गुरुवार, 30 मार्च 2017

चंद्रग्रह पोस्ट नंबर दो चन्द्रमा शुभ ग्रह है.यह शीतल और सौम्य प्रकृति धारण करता है.ज्योतिषशास्त्र में इसे स्त्री ग्रह के रूप में स्थान दिया गया है.यह वनस्पति, यज्ञ एवं व्रत का स्वामी ग्रह है. लाल किताब में सूर्य के समान चन्द्रमा को भी प्रभावशाली और महत्वपूर्ण माना गया हैटेवे में अपनी स्थिति एवं युति एवं ग्रहों की दृष्टि के अनुसार यह शुभ और मंदा फल देता है. लाल किताब में खाना नम्बर चार को चन्द्रमा का घर कहा गया है चन्द्रमा सूर्य और बुध के साथ मित्रपूर्ण सम्बन्ध रखता है.शुक्र, शनि एवं राहु के साथ चन्द्रमा शत्रुता रखता है.केतु के साथ यह समभाव रखता है.मिथुन और कर्क राशि में यह उच्च होता है एवं वृश्चिक में नीच.सोमवार चन्द्रमा का दिन होता है.लाल किताब के टेवे में 1, 2, 3, 4, 5, 7 एवं 9 नम्बर खाने में चन्द्रमा श्रेष्ठ होता है जबकि 6,7, 10, 11 एवं 12 नम्बर खाने में मंदा होता है. राशि के साथ सप्तम खाने में चन्द्रमा होने से धन एवं जीवन के सम्बन्ध में उत्तम फल मिलता है.कुण्डली में चतुर्थ भाव यानी चन्द्र का पक्का घर अगर खाली हो और इस पर उच्च ग्रहों की दृष्टि भी न हो और अन्य ग्रह अशुभ स्थिति में हों तब भी चन्द्रमा व्यक्ति को अशुभ स्थितियों से बचाता और शुभता प्रदान करता है. जब चन्द्रमा पर शुक्र, बुध, शनि, राहु केतु की दृष्टि होती है तो मंदा फल होता हैं जबकि इसके विपरीत चन्द्र की दृष्टि इन ग्रहों पर होने से ग्रहों के मंदे फल में कमी आती है और शुभ फल मिलता है.चन्द्र के घर का स्थायी ग्रह शत्रु होने पर भी मंदा फल नहीं देता है. इस विधा में कहा गया है कि चन्द्रमा अगर टेवे में किसी शत्रु ग्रह के साथ हो तब दोनों नीच के हो जाते हैं जिससे चन्द्रमा का शुभ फल नहीं मिलता है.लाल किताब में खाना नम्बर 1, 4, 7 और 10 को बंद मुट्ठी का घर कहा गया है.इन घरो में स्थित ग्रह अपनी दशा में व्यक्ति को अपनी वस्तुओं से सम्बन्धित लाभ प्रदान करते हैं.चन्द्रमा देव ग्रह है,तथा सूर्य का मित्र है,मंगल भी गुरु भीसूर्य और चन्द्रमा अगर किसी भाव में एक साथ होते है,तो कारकत्व के अनुसार फ़ल देते है,सूर्य पिता है और चन्द्र यात्रा है,पुत्र को भी यात्रा हो सकती है,एक संतान की उन्नति बाहर होती है।अगर जन्मकुंडली में अकेला चंद्र हो और उस पर किसी दूसरे ग्रह की नजर (दृष्टि) न हो तो जातक हर हालत में अपने कुल की हिफजत करता है। उसका बर्ताव दया और नम्रतापूर्ण रहता है। जातक में अपने ऊपर आने वाले किसी भी आघात, दोष, यहां तक कि फांसी की सजा भी खारिज करवाने की बेमिसाल ताकत होती है। चंद्र कर्क राशि का स्वामी है। यह अपने मित्र ग्रह बृहस्पति, मंगल एवं सूर्य पर अपना कुछ प्रभाव डालकर स्वयं बुरी स्थिति से बच जाता है। चंद्र चौथे घर का हर तरह से मालिक है। यह शनि के शत्रु सूर्य से मित्रता निभाने के लिए शनि के समय रात को भी सूर्य की तरह प्रकाश फैलाता है और शनि के अंधेरे को नष्ट करने का प्रयास करता है।मन की शांति और दिल में चैन पैदा करने वाला, गंगा की तरह सबकी गंदगी को अपने अंदर समेटकर साफ-सुथरा रूप देने वाला तथा गर्मी को ठंडक में बदल देने वाला ग्रह चंद्र है। इसे माता का प्रतीक माना गया है, इसलिए सभी ग्रह इसके कदमों में सिर झुकाकर बुराई न करने की कसम खाते है। चंद्र के शत्रु राहु, केतु और शनि है। यदि पापी ग्रह शनि, राहु और केतु कुंडली के चौथे घर (जो च्रंद का घर है) में हो तो जातक का बुरा नहीं कर पाते। चंद्र के संपर्क में आने के बाद इनकी बुराई खुद-ब-खुद खत्म हो जाती है।ज्योतिष में चन्द्र और शनि का योग विष योग के नाम से प्रसिद्ध है। इसका कारण ज्योतिष में शनि को जहर का कारक माना जाना है। चन्द्र पानी का कारक होता है और जब उसमे शनि का जहर मिल जाता है तो वो जहरीला हो जाता है। चंद्र दूध का भी कारक होता है और जब दूध में जहर मिलता है तो सफेद से नीला हो जाता है और नीला रंग राहु का माना गया है और शनि का भी अर्थात इन दोनों ग्रहों का पूर्ण प्रभाव जातक पर पड़ता है।चंद्र हमारे मन और मानसिक सुख का कारक है तो शनि उदासी और वैराग्य के कारक होते है। जब चंद्र को शनि का साथ मिलता है तो उस जातक में चंद्र की चंचलता समाप्त हो जाती है। इस पर शनि की उदासी हावी हो जाती है। जातक मानसीक रूप से अशांत रहने लग जाता है और उसमे एक वै राग्य की भावना का जन्म होने लग जाता है। सभी जानते हैं की चंद्रमा हमारी माता का भी कारक होता है और शनि का प्रभाव जातक की माता को भी स्वास्थ्य से सम्बंधित समस्या प्रदान करता है। यदि आपने ध्यान दिया होगा तो अमावस्या की काली रात जो की शनि की होती है उसमे चन्द्र नही निकलता है । शनि के अंधेरे में चंद्र गुम हो जाता है। यानी जब शनि का पूर्ण अशुभ प्रभाव चन्द्र पर हो तो जातक को चन्द्र से संबंधित समस्या का सामना करना पड़ जाता है। लाल किताब में भी चंद्र को धन और शनि को खजांची कहा गया है और जब इन दोनों का साथ हो तो जातक के धन की रखवाली जहरीला सांप करता है। यानी जातक के पास धन हो तो भी वो उसका प्रयोग नही कर सकता यानी धन की थैली पर सांप कुण्डली मार कर बैठ जाता है।यदि चन्द्रमा की दृष्टि शनि पर हो तो चन्द्रमा पर दुष्प्रभाव नही होता। यदि शनि की दृष्टि चन्द्रमा पर हो तो चन्द्रमा के फल का विपरीत प्रभाव पड़ता है। चन्द्रमा में शनि का विष आये बिना नही रहेगा।शनि द्वारा शासित जातक शुक्र से सम्ब्नधित वस्तुए के व्यापार में लाभ प्राप्त नही कर सकेगा। यदि राहु - केतु या शनि की दृष्टि चन्द्रमा पर हो तो द्रष्टा ग्रह से सम्बंधित जातक के सबंधी पर अशुभ फलो का प्रभाव होगा। जब सूर्य और मंगल साथ साथ एक ही भाव में हो तो चन्द्रमा प्राय: लाभ का ग्रह नही होता। जब चन्द्रमा की दृष्टि गुरु पर हो तो 2 में बुध, 5 में शुक्र, 9 में राहु तथा 12 में शनि हो तो चन्द्रमा शुभ फल नही देता। यदि 2, 4 या 8 खली होने के कारण सुप्त हो तो चन्द्रमा का उपाए करना चाहिए। ग्रहों के 35 साला दौरे में चन्द्रमा को एक साल मिला है। चंद्र बुरे घरों में हों और उनको शनि, राहू, केतू पीड़ित कर रहे हों तो ऐसे जातक के रूपये पैसे या प्रॉपर्टी पर दुसरे लोग मौज करते हैं। चंद्र भी मन्दे हों और उसी समय बुध भी मन्दे हाल हों और दोनों नीच या अपने दुश्मन ग्रहों से संबंध (कन्सर्न) करें तो सोच ख़राब हो जाती है और इज्जत मान भी नष्ट हो जाता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में चन्द्र नीच के या मन्दे हाल हों तो ऐसे व्यक्ति को समझाना या नसीहत देने का कोई लाभ नहीं मिलता क्योंकि ऐसा व्यक्ति जिद्दी हो जाता है और अपने आगे किसी की नही सुनता। जिस कुंडली में चन्द्र और गुरु दोनों मन्दे नीच या दुश्मन ग्रहों से पीड़ित हो रहे हों तो ऐसा जातक दो नम्बर के कामों की तरफ जल्दी आकर्षित हो जाता है। वाकी आगे मित्रों अगर आप की ज़िंदगी में कोई भी समस्या चल रही है और आप उससे निजाद पाना चाहते है तो मुझ से समर्पक कर सकते हैऔर मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों को मुहैया करवा सकूँ। हमारी service paid है आचार्य राजेश 09414481324 07597718725

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