शनिवार, 13 दिसंबर 2025

चंद्र और राहु (ग्रहण योग): एक 'शाप' नहीं, 'शून्यता' से 'पूर्णता' की ओर

चंद्र और राहु (ग्रहण योग): एक 'शाप' नहीं, 'शून्यता' से 'पूर्णता' की ओर एक रूहानी यात्रा
(भ्रम से ब्रह्मांड तक का सफर)
॥ ॐ नमः शिवाय ॥
॥ जय गुरुदेव ॥
मित्रों, सादर जय सियाराम।
आज हम ज्योतिष के उस पन्ने को पलटेंगे जिस पर धूल और डर दोनों की परतें जमी हैं।
अक्सर जब आसमान में चाँद बादलों के पीछे छिपता है, तो दुनिया कहती है— "देखो, अंधेरा हो गया।" लेकिन एक कवि, एक प्रेमी और एक साधक जानता है कि बादलों के पीछे से छनकर आती हुई वह मद्धम चांदनी, खुले आसमान के चाँद से कहीं ज्यादा रहस्यमयी और खूबसूरत होती है।
आपकी कुंडली में चंद्र (मन) और राहु (विस्तार) का मिलन भी बिल्कुल वैसा ही है।
एक सच्ची घटना: जब डर ने दस्तक दी 
कुछ समय पहले की ही बात है। मेरे कार्यालय में एक युवक आया। देखने में संभ्रांत, लेकिन चेहरा उतरा हुआ और आँखों में अजीब सी घबराहट। उसने कुर्सी पर बैठते ही कांपती आवाज में मुझसे पूछा—
"आचार्य जी, सच बताइएगा... क्या मैं पागल होने वाला हूँ? क्या मेरा सब कुछ खत्म हो जाएगा?"
मैं चौंक गया। मैंने पूछा, "बेटा, इतनी नकारात्मक बात क्यों कर रहे हो?"
उसने बताया— "आचार्य जी, मैं अपनी कुंडली लेकर जिस भी ज्योतिषी के पास गया, सबने मुझे बस डराया। सबने कहा कि 'तुम्हारी कुंडली में खतरनाक चंद्र-ग्रहण योग है'। किसी ने कहा तुम डिप्रेशन में चले जाओगे, किसी ने कहा तुम आत्महत्या कर लोगे। यह बात सुन-सुनकर मेर मन में यह डर इतना गहरा बैठ गया है कि अब मुझे सपने भी डरावने आते हैं। मुझे लगने लगा है कि मैं श्रापित हूँ।"
मैंने उसका हाथ थामकर उसे पानी पिलाया और कहा— "शांत हो जाओ। ग्रह तुम्हें नहीं मार रहे। यह जो 'डर' तुम्हारे सबकॉन्शियस माइंड में डाल दिया गया है, वह तुम्हें मार रहा है।"
मैंने उससे पूछा— "बेटा, जब एक सुंदर मूर्ति बनानी होती है, तो पत्थर को छेनी और हथौड़े की चोट सहनी पड़ती है या नहीं?"
उसने कहा— "जी, सहनी पड़ती है।"
मैंने कहा— "तुम्हारी कुंडली का यह चंद्र-राहु योग वही हथौड़ा है। अस्तित्व (Existence) तुम्हें तोड़ नहीं रहा, तुम्हें 'गढ़' रहा है।"
आइए, इस योग को विद्वानों और संतों की उस 'तीसरी आँख' से देखें, जहाँ यह योग कोई शाप नहीं, बल्कि एक 'दैवीय वरदान' है।
१. यह अंधापन नहीं, 'दूरबीन' (Telescope) है
गहन ज्योतिष और मनोविज्ञान का संगम एक अद्भुत सत्य बताता है।
चंद्रमा तुम्हारी 'आंख' है और राहु एक 'लेंस' है। जब राहु चंद्रमा के साथ बैठता है, तो वह तुम्हारी साधारण दृष्टि को Microscope (सूक्ष्मदर्शी) बना देता है।
 * साधारण दृष्टि: जब आंख अकेली होती है, तो वह बस सामने का दृश्य देखती है।
 * असाधारण दृष्टि: जब आंख पर राहु का लेंस लग जाता है, तो वह उन चीजों को भी देख लेती है जो आम इंसान की पकड़ से बाहर हैं।
विद्वान कहते हैं कि चंद्र-राहु वाले लोग 'अति-संवेदनशील' (Hyper-Sensitive) होते हैं। यह कमजोरी नहीं है। इसका अर्थ है कि आपका 'एंटीना' इतना शक्तिशाली है कि आप किसी के खामोश रहने पर भी उसका शोर सुन सकते हैं। आप शब्दों के पीछे छिपी नीयत को पढ़ सकते हैं।
सत्य: आप 'ओवरथिंकिंग' नहीं कर रहे, आप दरअसल गहराई में 'स्कैनिंग' कर रहे हैं।
२. नाड़ी ज्योतिष और 'समुद्र मंथन' का सत्य
दक्षिण की प्राचीन नाड़ी ज्योतिष परम्परा इस योग को सम्मान से 'शक्ति योग' कहती है। क्यों?
क्योंकि सृजन (Creation) कभी शांति में नहीं होता। एक बीज को पेड़ बनने के लिए ज़मीन के अंधेरे में फटना पड़ता है।
हमारे शास्त्रों में 'समुद्र मंथन' की कथा आती है। जरा गहराई से सोचिए—
 * चंद्रमा आपका 'मन' (समुद्र) है।
 * राहु वह 'वासुकी नाग' है जिससे मथानी बांधी गई है।
