आचार्य राजेश (ज्योतिष,वास्तु , रत्न , तंत्र, और यन्त्र विशेषज्ञ ) जन्म कुंडली के द्वारा , विद्या, कारोबार, विवाह, संतान सुख, विदेश-यात्रा, लाभ-हानि, गृह-क्लेश , गुप्त- शत्रु , कर्ज से मुक्ति, सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक ,पारिवारिक विषयों पर वैदिक व लाल किताबकिताब के उपाय ओर और महाकाली के आशीर्वाद से प्राप्त करें07597718725-०9414481324 नोट रत्नों का हमारा wholesale का कारोबार है असली और लैव टैस्ट रत्न भी मंगवा सकते है
रविवार, 26 मार्च 2017
शुक्रग्रह भाग नंबर २ मित्रों आज भी हम शुक्र के बारे में ही बात करेंगे ज्योतिष की इस विधा में वैवाहिक जीवन के सुख विवाह और वैवाहिक सुख के लिए शुक्र सबसे अधिक जिम्मेवार होता है. इस विषय में लाल किताब और भी बहुत कुछ कहता है. यदि शुक्र जन्म कुण्डली में सोया हुआ है तो स्त्री सुख में कमी आती है. राहु अगर सूर्य के साथ योग बनाता है तो शुक्र मंदा हो जाता है जिसके कारण आर्थिक परेशानियों के साथ साथ स्त्री सुख भी बाधित होता है. लाल किताब में लग्न, चतुर्थ, सप्तम एवं दशम भाव बंद मुट्ठी का घर है. इन भाव के अतिरिक्त किसी भी अन्य भाव में शुक्र और बुध एक दूसरे के आमने सामने बैठे हों तो शुक्र पीड़ित होकर मन्दा प्रभाव देने लगता है. इस स्थिति में शुक्र यदि खाना १२ में होता है तो मन्दा फल नहीं देता है.कुण्डली में खाना संख्या 1 में शुक्र हो और सप्तम में राहु तो शुक्र को मंदा करता है जिसके कारण दाम्पत्य जीवन का सुख नष्ट होता हे अगर एक दूसरे से छठे और आठवें घर में होते हैं तो टकराव के ग्रह बनते हैं. सूर्य और शनि कुण्डली में टकराव के ग्रह बनते हैं तब भी शुक्र मंदा फल देता है जिससे गृहस्थी का सुख प्रभावित होता है. पति पत्नी के बीच वैमनस्य और मनमुटाव रहता है.पीड़ित शुक्र से प्रभावित जातक की जिंदगी में सुख की बेहद न्यूनता हो जाती है, उसे पग-पग पर संघर्ष करना पड़ता है, भोग-वैभव उससे कोसों दूर रहते हैं, मानसिक रूप से ऐसे व्यक्ति एक नीरस इंसान की तरह लोगों के बीच जाना जाता है ज्योतिष मे स्त्री ग्रह का दर्जा दिया है। शुक्र को वास्तव में स्त्री ग्रह का दर्जा तो दिया गया है,लेकिन इसका वास्तविक प्रभाव प्रत्येक जीवधारी में बराबर का मिलता है,पुरुष के अन्दर स्त्री अंगों की उपस्थिति भी इस ग्रह का भान करवाती है। जिस प्रकार से मंगल की गर्मी गुस्सा और उत्तेजना को पुरुष और स्त्री दोनो के अन्दर समान भाव में पाया जाना है,उसी प्रकार से शुक्र का प्रभाव स्त्री और पुरुष दोनो के अन्दर समान भाव में पाया जाता है।शुक्र को आनन्द का ग्रह कहा जाता है,वैसे सभी ग्रह अपने अपने प्रकार का आनन्द प्रदान करते है,सूर्य राज्य का आनन्द प्रदान करवाता है,मंगल वीरता और पराक्रम का आनन्द प्रदान करवाता है,चन्द्र भावुकता का आनन्द देता है,बुध गाने बजाने का आनन्द देता है,गुरु ज्ञानी होने का आनन्द देता है,शनि समय पर कार्य को पूरा करने का आनन्द देता है। शुक्र आनन्द की अनुभूति जब देता है,जब किसी सुन्दरता के अन्दर प्रवेश हो,भौतिक रूप से या महसूस करने के रूप से,जैसे भौतिक रूप से किसी वस्तु या व्यक्ति को सुन्दरता के साथ देखा जाये,महसूस करने के रूप से जैसे किसी की कला का प्रभाव दिल और दिमाग पर हावी हो जावे।शुक्र आनन्द के साथ दर्द का कारक भी है,जब हम किसी प्रकार से सुन्दरता के अन्दर प्रवेश करते हैं तो आनन्द की अनुभूति होती है,और जब किसी भद्दी जगह या बुरे व्यक्ति से सम्पर्क करते है तो कष्ट भी होता है। स्त्री कारक ग्रह है। इसलिए इस घर (खाना नं 6) में शुक्र होने पर जो वैर - विरोध पैदा होता है वो अधिकतर स्त्रिओं की ओर से और स्त्रिओं के कारण होता है। उसके शत्रु भी स्त्री स्वभाव के होंगे। ये शत्रु उस व्यक्ति के साथ बहुत ईर्ष्या रखते है और उसके बारे में दूसरे लोगों के पास झूठी - सच्ची बातों से उसे बदनाम करने की कोशिश करते है और किसी हद तक अपनी कोशिशों में सफल भी होते है। इस घर का शुक्र मीठा मीठा बोलने वाले दुश्मन पैदा करता है। जो की ठीक ही प्रतीत होता है। इसका कारण यह है की छठा घर बुध का पक्का घर है और बुध एक स्त्री गृह होने के साथ चुस्ती और होशियारी का ग्रह भी हैं जिसकी जुबान में मिठास है। अतः शुक्र जैसे ग्रह का छठे घर में होना स्वाभाविक ही है कि वो ऐसे शत्रु पैदा करेगा, जिनकी बोली में शहद और बगल में छुपा हुआ खंजर जैसे ही किसी का छठे घर का शुक्र अपना बुरा फल देना शुरू करता हैं वैसे ही उसके दायें या बाएं हाथ का अंगूठा बिना किसी चोट के ही दर्द करने लगता है। ऐसी हालत में साधारण सा ये उपाय हैं कि फटे पुराने गंदे कपडे न पहने, साफ़ सुथरे कपडे पहने अगर हो सके तो दिन में दो बार कपडे बदले और इत्र परफ्यूम आदि का प्रयोग करे। यदि यहाँ का शुक्र पत्नी की सेहत के बारे में , औलाद के बारे में या व्यक्ति के अपने सम्मान के बारे में अशुभ फल दे रहा हो तो यह सबसे उपयुक्त उपाय होगा की उस व्यक्ति की पत्नी कभी भी नंगे पाँव जमीन पर न चले। कारण यह है की इस घर का शुक्र पाताल का शुक्र है। छठे घर को पाताल कहा गया है, इसलिए जमीन की तह के नीचे पड़ा हुआ है। लेकिन जब उसकी कारक स्त्री के नंगे पाँव जमीन को छु लेंगे तो पाताल में पड़ा हुआ प्रभाव ऊपर जमीन पर आ जाएगा। हो सके तो कोई भी व्यक्ति अपनी पत्नी को नंगे पाँव कभी न चलने दे।जातक का शुक्र कुंडली में अस्त होता है,तो तमाम प्रकार के वीर्य विकार पाये जाते है,पुरुष की कुन्डली में सूर्य के साथ शुक्र होने पर संतान बडी मुश्किल से पैदा होती है,और अधिकतर गर्भपात के कारण देखे जाते है,स्त्री की कुन्डली में शुक्र और मंगल की युति होने पर पति पत्नी हमेशा एक दूसरे से झगडते रहते है,और जीवन भर दूरियां ही बनी रहती है। अक्सर शुक्र अस्त वाला जातक पागलों जैसी हरकतें