आचार्य राजेश (ज्योतिष,वास्तु , रत्न , तंत्र, और यन्त्र विशेषज्ञ ) जन्म कुंडली के द्वारा , विद्या, कारोबार, विवाह, संतान सुख, विदेश-यात्रा, लाभ-हानि, गृह-क्लेश , गुप्त- शत्रु , कर्ज से मुक्ति, सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक ,पारिवारिक विषयों पर वैदिक व लाल किताबकिताब के उपाय ओर और महाकाली के आशीर्वाद से प्राप्त करें07597718725-०9414481324 नोट रत्नों का हमारा wholesale का कारोबार है असली और लैव टैस्ट रत्न भी मंगवा सकते है
मंगलवार, 19 मार्च 2019
#होली पर राहु का उतारा करे
होली जैसा उत्सव पृथ्वी पर खोजने से न मिलेगा। रंग गुलाल है। आनंद उत्सव है। तल्लीनता का, मदहोशी का, मस्ती का, नृत्य का, नाच का—बड़ा सतरंगी उत्सव है। हंसी के फव्वारों का, उल्लास का, एक महोत्सव है। ऐसा नृत्य करता उत्सव पृथ्वी पर कहीं भी नहीं मित्रों लोग एक दूसरे से आपसी रंजिस मान लेते है कोई किसी बात पर कोई किसी बात पर इन सब बातो से दूर जाने के लिये राहु को उतारना जरूरी होता है। संवत की समाप्ति पर हिन्दू त्यौहारों में दुश्मनी को समाप्त करने के लिये भी एक त्यौहार का प्रचलन आदि काल से भारत मे चल रहा है जिसे होली के नाम से जाना जाता है। होली का शाब्दिक अर्थ हो +ली यानी जो होना था वह हो चुका,और जो हो चुका है उसे साथ लेकर चलने से कोई फ़ायदा नही है इसी बात को ध्यान मे रखकर रंगो का त्यौहार होली मनाया जाता है।होली का प्रचलन कब हुआ किसी को पता नही है लेकिन आदि काल से होली के लिये कई प्रकार के वृतांत लिखे और प्रचलन मे चलते हुये देखे जाते है। होली का एक रूप भगवान शिव के बदन पर उपस्थित भभूत को भी माना जा सकता है। साथ ही भक्त प्रहलाद की बुआ होलिका के द्वारा उन्हे जलाने के लिये किये जाने वाले प्रयास से भी माना जा सकता है। राहु का उदाहरण देखने के बाद पता चलता है कि जो अपने प्रभाव से ग्रहण में ले ले उसे राहु की उपाधि से विभूषित किया जाता है। होलिका को वरदान था कि वह अपने आंचल से जिसे ढक लेगी वह भस्म हो जायेगा और वह खुद बच जायेगी,इस बात को भी तांत्रिक रूप से देखा जा सकता है। दूसरे प्रकार को भी माना जाता है कि भगवान शिव अपने शरीर को भस्म से ढक कर रखते है,यह भस्म और कुछ नही बल्कि उनकी पूर्व पत्नी सती के शरीर की भस्म ही है जो उन्होने अपने पिता दक्ष की यज्ञ मे पिता के द्वारा अपमान के कारण आहुति देकर शरीर को जला डाला था। इस बात मे भी सती की ह्रदय से चाहत ही उन्हे सती की भस्म से विभूषित होने के लिये मानी जा सकती है। रंगो के द्वारा लोग एक दूसरे को रंगते है तो इसका भी मतलब होता है https://youtu.be/5QlK8Oa_lmkhttps://youtu.be/5QlK8Oa_lmkकि लोग अपने अपने अनुसार लोगों को अपने अपने पसंद के रंगो से रंगने के देखकर खुश होते है। भले ही जिसके रंग लगाया जा रहा है वह उसे पसंद नही हो लेकिन दूसरा व्यक्ति अपने रंग से रंगने के बाद देखकर खुश होता है। राहु के इस रंगो के रूप को देखकर भी एक प्रकार से जो व्यक्ति