🛑 कुंडली में 'नीच' ग्रह देख कर डरें नहीं! जानिए ग्रहों की असली ताकत का राज 'षड्बल' ✨
मित्रों! ज्योतिष जगत में एक बहुत बड़ी भ्रांति फैली हुई है— "नीच का ग्रह मतलब बुरा समय और उच्च का ग्रह मतलब राजयोग।"
क्या आप जानते हैं कि यह अधूरा ज्ञान आपके मन में सिर्फ व्यर्थ का डर पैदा करता है?
जन्म कुंडली का विश्लेषण केवल एक ग्रह की 'नीच' या 'उच्च' स्थिति देखकर नहीं किया जा सकता। ज्योतिष का सबसे गहरा और वैज्ञानिक सिद्धांत है— 'षड्बल' (Shadbala)।
मान लीजिए एक बहुत ताकतवर पहलवान (उच्च ग्रह) है, लेकिन वह बीमार है और बिस्तर पर पड़ा है। क्या वह कुश्ती जीत पाएगा? नहीं।
वहीं दूसरी ओर, एक सामान्य कद-काठी का व्यक्ति (नीच ग्रह) है, लेकिन वह स्वस्थ है, उसके पास हथियार है और उसके साथ एक मजबूत गुरु/कोच खड़ा है। जीत किसकी होगी?
जवाब: उस सामान्य व्यक्ति की!
यही 'षड्बल' है। यह बताता है कि ग्रह 'दिखने' में कैसा है (राशि) और 'अंदर से' कितना मजबूत है (वास्तविक बल)।
षड्बल का अर्थ है "छह प्रकार के बल"। नीच होने के बावजूद अगर कोई ग्रह इन बलों में मजबूत है, तो वह आपको रंक से राजा बना सकता है।
स्थान बल (Positional Strength): ग्रह किस राशि या नवमांश में है। (नीच होना केवल इसी का एक छोटा सा हिस्सा है)।
दिग् बल (Directional Strength): ग्रह किस दिशा (भाव) में बैठा है।
दृष्टि बल (Aspect Strength): क्या उस पर गुरु जैसे शुभ ग्रह की दृष्टि है? यह ग्रह को सुरक्षा कवच देता है।
काल बल (Temporal Strength): क्या ग्रह दिन/रात या अपनी दशा में बली है?
चेष्टा बल (Motional Strength): वक्री ग्रह चेष्टा बल में बहुत शक्तिशाली होते हैं, वे अपना फल देने की जिद्द रखते हैं!
नैसर्गिक बल (Natural Strength): ग्रह का अपना प्राकृतिक स्वभाव।
मान लीजिए तुला लग्न की कुंडली है और शनि देव सप्तम भाव (मेष राशि) में नीच होकर बैठे हैं।
एक सामान्य ज्योतिषी कह देगा— "आपका वैवाहिक जीवन और व्यापार बर्बाद है।"
परन्तु 'षड्बल' और गहरा विश्लेषण क्या कहता है?
दिग् बल (दिशा का बल): सप्तम भाव (पश्चिम दिशा) शनि का अपना घर है। यहाँ उन्हें पूर्ण दिग् बल मिलता है।
दृष्टि बल (गुरु का साथ): यदि लग्न में देवगुरु बृहस्पति बैठे हों, तो उनकी पूर्ण शुभ दृष्टि सामने बैठे शनि पर पड़ती है।
परिणाम:
गुरु की अमृत दृष्टि और शनि का अपना दिग् बल मिलकर 'नीचता' के दोष को खत्म कर देते हैं (इसे नीच भंग राजयोग भी कहते हैं)। ऐसा व्यक्ति शुरुआती संघर्ष के बाद व्यापार और समाज में बहुत ऊँचा मुकाम हासिल करता है। उसका वैवाहिक जीवन भी गुरु की कृपा से सुरक्षित रहता है।
📢 जागरूकता का आह्वान: अपने डर को ज्ञान से हराएं
अगली बार यदि कोई आपको यह कहकर डराए कि "आपका ग्रह नीच का है," तो उनसे विनम्रतापूर्वक पूछें:
"पंडित जी, कृपया मुझे इस ग्रह का 'षड्बल' दिखाएँ। मैं जानना चाहता हूँ कि यह ग्रह कुल छह पैमानों पर कितना कमजोर या ताकतवर है?"
ज्योतिष एक विज्ञान है, इसे तर्क से समझें, डर से नहीं।
जागरूक बनें, भयमुक्त रहें! 🙏
— आचार्य राजेश कुमार (हनुमानगढ़, राजस्थान)
(ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें