रूचक योग
रूचक योग वैदिक ज्योतिष में वर्णित एक अति , शुभ तथा दुर्लभ योग हैमंगल अपनी उच्च राशि, मूल त्रिकोण अथवा स्वराशि में होने पर रूचक (Ruchak Yoga) योग का निर्माण करता है.ज्योतिषशास्त्र में पंच महापुरूष नामक योग के अन्तर्गत इस योग का उल्लेख किया गया है.
आपकी कुण्डली में यह योग है और आपको इसका क्या फल मिल रहा है. तथा इसके द्वारा प्रदान किए जाने वाले शुभ फल यह कहा जा सकता है कि केवल मंगल की कुंडली के किसी घर तथा किसी राशि विशेष के आधार पर ही इस योग के निर्माण का निर्णय नहीं किया जा सकता तथा किसी कुंडली में रूचक योग के निर्माण के कुछ अन्य नियम भी होने चाहिएं। किसी भी अन्य शुभ योग के निर्माण के भांति ही रूचक योग के निर्माण के लिए भी यह अति आवश्यक है कि कुंडली में मंगल शुभ हों क्योंकि कुंडली में मंगल के अशुभ होने से मंगल के उपर बताए गए विशेष घरों तथा राशियों में स्थित होने पर भी रूचक योग नहीं बनेगा अपितु इस स्थिति में मंगल कुंडली में किसी गंभीर दोष का निर्माण कर सकते हैं। कुंडली के जिन चार घरों में शुभ मंगल के किसी राशि विशेष में स्थित होने से रूचक योग बनता है, उनमें से तीन घरों 1, 4 तथा 7 में अशुभ मंगल के स्थित होने से मांगलिक दोष भी बन सकता है जो अपनी स्थिति के आधार पर जातक को विभिन्न प्रकार के अशुभ फल दे सकता है। यहां पर यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि मेंष, वृश्चिक अथवा मकर में स्थित होने से मंगल को अतिरिक्त बल प्राप्त होता है तथा इस स्थिति में इतने बलशाली मंगल के अशुभ होने के कारण बनने वाला मांगलिक दोष भी सामान्यतया बहुत बलशाली होता है जिसके कारण इस प्रकार के बलवान मांगलिक दोष के प्रभाव में आने वाले जातक को अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में बहुत हानि उठानी पड़ सकती है।
इस प्रकार किसी कुंडली में रूचक योग बनने अथवा मांगलिक दोष बनने के बीच का अंतर मुख्यतया कुंडली में मंगल का शुभ अथवा अशुभ होना ही होता है जिसके कारण रूचक योग बनाने के लिए मंगल का कुंडली में शुभ होना अति आवश्यक है क्योंकि अशुभ मंगल कुंडली में रूचक योग के स्थान पर मांगलिक दोष बना सकता है। कुंडली में मंगल के शुभ होने के पश्चात यह भी देखना चाहिए कि कुंडली में मंगल को कौन से शुभ अथवा अशुभ ग्रह प्रभावित कर रहे हैं क्योंकि किसी कुंडली में शुभ मंगल पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव मंगल द्वारा बनाए जाने वाले रूचक योग के शुभ फलों को कम कर सकता है तथा किसी कुंडली में शुभ मंगल पर दो या दो से अधिक अशुभ ग्रहों का प्रबल प्रभाव कुंडली में बनने वाले रूचक योग को प्रभावहीन भी बना सकता है। इसके विपरीत किसी कुंडली में शुभ मंगल पर शुभ ग्रहों का प्रभाव कुंडली में बनने वाले रूचक योग के शुभ फलों को और भी बढ़ा सकता है जिससे जातक को प्राप्त होने वाले शुभ फलों में बहुत वृद्धि हो जाएगी।
इसके अतिरिक्त कुंडली में बनने वाले अन्य शुभ अशुभ योगों अथवा दोषों का भी भली भांति अध्ययन करना चाहिए क्योंकि कुंडली में बनने वाले पित्र दोष, मांगलिक दोष तथा काल सर्प दोष जैसे दोष रूचक योग के प्रभाव को कम कर सकते हैं जबकि कुंडली में बनने वाले अन्य शुभ योग इस योग के प्रभाव को और अधिक बढ़ा सकते हैं। इसलिए किसी कुंडली में रूचक योग के निर्माण तथा इसके शुभ फलों का निर्णय करने से पहले इस योग के निर्माण तथा फलादेश से संबंधित सभी नियमों का उचित रूप से अध्ययन कर लेना चाहिए।मोदी के जन्म के समय लग्न का स्वामी मंगल लग्न में ही था। यदि स्वराशि का मंगल केंद्र में हो तो पंचमहापुरुष योग में से एक रूचक योग बनता है। रूचक योग के बारे में कहा जाता है कि यह योग जिस जातक की पत्रिका में होता है, वह जातक साहसी, पराक्रमी, दृढ़ निश्चय वाला, प्रबल रूप से शत्रुहंता होता है। कुंडली के पहले घर में बनने वाला रूचक योग जातक को शारीरिक बल, स्वास्थय, पराक्रम, व्यवासायिक सफलता, सुखी वैवाहिक जीवन आदि जैसे शुभ फल प्रदान कर सकता है। कुंडली के चौथे घर में बनने वाला रूचक योग जातक को संपत्ति, वैवाहिक सुख, वाहन, घर तथा वयवसायिक सफलता जैसे शुभ फल प्रदान कर सकता है। सातवें घर का रूचक योग जातक को वैवाहिक सुख, व्यवसायिक सफलता तथा प्रतिष्ठा और प्रभुत्व वाला कोई पद प्रदान कर सकता है। दसवें घर का रूचक योग जातक को उसके व्यवसायिक क्षेत्र में बहुत अच्छे परिणाम दे सकता है तथा इस योग के प्रभाव में आने वाले जातक अपने समय के बहुत प्रसिद्ध सेनानायक, योद्धा, पुलिस अधिकारी तथा रक्षा विभाग से जुड़े अन्य अधिकारी हो सकते हैं।इस योग वाले व्यक्ति को कमजोर और गरीब लोगों की मदद करनी चाहिए लेखक आचार्य राजेश
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