होली के रंगो से रंगने के पहले होता है वह रंगने के बाद उसकी शक्ल मे परिवर्तन होना भी इसी राहु की स्थिति से ग्रहण मे आया हुआ माना जाता है। आज के युग मे जब रंगो की उपलब्धि आराम से हो जाती है पुराने जमाने मे कैमिकल रंगो की अनुपस्थिति से और पेड पौधो की उपस्थिति से प्राकृतिक रंगो से संयोजन से जो होली मनाई जाती थी वह एक प्रकार से उपयुक्त भी होती थी और लोगो के लिये उनके शरीर से कोई दिक्कत नही देने वाली होती थी बल्कि उन रंगो से मौसम के अनुसार त्वचा और मन को पसंद करने वाले रंगो के कारण शरीर और मन को खुशिया देने के लिये भी मानी जा सकती थी। जब शरीर पर मल मल कर रंगो को पोता जाता है तो शरीर से उन रंगो को छुटाने के लिये शरीर को साफ़ भी करना होता है जब शरीर को साफ़ किया जाता है तो सर्दी के मौसम मे रोम कूपों मे जमा मैल भी छूटता है और त्वचा की बीमारिया तथा हर्षोल्लास के कारण मन् का ग्रहण भी कुछ समय के लिये दूर होता है यह बदलाव व्यक्ति के लिये चिन्ता आदि से दूर रहने का मुख्य कारण भी माना जाता है।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कर्म फल और ईश्वर
परमात्मा हमारे/मनुष्यों के कर्मों का फल स्वयं देने नहीं आता। वह ऐसी परिस्थिति और संयोग बनाता है, जहाँ मनुष्य को फल मिल जाता है। यूं कहें कि ...
-
https://youtu.be/hb9Ouf_rST4 मित्रों आज बात करेंगे बुध और शनि की युति जब एक ही भाव में एक साथ हो या किसी भी तरह की युति बन रही है, तो कल क्य...
-
लक्ष्मी योग शुभ ग्रह बुध और शुक्र की युति से बनने वाला योग है।बुध बुद्धि-विवेक, हास्य का कारक है तो शुक्र सौंदर्य, भोग विलास कारक है।अब ये द...
-
जब किसी के जीवन में अचानक परेशानियां आने लगे, कोई काम होते-होते रूक जाए। लगातार कोई न कोई संकट, बीमारी बनी रहे तो समझना चाहिए कि उसकी कुंडली...
-
दशम भाव ज्योतिष भाव कुडंली का सबसे सक्रिय भाव है| इसे कर्म भाव से जाना जाता है क्यूंकि ये भाव हमारे समस्त कर्मों का भाव है| जीवन में हम सब क...
-
https://youtu.be/I6Yabw27fJ0 मंगल और राहूजब राहु और मंगल एक ही भाव में युति बनाते हैं, तो वह मंगल राहु अंगारक योग कहलाता है। मंगल ऊर्जा का स...
-
मालव्य योग को यदि लक्ष्मी योगों का शिरोमणी कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं। मालव्य योग की प्रशंसा सभी ज्योतिष ग्रन्थों में की गई है। यह योग शुक्...
-
https://youtu.be/9VwaX00qRcw ये सच है कि हर रत्न इस धरती पर मौजूद हर व्यक्ति को शोभा नहीं देता है. इसे पहनने के लिए ज्योतिष की सलाह आवश्यक ह...
-
-
आचार्य राजेश ईस बार मलमास 15 दिसंबर से आरंभ हो रहा है जो 14 जनवरी 2018तक रहेगा। मलमास के चलते दिसंबर के महीने में अब केवल 5 दिन और विवाह मुह...
-
मित्रों आज वात करते हैं फिरोजा रतन की ग्रहों के प्रभाव को वल देने के लिए या फिर उन्हें मजबूती प्रदान करने के लिए ज्योतिष विज्ञान द्वारा विभि...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें