शुक्रवार, 30 अगस्त 2019

छठे भाव में चंद्रमा

मित्रों छटा भाव हमारे अंदरुनी मन के साथ साथ बाहरी शरीर के साथ भी सम्बन्ध रखता है। ये हमारे मानशिक संताप, दुश्मनी, बीमारी, ननिहाल परिवार, मुकदमे, नोकरी, रैखेल, बहुत बाधा, पेट ,पाचन शक्ति, कर्जे आदि का कारक माना जाता है ।इस भाव मे कोई ग्रह न होना शारीरिक और मानशिक रुप से जातक के लिय अच्छा माना जाता है इस भाव के फल बहुत तेज़ प्रभाव के साथ घटित होते है ।
अब बात करते है चंद्र देव की 

मित्रों चन्द्र जो की ज्योतिष में मानशिक शांति ,माता  आदि का कारक माना जाता है वो इस भाव में आकर काफी हद तक कमजोर हो जाता है और उसके शुभ फल जातक को नही मिल पाते हैलाल किताब में इस भाव के चन्द्र को धोखे की माता या खारा कडवा पानी कहकर सम्बोधित किया गया है | 
बीमारियों के पहलू से चन्द्र देव खून की रफ़्तार को तेज़ कर देने के कारक है यानी हाई ब्लड प्रेसर । यदि अशुभ चन्द्र इस घर मे हो और उस से मंगल की दृष्टी  और अशुभ कर रही हो। चन्द्र अशुभ तब ही जाता है या तो वो विरश्चिक राशि मे हो या शनि राहु केतु का उस से सम्बन्ध हो जाये या चन्द्र पक्ष मे छिण् हो। 
चन्द्र इस भाव मे नानि का कारक होता है और जातक मे सेवा भाव भी उतपन करता है इसिलिय  इस  भाव का  चन्द्र  डॉक्टर  नर्स   आदि  की कुंडली में शुभ  फल  देने  वाला  होता है    ऐसे  डॉक्टर  का  एक  ही मकसद  होता  है  की  किसी  भी तरह  से उसका  मरीज  ठीक  हो  । ऐसा  जातक एक बुजुर्ग औरत की तरह दूसरों की  सेवा  करता  है  लेकिन तब तक जब तक की जातक छोटे दर्जे का हो जैसे जैसे उसका रुतबा बढ़ता है सेवा भाव समाप्त होता जाता है।यह भाव बुध और केतु से प्रभावित होता है। इस घर में स्थित चंद्रमा दूसरे, आठवे, बारहवें और चौथे घरों में बैठे ग्रहों से प्रभावित होता है। ऐसा जातक बाधाओं के साथ शिक्षा प्राप्त करता है और अपनी शैक्षिक उपलब्धियों का लाभ उठाने के लिए उसे बहुत संघर्ष करना पडता है। यदि चंद्रमा छठवें, दूसरे, चौथे, आठवें और बारहवें घर में होता है तो यह शुभ भी होता है ऐसा जातक किसी मरते हुए के मुंह में पानी की कुछ बूंदें डालकर उसे जीवित करने का काम करता है। यदि छठवें भाव में स्थित चंद्रमा अशुभ है और बुध दूसरे या बारहवें भाव में स्थित है तो जातक में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति पाई जाएगी। ठीक इसी तरह यदि चन्द्रमा अशुभ है और सूर्य बारहवें घर में है तो जातक या उसकी पत्नी या दोनो ही आंख के रोग या परेशानियों से ग्रस्त हों जाना छठे भाव में अशुभचंद्रमा होने से आपको जीवन में सदा प्यार की कमी महसूस हो सकती है अथवा आपको जीवन में एक बार प्यार में धोखा मिल सकता है. ऎसा भी हो सकता है कि आप किसी को चाहते हो और कभी उसे कहने की हिम्मत ना करने से आप उसे पा ना सके हो और यही आपके मन का मलाल हो सकता है.
आप सदा किसी ना किसी बात को लेकर तनाव और मानसिक परेशानियो से घिरे रह सकते है क्योकि छठे भाव में चंद्र की स्थिति से आपका मन कमजोर हो जाता है और जब मन ही कमजोर हो गया तब आप छोटी से छोटी बात पर अधिक परेशान हो जाते हैं. मन व्याकुल रहता है.षष्ठ भाव में स्थित चन्द्रमा वाले व्यक्ति सेवक के रूप में कार्य करते हैं। यहाँ स्थित चन्द्रमा बहुत अच्छा फल नहीं दे पाता है इसका मुख्य कारण है की षष्ठ भाव रोग, ऋण,रिपु, लड़ाई-झगड़ा इत्यादि का भाव है। माता के साथ इनका संबंध सामान्य रहता है यदि माता रोग दुख या किसी अन्य कारण से परेशान हैं तो छठे भाव में स्थित चन्द्रमा वाला व्यक्ति इससे बहुत ही दुखी होता है और यथा शीघ्र अपनी माता की परेशानियों को दूर करने का प्रयास भी करता है।
