बुधवार, 12 अक्टूबर 2016

मित्रो अस्त गृहो लेकर वहुँत सी गलतफहमीया है ज्‍योतिष में सौरमण्‍डल के अन्‍य ग्रहों के साथ सूर्य को भी एक ग्रह मान लिया गया है, लेकिन वास्‍तव में सूर्य ग्रह न होकर एक तारा है। ग्रह जहां सूर्य की रोशनी से चमकते हैं वहीं सूर्य खुद की रोशनी से दमकता है। पृथ्‍वी से परीक्षण के दौरान हम देखते हैं कि कई बार ग्रह सूर्य के बहुत करीब आ जाते हैं। किसी भी ग्रह के सूर्य के करीब आने पर ज्‍योतिष में उसे अस्‍त मान लिया जाता है। आमतौर पर दस डिग्री से घेरे में सभी ग्रह अस्‍त रहते हैं। सिद्धांत ज्‍योतिष के अस्‍त के कथन को भी फलित ज्‍योतिष में गलत तरीके से लिया जाने लगा है। अस्‍त ग्रह के लिए यह मान लिया जाता है कि अमुक ग्रह ने अपना प्रभाव खो दिया, लेकिन वास्‍तव में ऐसा नहीं होता। ग्रह खुद की किरणें भेजने के बजाय नक्षत्रों से मिली किरणें जातकों तक भेजते हैं। बुध और शुक्र सूर्य के सबसे करीबी ग्रह हैं। छोटे कक्ष में लगातार चक्‍कर लगा रहे ये ग्रह सर्वाधिक अस्‍त होते हैं। अन्‍य ग्रह भी समय समय पर अस्‍त और उदय होते रहते हैं। फलित ज्‍योतिष के अनुसार इन ग्रहों के अस्‍त होने का वास्‍तविक अर्थ यह है कि नक्षत्रों (तारों के समूह) से मिल रहे किरणों के प्रभाव को अब ग्रह सीधा भेजने के बजाय सूर्य के प्रभाव के साथ मिलाकर भेज रहे हैं। ऐसे में ग्रह का प्रभाव यथावत तो रहेगा ही उसमें सूर्य का प्रभाव भी आ मिलेगा। इसी वजह से तो बुधादित्‍य के योग को हमेशा बेहतरीन माना गया है। लेकिन यह योग 4 5 9 भाव मे अपना प्रभाव ही माना जा सकता है

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