https://youtu.be/1En3SQUPk_Eग्रहो की शांति के सरल उपाय 2(चन्द्रमा)
वैसे तो चन्द्र देव का स्वभाव स्वभाव बहुत शांत और ठंडा होता है और यही वजह है कि वो हम सभी को शीतलता प्रदान करते है किन्तु जब वे पीड़ित पाप ग्रह के प्रभाव में आते है तो उसके परिणाम बहुत भयंकर और विनाशकारी होसकते है.चन्द्रमा को प्रभावित करने वाले ग्रह बुध गुरु शुक्र शनि राहु केतु मंगल है। बुध अगर चन्द्रमा को बुरा फ़ल देता है तो बुरे लोगों से सम्पर्क बढने लगते है और व्यवसाय आदि के लिये मानसिक कष्ट मिलने लगते है। चन्द्रमा स्त्री ग्रह है और भावुकता के लिये भी जाना जाता है। शिवजी ने चन्द्रमा को सिर पर धारण किया है इसलिये चन्द्रमा के लिये आराध्य देव शिवजी को ही माना जाता है। राहु केतु चन्द्रमा को ग्रहण देने वाले है जब भी राहु के साथ जन्म कुंडली में चन्द्रमा गोचर करता है किसी न किसी प्रकार की भ्रम वाली स्थिति पैदा हो जाती है और वही समय चिन्ता करने वाला समय माना जाता है। कुंडली के जिस भाव में राहु होता है उसी भाव की बाते दिमाग में तैरने लगती है,अक्सर इसी समय में बडी बडी अनहोनी होती देखी गयीं है। केतु के साथ गोचर करने पर एक तरह का नकारात्मक भाव दिमाग में आजाता है किसी भी साधन के लिये लम्बी सोच दिमाग में बन जाती है और जैसे ही चन्द्रमा केतु से दूर होता है वह सोच केवल ख्याली पुलाव की तरह से समाप्त हो जाती है। चन्द्रका का गोचर जैसे ही मंगल के साथ होता है दिमाग में तामसी विचार मंगल के स्थापित होने वाली राशि के अनुसार पनपने लगते है,अगर मंगल वृश्चिक राशि में है तो उस कारक को समाप्त करने के लडाई करने के झगडा करने के मारने के कत्ल करने के विचार दिमाग में आने लगते है,अगर मंगल धनु राशि में होता है तो न्याय कानून विदेश धर्म आदि के लिये उत्तेजना पनपने लगती है,अगर चन्द्रमा गुरु के साथ होता है तो सम्बन्धो के मामले में गुरु के स्थान वाले प्रभाव के अनुसार मिलने लगता है,बुध के साथ होने पर बुध जैसा और बुध के स्थान के अनुसार मिलता रहता है,जन्म के चन्द्रमा पर अगर राहु ग्रहण देने लगा है तो चन्द्रमा के बल को बढाना चाहिये और राहु के बल को समाप्त करना चाहिये। राहु अगर वायु राशि में है तो मन्त्रों के द्वारा जाप करने पर और अग्नि राशि में है तो हवन आदि के द्वारा भूमि राशि में है तो राहु के देवता सरस्वती की मूर्ति की पूजा करने के बाद जो मूर्ति पूजन में विश्वास नही रखते है उनके लिये शिक्षा स्थान या मिलकर इबादत करने वाले स्थान में राहु के रूप को नमन करना चाहिये,पानी वाली राशि में होने पर पानी के किनारे राहु का तर्पण करना चाहिये। केतु के द्वारा चन्द्रमा पर असर होने पर चन्द्रमा के बल को रत्न और वस्तुयों के द्वारा बढाकर केतु के बल को क्षीण करना चाहिये। चन्द्रमा की धातु चांदी है और रत्न मोती तथा चन्द्रमणि है। जडी बूटियों में चन्द्रमा के लिये करोंदा का कांटे वाला पेड माना जाता है।
नियम :-
1. चंद्रमा पानी का कारक है। इसलिए कुएं, तालाब, नदी में या उसके आसपास गंदगी को न फैलाएं। घर में किसी भी स्थान पर पानी का जमाव न होने पाए ।
2. अंडे, शराब, मांस, मछली, तम्बाकू, एवं धूम्रपान का सेवन न करें । नशा नहीं करें ।
3. झूठ बोलने से परहेज करें, बेईमानी और लालच ना करें
4. दूध पीकर या कोई सफेद मिठाई खाकर किसी चौराहे पर नहीं जाये
5. चंद्रमा के बलहीन होने पर माता और माता पक्ष से सम्बंधित रिश्तेदारों की सेवा सेवा करें ।
6. व्यक्ति को देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए। रात्रि के समय घूमने-फिरने तथा यात्रा से बचना चाहिए।
7. चंद्रमा पानी का संबन्ध माता से होता है, इसलिए मां की सेवा करें और किसी भी प्रकार से उनका दिल ना दुखाएं। माता के पांव छूकर आशीर्वाद लें ।
8. 6ठे भाव का चंद्रमा दोष होने पर भूलकर भी दूध या पानी की छवील लगा कर दान ना करें।
9. यदि कुंडली में चंद्रमा केतु के साथ विराजित हो तब जीविकोपार्जन में बाधा डालता है अतः ऐसे जातको को गणेश जी की पूजा करनी चाहिए।
10. सफेद और स्लेटी रंग चंद्रमा का प्रतीक होते हैं इसके अलावा चमकीला नीला, हरा और गुलाबी रंग, आसमानी रंग भी लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं। जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर होता है उन्हें काले और लाल रंग से परहेज रखना चाहिए।
11. अपनी बेटी के पैसे और धन का उपयोग न करे
12चांदी का चोकोर टुकडा अपने पास रखें
13. चारपाई के चारों पायों पर चांदी की कीले लगाएं
14 शरीर पर चांदी धारण करें , चांदी का कड़ा धारण करें
15 मकान की नीव में चांदी दबाएं
नोटचौथे भाव में स्थित चंद्रमा पर केवल चंद्रमा का ही पूर्णरूपेण प्रभाव होता है क्योंकि वह चौथे भाव और चौथी राशि दोनो का स्वामी होता है. यहां चन्द्रमा हर प्रकार से बहुत मजबूत और शक्तिशाली हो जाता है. चंद्रमा से संबन्धित वस्तुएं जातक के लिए बहुत फायदेमंद साबित होती हैं. मेहमानों को पानी की के स्थान पर दूध भेंट करें. मां या मां के जैसी स्त्रियों का पांव छूकर आशिर्वाद लें. चौथा भाव आमदनी की नदी है जो व्यय बढानें के लिए जारी रहेगी. दूसरे शब्दों में खर्चे आमदनी को बढाएंगे
2. श्वेत तथा गोल मोती चांदी की अंगूठी में रोहिणी ,हस्त ,श्रवण नक्षत्रों में जड़वा कर सोमवार या पूर्णिमा तिथि में पुरुष दायें हाथ की तथा स्त्री बाएं हाथ की अनामिका या कनिष्टिका अंगुली में धारण करें। धारण करने से पहले अच्छी तरह से प्राण प्रतिष्ठित शुद्ध व सिद्ध करके धारण करेंचंद्रमा की स्थिति को संतुलित करना हो या फिर उसकी ताकत को बढ़ाना हो, दोनों ही मामलों में रत्न उपयोगी सिद्ध होते हैं। मसलन अगर आपकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर है तो आपको कम से कम 11रत्ती का मोती धारण करना चाहिए।
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