शुक्रवार, 8 मार्च 2019

49 वां साल और क्या कहती है लालकिताब

49 वां साल और लालकिताब

पंचम चेता बारह से,साख मिलेगी ग्यारह से,

ग्यारह नवां विराजे जो,गद्दी सूनी होगी तो,

चौथा बिगड़े दोनों ओर,बजे खोपडा सन सन शोर,

छठे में आकर दूजा बैठा,नवा कर्म का मांगे लेखा,

सप्तम दूजा दे पहिचान,दसवा देता अपनी तान,

तीजा लाभ दिखाता है,अष्टम सप्तम जाता है,

पंचम खाता तीजा देता,दसवा कहता ग्यारह भाग,

छठा सोचता घर में रहकर,नवा दसम में गाये राग.

उनंचास की रीति कही है,लालाकिताबी बात सही है.


अर्थ:-

पांचवे भाव में बारहवा भाव आकर बैठ गया है,जो भी बढ़ोत्तरी होनी है वह नवे घर में जाकर बैठे ग्यारहवे घर से मिलेगी,जब ग्यारहवा घर नवे घर में बैठ जाए और वह खाली हो तो केवल सोच कर ही काम चलाना पड़ता है,कारण पांचवे के अन्दर बैठा बारहवा घर और उसके अन्दर बैठे ग्रह अपनी पूर्ती के लिए खर्चा तो मांगेगे,और जब नहीं मिलेगा तो दूसरा घर जो छठे घर में बैठ गया है,उससे और उसके अन्दर बैठे ग्रह से मांगना शुरू कर देंगे,उसी समय में अगर पहला घर अपने ही घर में विराजमान है यानी जहां पैदा हुए थे वही आकर रहना जरूरी है,अगर गद्दी सूनी है यानी पहला घर खाली है,साथ ही चौथा घर इस समय में आठवे भाव में चला जाता है,जिससे जद्दी मकान,पुराने जान पहिचान वाले जो उम्र की पच्चीसवी साल तक बहुत अच्छे जानकार थे केवल माँगने के लिए आने लगेंगे और अपने बारे में जानकारी करने के बाद कुछ न कुछ मानिसक अपमान देकर चले जायेंगे,उधर चौथे घर में छठा घर विराजमान हो गया,यानी जहां पैदा हुए थे वही आकर रहे तो मानसिक रूप से शारीरिक रूप से पहिचान के रूप से पारिवारिक अक्समात खर्चे के रूप से अधिक सोचने के कारण बीमार होना शरीर में चलने फिरने में दिक्कत का आना,रात की नींद और दिन का चैन समाप्त होना आदि शुरू हो जाएगा,कारण चौथा घर दोनों तरफ से बिगड़ जाता है,इस 49 वी साल में अच्छे का खोपडा बारहवे के पंचम में जाने से रहने के लिए यात्रा के लिए परिवार के लिए केवल खर्चा ही सामने आने लगता है,इस कारण से छठा घर जब चौथे में आजाये तो सोचने के कारण मन से बीमारी तो मानी ही जा सकती है,दूसरा घर जो धन को देने वाला है कुटुंब से सहायता करने वाला है वह जाकर जब छठे घर में बैठ जाए तो केवल कर्जा के बारे में सोचना होता है किये जाने वाले कामो के बदले में धन प्राप्त करने के लिए माना जाता है,बीमारी के लिए खर्चा करना और मानसिक शानित के लिए खर्चा करना माना जाता है,इसके साथ ही जो भाग्य का घर था वह इस उम्र में आकर दसवे घर में बैठ जाता है,यहाँ बैठते ही लाभ को प्राप्त करने के लिए धर्म को देखने लगते है जो भी जानकार और पहिचान वाले होते है वे भाग्य को प्राप्त करने के लिए लाभ देने वाले बन जाते है,कर्म का रूप दसवे में नवा बैठने से धर्म के रूप में बन जाता है,यहाँ गुरु भी अपनी चालाकी से अपने कार्य को करने के लिए अपनी शक्ति को देने लगता है और अपने गुरु धर्म को भूल कर व्यापारी के रूप में सामने आता है,सातवां घर जो सलाह देने के लिए मंत्री का रूप माना जाता है वह भी किसी भी सलाह को देने के लिए फीस की फरामायास करने लगता है,इधर आगे के कार्य को करने के लिए दसवा तीसरे में बैठ जाता है और लिखने बोलने प्रकाशित करने के लिए अपनी शक्ति को प्रकाशित तो करना चाहता है लेकिन जिस चौथे से वह कार्य के लिए सहायता को चाहता है वही बजाय सहायता देने के अस्पताली कारणों से और किये जाने वाले कामो की एवज में नौकरों और काम करने के साधनों के रूप में माँगने लगता है,जो कार्य करने का फल मिलता है वह इसी प्रकार के कारणों में खर्च हो जाता है,देखने के लिए तो तीसरा घर लाभ के घर में जाकर बैठ गया है और जो भी जान पहिचान के लोग और कुटुंब के लोग है समझते है कि बहुत धन आ रहा है और खूब लाभ का कारण बन रहा है लेकिन नवा जो दसवे में जाकर बैठा है वह केवल कहता है देने के लिए कभी कभी के अलावा अपने को असमर्थ बता देता है,जो गुप्त रूप से जानकारी होती है और जो भी जीवन साथी या खुद के जोखिम से काम करने के लिए पहले से बचा कर रखा गया होता है वह कार्य के रूप में कार्य स्थान के रूप में कार्य स्थान पर गुप्त वस्तुओं की खरीद बेच से किये जाने वाले कार्यों के रूप में जाना जाता है,जो कुछ भी कहने से प्रकाशित करने से बताने से और दूसरे की आफत को दूर करने से मिलता है वह परिवार के बाहर रहने से यानी पिछले समय में रहने वाले स्थान के लिए चला जाता है,परिवार और संतान के मामले में केवल खर्चे दिखाई देते है और परिवार के लिए एक ही रूप में देखना पड़ता है कि वह अपने अपने प्रदर्शन से केवल माँगने के लिए माना जाता है,जब भी कोई काम करने के लिए सोचा जाता है या राय माँगी जाती है तो नवे भाव में बैठे ग्यारहवे की तरफ इशारा कर दिया जाता है कि वह ही सहायता करेगा,नवे में ग्यारहवे के होने से इशारा दोस्तों और पहले के कमाए गए धन  तथा मूल्यों से माना जाता है.छठा घर जब रहने वाले स्थान में और मन में होता है तो वह कार्य और कार्य के स्थान के मामले में सोचता है और जब कार्य के लिए कोई कारण सोचता है तो दसवा सामने होने से और दसवे में विराजमान नवा होने से वह अपने राग को कहना शुरू कर देता है कि धर्म को प्रयोग करने के बाद कमाना शुरू कर दो,यह लालाकिताबी कथन उनंचासवी साल के लिए कहा गया है.

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