राहु वह 'घर्षण' (Friction) है जो आपके शांत मन को मथता है। जब मंथन होता है, तो सबसे पहले 'हलाहल विष' (डर, डिप्रेशन) ही निकलता है। दुनिया इस विष को देखकर डर जाती है। लेकिन दर्शन कहता है कि बिना विष निकले, अमृत (Amrit) भी नहीं आ सकता।
३. सूफी फलसफा और शून्यता का रहस्य
सूफी फकीरों की महफ़िल में इस अंधेरे का जश्न मनाया जाता है। वे कहते हैं:
> "ज़ाहिद (पुजारी) को चाहिए रौशनी इबादत के लिए,
> और आशिक को चाहिए अंधेरा, महबूब से बगावत के लिए।"
ओशो और कबीर जैसे संत कहते हैं— 'शून्य' (Zero) ही सृजन का गर्भ है।
बांसुरी (Flute) संगीत तभी पैदा करती है जब वह अंदर से 'पोली' (Empty) होती है। राहु ने तुम्हारे मन को खाली किया है, ताकि परमात्मा उसमें अपना संगीत भर सके।
जिस दिन आप इस राहु (भ्रम) के धुएं को पार कर लेंगे, उस दिन आपको समझ आएगा कि जिसे आप 'ग्रहण' समझ रहे थे, वह दरअसल 'आत्म-साक्षात्कार' की पहली सीढ़ी थी।
४. रूहानी काव्य: "मन और साये की गुफ्तगू"
इस गहरे अहसास को चंद पंक्तियों में उतारते हैं, जो आपके दिल को सुकून देंगी:
> "किसने कहा कि तेरे चाँद पर, 'ग्रहण' का पहरा है?
> गौर से देख ए मुसाफिर! यह रंग तो 'गहरा' है।
> दुनिया डरती है जिस 'साये' से, उसे 'काला' जानकर,
> तूने उसी राख को मस्तक पे लगाया, 'ज्वाला' मानकर।
> लोग कहते हैं, राहु तुझे 'भटकाता' बहुत है,
> पर सच तो ये है, वो तुझे 'जगाता' बहुत है।
> तेरी नींद हराम करता है, तुझे सोने नहीं देता,
> क्योंकि वो तुझे, भीड़ में 'खोने' नहीं देता।
> मत कोस इस योग को, ये तो 'फकीरी' का बाना है,
> तुझे 'कांच' नहीं, हीरे सा 'तराशा जाना' है।
> यह राहु तो बस, एक 'कौतुक' है उस जादूगर का,
> मकसद उसका, तुझे रूबरू कराना है 'तेरे अंदर' का।
> तो उठा अपना सिर, और देख उस आसमान की ओर,
> तू बंधी हुई पतंग नहीं, तू ही है वो 'डोर'।"
५. अचूक उपाय: आप एक 'जादूगर' (Alchemist) हैं
मित्रों, समस्या राहु में नहीं, राहु की ऊर्जा को न संभाल पाने में है। आप एक जादूगर (Alchemist) हैं, जो दर्द को कला (Art) में और शोर को संगीत में बदल सकता है।
बस इन सूत्रों का पालन करें:
१. शिव की शरण (सबसे शक्तिशाली):
जब मंथन से विष निकले, तो उसे केवल नीलकंठ (शिव) ही संभाल सकते हैं।
 * विधि: सोमवार के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय मन ही मन सोचें कि आपके मन का सारा डर और भ्रम उस जल के साथ बहकर जा रहा है।
२. अनुलोम-विलोम (सांसों का विज्ञान):
राहु 'हवा' है और चंद्र 'पानी'। हवा ही पानी में तूफ़ान लाती है।
 * विधि: रोज सुबह 10 मिनट अनुलोम-विलोम करें। अपनी सांसों को नियंत्रित करें, मन का तूफ़ान अपने आप शांत हो जाएगा।
३. दिशा दें (Give Direction):
राहु धुंआ है। अगर चिमनी नहीं होगी, तो घर काला होगा।
 * सलाह: खाली न बैठें। पेंटिंग करें, लिखें, संगीत सीखें, या कोई भी गहरा अध्ययन करें। जिस दिन आप व्यस्त हो जाएंगे, यह 'ग्रहण' 'राजयोग' में बदल जाएगा।
निष्कर्ष:
उस जातक ने जब इन बातों को समझा, तो उसका डर गायब हो गया। आज वह अपने क्षेत्र में बहुत सफल है।
तो अगली बार जब मन बेचैन हो, तो डरें नहीं। मुस्कुराएं और खुद से कहें— "मेरा 'सॉफ्टवेयर' अपडेट हो रहा है, मुझे कुछ नया डाउनलोड करना है।"
यह ग्रहण नहीं, यह आपके 'महान' बनने की तैयारी है। आप अकेले नहीं, आप 'अनोखे' हैं।
आपका जीवन शुभ हो।
-- आचार्य राजेश

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

महाविद्या तारा और गुरु-मंगल: मोक्ष का महाद्वार,,,,,,,,,,,............,. गई

महाविद्या तारा और गुरु-मंगल: मोक्ष का महाद्वार,,,,,,,,,,,............,. गुरु और मंगल की युति को केवल ज्योतिषीय योग मानना एक भूल होगी। दार्श...