ग्रहो की शांति के सरल उपाय
ज्योतिषी मित्रों को अक्सर यह समस्या आती है कि कोई सरल उपाय जो सभी के लिये उपयोगी वह कैसे ग्रहों के प्रति बताया जाये ?
अhttps://youtu.be/QE0ad0pGkAUhttps://youtu.be/QE0ad0pGkAUक्सर जो समर्थ होते है वे तो अपने अनुसार ग्रहों की पीडा का निवारण कर लेते है या करवा लेते है लेकिन जो असमर्थ होते है वे एक तो परेशान होते है ऊपर से अगर उन्हे कोई रत्न या महंगी पूजा पाठ को बता दिया जाये तो कोढ में खाज जैसी हालत हो जाती है। ज्योतिष की मान्यता के अनुसार इसका क्षेत्र अथाह समुद्र की तरह से है,और मान्यताओं के अनुसार जो वैदिक जमाने से चली आ रही है अगर ग्रहों के उपाय किये जायें तो वे सचमुच में फ़लीभूत होते है। ज्योतिषी उपाय में रत्न एक अहम भूमिका रखते हैं
रत्न कब और कैसे धारण किये जायें
रत्न धारण करने के लिये पहले यह देख लेना चाहिये कि कौन सा ग्रह कुंडली में योगकारक और शुभ है किस क्रूर या पापी या त्रिक भाव के ग्रह से पीडित है,जो ग्रह पीडित है कुंडली में वो ग्रह लग्न के हिसाब से योगकारक है शुभ है शुभ फलदाई है उसको बल देने के लिए उसके लिये तो रत्न धारण करना चाहिये और जो पीडा दे रहा है उसके लिये जाप और पाठ पूजा विधान तर्पण आदि से मुक्ति लेनी चाहिये। जैसे राहु सूर्य बुध कुंडली में लगन में है और चन्द्रमा ग्यारहवे भाव में विद्यमान है,केतु सप्तम में है,तो केतु सप्तम स्थान से ग्यारहवे चन्द्रमा को पीडित करेगा,लगन के सूर्य और बुध को भी पीडित करेगा,राहु भी सूर्य और बुध को पीडित करेगा सूर्य के आगे बुध वैसे ही नेस्तनाबूद हो जायेगा। इस युति में सूर्य बुध और चन्द्रमा के रत्नों को धारण करना चाहिये और राहु केतु के शांति के लिये पूजा पाठ और तर्पण आदि करना ठीक रहेगा। अगर मंगल किसी प्रकार से केतु को देख रहा है तो मंगल को शांत करने के उपाय करने चाहिये,अन्यथा मिलने वाले साधन समाप्त होते चले जायेंगे।
जाप करने के तरीके
जब मन में आया और जाप करना शुरु कर दिया या कभी जाप कर लिये और कभी नही किये तो फ़ल मिलना मुश्किल है,कुछ समय की शांति तो मानी जा सकती है लेकिन हमेशा के लिये शांति मिलनी असम्भव है।जिस ग्रह के जाप करने है उसके लिये पहले ग्रह के समय में संकल्प लेना जरूरी है उसके बाद नियमित रूप से निश्चित समय पर जाप करना चाहिये। भूमि तत्व वाले ग्रहों का जाप निश्चित स्थान पर करना होता है,वायु तत्व वाले ग्रहों का जाप किसी भी स्थान पर किये जा सकते है,अग्नि तत्व वाले जाप बिना आहुति के नही किये जा सकते तथा जल तत्व वाले ग्रहों के जाप जल स्थान के किनारे या पास में पानी रखकर ही किये जा सकते है,राहु केतु के जाप सुबह या शाम को ही किये जा सकते है। इस प्रकार से राहु केतु शनि के लिये कितने ही जाप कर लिये जायें जब तक उनका जाप करने के साथ दान नही किया जायेगा वे शांत नही हो सकते है। सूर्य
