भाग-5: ब्रह्मांडीय तालमेल और 'टाइमिंग' का विज्ञान (The Cosmic Synchronization)
(सिस्टम, अदृश्य किरणें और DNA रि-प्रोग्रामिंग)
— एक शोधपरक विश्लेषण: आचार्य राजेश कुमार —
"यत् पिण्डे तत् ब्रह्माण्डे"
(जो इस शरीर/पिंड में है, वही ब्रह्मांड में है)
हजारों वर्ष पूर्व हमारे ऋषियों ने यह सूत्र दिया था। आज का 'क्वांटम फिजिक्स' भी यही कह रहा है—हम ब्रह्मांड से अलग नहीं हैं। जो तत्व तारों (Stars) में हैं, वही हमारे DNA में हैं। यह लेख उसी 'अदृश्य कनेक्शन' का प्रमाण है।
1. सूर्य के 7 घोड़े: 'प्रकाश का कोड' (The Light Code)
ऋषियों ने सूर्य के रथ में 'सात घोड़े' दिखाए। यह कोई काल्पनिक जानवर नहीं थे। असल में, यह 'सफेद प्रकाश के सात रंगों' (Spectrum of Light/VIBGYOR) का कोड था।
विज्ञान: हमारा शरीर भी इन्ही सात रंगों (सात चक्रों) से बना है। जब कुंडली में कोई ग्रह कमजोर होता है, तो उसका वैज्ञानिक अर्थ है कि हमारे 'आंतरिक स्पेक्ट्रम' में उस विशेष रंग (Frequency) की कमी हो गई है। रत्न (Gemstones) या रंग चिकित्सा उस 'मिसिंग कलर' को वापस भरकर स्पेक्ट्रम को पूरा करती है।
2. राहु-केतु: अदृश्य किरणें और 'पीनियल ग्रंथि' (The Invisible Rays)
न्यूटन ने दृश्य प्रकाश (Visible Light) की खोज की, लेकिन राहु-केतु 'अदृश्य स्पेक्ट्रम' (Ultraviolet & Infrared) हैं।
एक्स-रे (X-Ray) प्रभाव: राहु की ऊर्जा एक्स-रे जैसी भेदन क्षमता रखती है। राहु जनित बीमारी 'फिजिकल शरीर' में नहीं, बल्कि 'ऊर्जा शरीर' (Energy Body) में होती है, इसलिए अक्सर मेडिकल रिपोर्ट में पकड़ में नहीं आती।
सूक्ष्म कनेक्शन: हमारे मस्तिष्क के केंद्र में 'पीनियल ग्लैंड' (Pineal Gland) है। राहु और केतु सीधे इसी 'एंटीना' को प्रभावित करते हैं। अचानक आने वाला 'इनट्यूशन' (Intuition) या गहरा 'भ्रम', इसी ग्रंथि पर पड़ने वाली अदृश्य कॉस्मिक किरणों का नतीजा है।
3. मंत्र, जल और 'बायो-फोटॉन्स' (Mantras & Water Memory)
यह लेख का सबसे सूक्ष्म और क्रांतिकारी हिस्सा है।
बायो-फोटॉन्स (Bio-photons): आधुनिक विज्ञान (Fritz-Albert Popp का शोध) सिद्ध करता है कि हमारे DNA से निरंतर एक बहुत ही हल्का प्रकाश निकलता है। जब हम मंत्र जपते हैं, तो वह ध्वनि हमारे DNA की लाइट फ्रीक्वेंसी को बदल देती है।
पानी की याददाश्त (Water Memory): विज्ञान ने सिद्ध किया है (Dr. Masaru Emoto) कि पानी भावनाओं और ध्वनियों को सोख लेता है (Hold Memory)। इसीलिए पूजा में 'जल' का प्रयोग होता है। जब आप जल हाथ में लेकर संकल्प लेते हैं या मंत्र बोलते हैं, तो वह पानी उस 'प्रार्थना' को स्टोर कर लेता है और आपके शरीर (जो 70% पानी है) तक पहुँचाता है।
4. हवन: नैनो-टेक्नोलॉजी और 'लिम्बिक सिस्टम' (Ancient Nano-Tech)
हवन केवल पूजा नहीं, एक 'औषधीय वितरण प्रणाली' (Drug Delivery System) है।
लिम्बिक सिस्टम (Limbic System): हमारी नाक की नसें सीधे मस्तिष्क के उस हिस्से से जुड़ी हैं जो यादों और भावनाओं को कंट्रोल करता है।
राहु का इलाज: राहु (धुआं/गैस) का इलाज गोली खाने से नहीं हो सकता। हवन का औषधीय धुआं (Nano-particles) सीधे नाक के जरिए लिम्बिक सिस्टम में जाकर उन गहरे, दबे हुए अवसाद (Depression) और डर को ठीक करता है जो राहु ने दिए हैं।
5. दान: एन्ट्रॉपी और 'एक्शन-रिएक्शन' (The Law of Entropy)
दान (Charity) ब्रह्मांडीय थर्मोडायनामिक्स का नियम है।
न्यूटन का तीसरा नियम: "हर क्रिया की समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।"
भार हटाना (Releasing Mass): जब आप कष्ट में होते हैं, तो आपके ऊपर नकारात्मक ऊर्जा (Entropy) का भार होता है। दान देकर आप अपने हिस्से के 'पदार्थ' (Matter/Money) को त्यागते हैं। भौतिकी के नियम के अनुसार, यह त्याग एक 'विपरीत बल' (Opposite Force) पैदा करता है जो आपके कष्ट को धक्का देकर बाहर निकालता है।
निष्कर्ष: 'एपिजेनेटिक्स'—किस्मत को ओवर-राइट करना
विज्ञान की नई शाखा 'एपिजेनेटिक्स' (Epigenetics) कहती है कि हम अपने जीन (Genes) के गुलाम नहीं हैं।
नक्षत्र हमारी पुरानी कोडिंग हैं (Genetics).
उपाय (मंत्र/हवन/दान) वह सिग्नल हैं जो इस कोडिंग को बदल देते हैं (Epigenetics).
ज्योतिष हमें सिखाता है कि हम केवल 'कठपुतली' नहीं हैं, हम 'प्रोग्रामर' हैं। सही समय, सही ध्वनि, और सही त्याग के साथ, हम अपनी किस्मत की स्क्रिप्ट को दोबारा लिख सकते हैं।
सत्यमेव जयते।
आचार्य राजेश कुमार
(हनुमानगढ़, राजस्थान



































