सोमवार, 17 अक्टूबर 2016

जीवन मन्त्र ...............अपनी आवश्यकता को कंट्रोल में रखिये, फिजूल खर्ची और दिखावे से बचिए अपने जीवन को सिर्फ पैसों की दौड़ में ही व्यर्थ ना कीजिये, पैसे के अलावा भी बहुत कुछ.......बहुत कुछ है जीवन में जीने का पूरा-पूरा लुत्फ़ भी उठाईये. तभी हमारा जीवन सार्थक होगा जब हम हवन द्वारा पूजा करते हैं तो हवन सामग्री थोड़ी-थोड़ी देर में हवन कुंड में डालते है. यदि उस हवन कुंड में सामाग्री बहुत देर से डालें तो अग्नि ही ख़त्म हो जायेगी लेकिन यदि सारी सामाग्री हमनें इसलिए बचाए रखा कि आख़िर में सामग्री काम आएगी तो उसे अंत में डालने पर इतना धुवां फैलेगा कि आँखें जलने लगेगी और गर्मी से वहाँ बैठना ही मुश्किल हो जायेगा. पर ऐसा ही हम करते हैं. यही हमारी फितरत है. या तो हम इतनी कंजूसी से जीते हैं कि जीने का रस ही नहीं ले पाते. और या हम अंत के लिए बहुत कुछ बचाए रखते हैं. हम समझ ही नहीं पाते कि हर पूजा खत्म होनी होती है. हम ज़िंदगी जीने की तैयारी में ढेरों चीजें जुटाते रहते हैं, पर उनका इस्तेमाल नहीं कर पाते. हम कपड़े खरीद कर रखते हैं कि फलां दिन पहनेंगे, फलां दिन कभी नहीं आता. हम पैसों का संग्रह करते रहते हैं ताकि एक दिन हमारे काम आएगा, वो एक दिन नहीं आता और फिर एक दिन अचानक ही ऊपर से बुलावा आ जाता है. ज़िंदगी की पूजा खत्म हो जाती है और हवन सामग्री बची ही रह जाती है. हम बचाने में इतने खो जाते हैं कि हम समझ ही नहीं पाते कि जब सब कुछ होना हवन कुंड के हवाले है, उसे बचा कर क्या करना? बाद में तो वो सिर्फ धुंआ ही देगा अगर ज़िंदगी की हवन सामग्री का इस्तेमाल हम पूजा के समय सही अनुपातम में करते चले जाएं, तो न धुंआ होगी, न गर्मी न आंखें जलेंगी ध्यान रहे, संसार हवन कुंड है और जीवन पूजा. एक दिन सब कुछ हवन कुंड में समाहित होना है. अच्छी पूजा वही होती है, जिसमें हवन सामग्री का सही अनुपात में इस्तेमाल हो जाता है. अच्छी ज़िंदगी वही होती है, जिसमें हमें संग्रह करने के लिए मेहनत न करनी पड़े. हमारी मेहनत तो बस ज़िंदगी को जीने भर जुटाने की होनी चाहिए और थोड़ा इमरजेंसी जितना बचाकर रखना चाहिए और कुछ अपनी अगली पीढी के लिए.

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