास्थय, व्यवासायिक सफलता, ऐश्वर्य तथा ख्याति आदि जैसे शुभ फल प्रदान करता है 

कुंडली के चौथे घर में बनने वाला भद्र योग जातक को संपत्ति, वैवाहिक सुख, वाहन, घर, विदेश भ्रमण तथा वयवसायिक सफलता जैसे शुभ फल प्रदान करता है ।।कुण्डली के सातवें घर का भद्र योग जातक को वैवाहिक सुख,व्यवसायिक सफलता तथा प्रतिष्ठा और प्रभुत्व वाला कोई पद प्रदान करता है दसवें घर का भद्र योग जातक को उसके व्यवसायिक क्षेत्र में बहुत अच्छे परिणाम देता है । इस योग के प्रभाव में आने वाले जातक किसी सरकारी अथवा निजी संस्था में लाभ, प्रभुत्व तथा प्रतिष्ठा वाला पद प्राप्त कर सकते हैं आचार्य राजेश

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