रविवार, 25 अगस्त 2019

आठवें भाव का चंद्र

आठवें भाव का चंद्र

लाल किताब में आठवां घर मृत्यु व बिमारी का घर कहा गया है. इस घर का स्वामी मंगल है और कारक ग्रह शनि है इसलिए इस घर को शनि-मंगल की सांझी गद्दी कहा जाता है. मंगल ही यहां वृश्चिक का भावेश भी होता है. यह भाव न्याय, बुद्धि तथा दया से हटकर बदले का सिद्धांत अपनाता है. इस भाव में क्षमा के लिए दया या विवेक से काम नहीं लिया जाता है. आठवें घर के कर्मों के फलों का निर्णय चंद्रमा द्वारा होता है. आठवां घर अपनी दृष्टि से दूसरे घर को देखता है. वहीं दूसरा घर छठे घर को और छठा घर बारहवें घर को देखने का काम करता है. इस प्रकार से आठवें घर का प्रभाव दूसरे घर से होते हुए छठे और बारहवें घर तक पहुंचता है.छठे या आठवें घर में कोई ग्रह पिड़ित हो तो अशुभ फल प्राप्त होते हैं. यह अशुभता 12वें घर को भी प्रभावित करती है. इसलिए 6, 9, 12 घर का विचार एक साथ करना चाहिए तभी बातों का सही अनुमान लगाया जा सकता है. आठवें घर से संबंधित बातों में चंद्रमा सबसे अधिक शक्तिशाली माना गया है. यह स्वग्रही व उच्च का होकर बारहवें घर के अशुभ प्रभावों को मिटा देता है. आठवें स्थान में बैठा ग्रह दूसरे और ग्यारहवें घर में बैठे ग्रहों का शत्रु हो तो वह जबरदस्त प्रभाव देता हैआठवे भाव का चन्द्रमा भी अपने गति को देने वाला है,कुये के पानी की तरह से अपना काम करता है काफ़ी मेहनत करने के बाद कोई काम किया जाता है और जब परिणाम सामने आता है तो खारे पानी के तरह से आता है। गूढ बातो को अपनाने मे मन लगना अक्सर इसी भाव के चन्द्रमा के द्वारा होता है,कोई भी गुप्त कार्य किया जाना इसी चन्द्रमा के कारण से ही होता है। यह चन्द्रमा अक्सर चोर की मां के रूप मे काम करता है यानी चोर की मां पहले तो अपने पुत्र को बल देती रहती है कि शाबाश वह जिसका भी सामान चुरा कर लाया वह ठीक है जब उसका पुत्र पकड लिया जाता है तो वह कोने मे सिर देकर रोने के लिये मजबूर हो जाती है वह खुले रूप मे किसी के सामने रो भी नही सकती है। व्यक्ति की मानसिकता उन कार्यों को करने के लिये होती है जो गुप्त रूप से किये जाते है वह काम अक्सर बेकार की सोच से पूर्ण ही होते है वे कभी किसी के लिये भलाई करने वाले नही होते है,हां धोखे से भलाई वाले बन जाये वह दूसरी बात है। सोच मे उन्ही लोगो से काम लिया जाता है जो या तो मरे है या मर चुके है यानी मरे लोगों की आत्मा से काम करवाना।अक्सर इस चन्द्रमा वाले लोग अपनी बातो को इस प्रकार से करते है कि वे किसी न किसी की नजर मे चढने के लिये मजबूर हो जाते है वे या तो दुश्मनी मे ऊपर हो जाते है या किसी के मन मे इस प्रकार से बस जाते है कि लोग उनसे सारे भेदो को जान लेने के लिये उनकी हर कीमत पर पहले तो सहायता करते है उन्हे मन से और वाणी से बहुत प्यार देने का दिखावा करते है जैसे ही उनकी सभी गति विधियों को प्राप्त कर लेते है वे अक्सर दूर हो जाते है और बदनाम भी करने लगते है।जब जब  भीअष्टम चन्द्रमा से राहु अपनी युति मिलायेगा वह मानसिक तनाव अनजाने भय आदि के प्रति देगा,इसके उपाय के लिये अपने सामने लोगो से बात करने और परिवार से वैमनस्यता आदि को नही रखना चाहिये पराशक्तियों के प्रति खर्चा नही करना चाहिये ह्रदय सम्बन्धी बीमारी का ख्याल रखना चाहिये,गुप्त कार्य करना और सोचना तथा हमेशा यौन सम्बन्धो के प्रति ध्यान रखना भी स्वास्थ्य और जीवन के अमूल्य समय को बरबाद करना होता है,अक्सर कुये का पानी सोने वाले स्थान मे कांच की बोतल मे रखने से और विधवा माता जैसी स्त्रियों की सेवा करना फ़लदायी होता है.बड़े बुजुर्गों के चरण स्पर्श करना शुभता देने वाला होता है.
किसी ऎसे स्थान में न रहें जहां कुआं इत्यादि को बंद करवाकर घर बनाया गया हो मित्रोंप्रत्येक जन्मपत्री में दो लग्न बनाये जाते हैं। एक जन्म लग्न और दूसरा चन्द्र लग्न। जन्म लग्न को देह समझा जाए तो चन्द्र लग्न मन है। बिना मन के देह का कोई अस्तित्व नहीं होता और बिना देह के मन का कोई स्थान नहीं  है। देह और मन हर प्राणी के लिए आवश्यक है इसीलिये लग्न और चन्द्र दोनों की स्थिति देखना ज्योतिष शास्त्र में बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। सूर्य लग्न का अपना महत्व है। वह आत्मा की स्थिति को दर्शाता है। मन और देह दोनों का विनाश हो जाता है परन्तु आत्मा अमर है। आचार्य राजेश 7597718725/9414481324

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