लाल किताब के अनुसार शुक्र और बुद्ध एक ही जगह हैं, तो वे सूर्य हैं। सूर्य गुरु के साथ है, तो चन्द्र है। सूर्य बुध के साथ है, तो मंगल नेक है। सूर्य शनि के साथ है, तो मंगल बद राहु होगा।सूर्य के लिये भगवान विष्णु की पूजा निश्चित की गयी है,जो मूर्ति पूजक नही है वे सुनहले अक्षरों में लिखे अपने शब्दों की पूजा मानसिक रूप से कर सकते है,जो लोग नास्तिक है वे लोगों को रोशनी का दान भी कर सकते है। रविवार को हरिवंश पुराण का पाठ या सत्यनारायण की कथा भी सूर्य पूजा के लिये श्रेष्ठ मानी गयी है,गायत्री मंत्र का जाप भी नियमित संकल्प करने के बाद ग्यारह माला या श्रद्धानुसार किया जा सकता है। सूर्य जब कुंडली में राहु केतु से ग्रसित हो तो मन्दिरों में दीपक का दान करना चाहिये,राजनीति में अपने कार्यों को दान के स्वरूप देकर लोगों का हित करना चाहिये,घर में मुख्य दरवाजे पर रोशनी का बन्दोबस्त करना चाहिये,घर के बीच का भाग खुला रखना चाहिये,दक्षिण पश्चिम के दरवाजे के घरों में नही रहना चाहिये। समर्थ है तो माणिक को स्वर्ण धातु में पहिनना चाहिये। अगर समर्थ नही है तो तेजपात जो मसाले में प्रयोग किया जाता है के सात पत्ते दोपहर के समय गुलाबी कपडे में तरीके से लपेट कर सिरहाने रखना चाहिये और एक पत्ते को गुलाबी कपडे में ही लपेट कर अपने दाहिने हाथ की भुजा में बांध लेना चाहिये। राहु के लिए तर्पण करना चाहिए,बिना राहु का तर्पण किये सूर्य का ग्रहण समाप्त नही हो सकता है,चाहे कितने ही रत्न और उपाय किये जायें। कारण जब सूर्य को राहु ग्रहण दे रहा होता है तो केतु भी अपनी युति को प्रदान कर रहा होता है। अगर सूर्य वायु राशि में है तो सूर्य मंत्र का जाप,अगर भूमि तत्व वाली राशि में है तो सूर्य से सम्बन्धित मूर्ति पूजा अगर अग्नि तत्व वाली राशि में है तो दीपदान रोशनी दान और हवन आदि से फ़ायदा होता है। अगर राहु बहुत ही बलवान है तो हवन आदि में भ्रम देगा और बजाय ज्वाला बनने के धुंआ ही प्रदान करेगा,इसलिये हवन करते समय धुंआ नही हो इसका भी ध्यान रखना चाहिये। जब सूर्य कमजोरहै तो धारण करने की क्षमता है तो माणिक को सोने में पहिनना चाहिये। सूर्य जब बुरा फ़ल देता है तो योग्यता होने के बाद भी सरकारी क्षेत्र में नही जाने देता है,किसी भी सरकारी कारण से हानि देने लगता है,घर में पिता और पुत्र को कष्ट मिलने लगते है कारावास की सजा मिल जाती है आंखों में रोशनी कम हो जाती है,ह्रदय की बीमारी हो जाती है आत्मा कलुषित हो जाती है और लोगों के लिये थोथी राजनीति में मन लगने लगता है। पेट के अन्दर किसी न किसी प्रकार की गैस आदि बनने लगती है,शरीर में गर्मी बढने से बैचेनी होने लगती है रात को नींद भी नही आती है भोजन का पाचन सही नही हो पाता है हड्डियों वाली बीमारी हो जाती है दांतों में तकलीफ़ होने लगती है। सूर्य यंत्र सिद्ध कीया हुआ पहन सकते हैं मित्रों कुछ उपाय ऐसे होते हैं जो यहा नहीं बताऐक जा सकते वह आपकी कुंडली के द्वारा ही देख कर आप को बताए जा सकते हैं
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