छठा भाव नौकरी का भी होता है और प्रतिस्पर्धा का भी होता है. इस भाव में पाप ग्रह का होना अच्छा माना गया है ताकि व्यक्ति अपने हर तरह के विरोधियो पर काबू पा सके. चंद्रमा के इस भाव में होने से आपके कार्य क्षेत्र पर आपके सहयोगी आपका इस्तेमाल कर करते हैं और आप उनका विरोध भी नहीं कर पाते छठे भाव का चन्द्रमा भी प्लान बनाकर काम करने के लिये अपनी गति को देता है लेकिन सौ मे से एक भी प्लान सफ़ल कभी नही होता है केवल रास्ता चलते जो काम होने वाले होते है वह हो जाते है और जो काम प्लान बनाकर किया जाता है वह नही होता है। सोचा था कि अमुक काम को अमुक समय पर कर लिया जायेगा और अमुक समय पर काम करने के बाद अमुक मात्रा मे धन आयेगा और अमुक मात्रा मे खर्च करने के बाद अमुक सामान की प्राप्ति हो जायेगी और उस सामान से अमुक प्रकार का कष्ट समाप्त हो जायेगा,पता लगा कि वह काम नही हुआ और बीच की सभी कडियां पता नही कहां चली गयी।छठे भाव का चन्द्रमा मौसी और चाची का कारक होता है,अगर इनके प्रति सेवा भाव रखा जाये तथा खुद की माता की बीमारियों और रोजाना के कामो के बारे मे सहायता की जाये तो यह चन्द्रमा अच्छे फ़ल देने लगता है,इस चन्द्रमा को सफ़ेद खरगोश की उपाधि भी दी जाती है जो लोग खरगोश को पालने और उन्हे दाना पानी देने का काम करते है उनके लिये भी चन्द्रमा का सहयोग मिलता रहता है,छठे भाव का चन्द्रमा अपनी सप्तम द्रिष्टि से बारहवे भाव को देखता है बारहवा भाव नवे भाव का चौथा यानी भाग्य का घर होता है अगर धर्म स्थानो मे जाकर श्रद्धा से धार्मिक कार्य किये जाते रहे तो भी चन्द्रमा साथ देता है,नमी वाले स्थानो मे रहने से पानी के क्षेत्रो मे कार्य करने से यात्रा आदि के कार्यों मे कार्य करने से यह चन्द्रमा दिक्कत देने वाला बन जाता है.इस चन्द्रमा मे बुध का प्रभाव आने से माता को उनके मायके मे यानी ननिहाल मे सम्मान मिलता है अगर ननिहाल से बनाकर रखी जाये तो भी चन्द्रमा सहायक हो जाता है. छठे भाव से कोई बीमारी नही होने पर बीमारीका भ्रम होना ओर उसके लिए परेशान रहनावर्षफल  के हिसाब  से  चन्द्र  इसी  भाव  में आया  हुआ  हो  | जातक  चाहे  तो  किसी  अस्पताल  या  समसान में पानी का प्रबंध कर  सकता  है | इस  भाव  के  चन्द्र  वाले जातक  को  रात्री  में दूध  भी  नही पीना चाहिए  ये  उसके मानसिक  स्वास्थ्य के लिए  हानिकारक हो जाता है | इस भाव के चन्द्र का सबसे उत्तम उपाय है  की जातक किसी धर्मस्थान में जाकर अपना शीश नवाता रहे और समय समय पर सूर्य या मंगल या गुरु से सम्बन्धित चीजें धर्म स्थान में दान करता रहे ऐसे में उसे चन्द्र के इस भाव के अशुभ फलों से मुक्ति मिलती है | 
लेकिन इस भाव के चन्द्र के फलित को जान्ने के लिय हमे ये देखना भी जरूरी होगा की दुसरे भाव में शुभ ग्रह है या पापी ग्रह है | यदि यहाँ शुभ ग्रह हुवे तो ऐसे  में चन्द्र के अशुभ फल जातक को नही मिलेंगे और  ये जातक के व्यवसाय अदि में जातक की सहायता करेगा | इसी प्रकार यदि चोथा भाव खाली हुआ तो जातक की मानशिक शांति पर इस भाव के चन्द्र के अशुभ फल नही पड़ेंगे इसके साथ ही जातक के ग्रहस्थी सुख , सुख की नींद के लिय बारवें भाव में सिथत ग्रह को देखना होगा यदि वहां शुभ ग्रह और चन्द्र के मित्र ग्रह  हुवे तो फिर चन्द्र इन सुखों में विरधी करेगा | इस भाव में चन्द्र हो और अस्ठ्म भाव में सूर्य या  मंगल या गुरु चन्द्र के  मित्र ग्रह हो तो ये योग जातक की आयु को लंबा करने वाला सिद्ध होता है | 
इसी प्रकार दो चार आठ और  बारवें भाव में यदि चन्द्र के मित्र ग्रह ही आये तो ऐसा जातक मुर्दे  में भी जान डाल सकने के  योग्य बन जाता है यानी की हम कह सकते है की वो एक अच्छा डॉक्टर बन सकता है जो मरते हुवे को भी बचा ले साथ ही यदि बुद्ध दुसरे या बारवें भाव में हो तो फिर चन्द्र का अशुभ फल जातक को मिलता है | सूर्य के बारवें भाव में होने पर जातक की एक आँख की रौशनी कम हो सकती है या फिर उसकी माता को आँखों में रौशनी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है | 
मित्रों ये केवल आंशिक विवेचना है पूर्ण फल पूरी कुंडली पर निर्भर करते है ये पहले  भी क्रह  चुका हूं आज इतना ही आचार्य राजेश

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