किया करता है,उसके दिमाग में बेकार के विकार पैदा हुआ करते है,वह बेफ़जूल के संकल्प मन में ग्रहण किया करता है,और उन संकल्पं के माध्यम से अपने आसपास के लोगों को परेशान किया करता है। शुक्र की धातु के लिये कोई भी धातु जिस पर कलाकारी और खूबशूरती का जामा पहिनाया गया हो मानी जाती है,अनाजों और सब्जियों तथा फ़लों में इसके स्वाद के साथ पकाने और प्रयोग करने की क्रिया को माना गया है। खैर वात करते हैं लाल किताब में अष्टम शुक्र की कालपुरुष की दूसरी राशि के स्वामी के मौत के घर में चला जाना अतः ऐसे इंसान के यहां क़र्ज़ की संभावना बनी रहती है। ऐसा इंसान का अपने पार्टनर से कभी भी अच्छा सम्बन्ध नहीं होता। इसको ऐसे कहा जा सकता हैं कि ऐसे शुक्र वाले का जायज सम्बन्ध तो सूली पे चढ़ जाता हैं उसे संतुष्टि नहीं मिलती लेकिन नाजायज सम्बन्ध ही उसको संतुष्टि देते हैं। ऐसे लोगों को काले रंग की गाय को 8 रविवार आटे का पेड़ा देना चाहिए। अगर हो सके तो आगे भी करते रहे। क्योंकि शुक्र गाय हैं , पर आठवें घर में अर्थात अँधेरे के घर में , यह गाय काले रंग की हो जाती हैं। आटे का पेड़ा सूर्य की वस्तु हैं और रविवार सूर्य का वार है। सो इस शुक्र के अँधेरे को, उसके दुश्मन ग्रह सूर्य से रोशन करना हैं।आठवें शुक्र को जली मिटटी की चांडाल औरत कहा गया है। आठवें शुक्र वाले की पत्नी सख्त स्वभाव की होती हैं। औरत की जुबान से निकला हर शब्द पत्थर की लकीर होगा।अगर किसी के लिए बुरा कहेगी तो तुरंत सच हो जाता हैं। लेकिन अछा कहने पे जरूरी नहीं। अगर ऐसा इंसान अपनी पत्नी को तंग करेगा तो शुक्र का फल दोनों के के लिऐ मंदा होगा। ऐसे इंसान की शादी यदि 25 वर्ष तक हो जाये तो तो बहुत अशुभ होगा। शुक्र 8 के समय यदि खाना नंबर २ खाली हो तो देखा जाता हैं की बुजर्गों का सर पे साया नहीं होता। चन्द्र - मंगल या बुध अच्छी हालत होने पे ही शुक्र का असर कम हो सकता हैं।जब सूर्य के साथ या सूर्य की दृष्टि में शनि आ जाएँ तब शुक्र से मिलने वाले सुखों में कमी होती है। जब सूर्य के साथ शुक्र एक ही घर में या किसी वर्ष फल में सूर्य की दृष्टि शुक्र के ऊपर पड़ रही हो तब भी शुक्र के सुखो में कमी हो जाती है। जब सूर्य शुक्र के पक्के घर 7 में बैठ जाएँ तब भी शुक्र के फलों में परेशानी होतीहै जब सूर्य घर 12 जोकि बिस्तर के सुखों का घर है बंहा पर सूर्य बैठ कर शुक्र के सुखो का नाश करते हैं। क्योंकि बिस्तर के सुख का कारण शुक्र हैं। साथ ही शुक्र को फूल भी बोला जाता है और सूर्य तो आग का विशाल गोला है तो आग के पास फूल जल जाता है और हाँ एक बात और कि सूर्य 12 बाले जातक का जीवन साथी बिस्तर पर प्यार कम और झगड़ा ज्यादा करता है। इस प्रकार से सूरय शुक्र को हानि पहुंचाते हैं।मित्रों अगर आपकी भी कोई समस्या है जहां आप अपनी कुंडली के बारे में कोई उपाय पूछना चाहते हैं जहां आप अपनी कुंडली बनवाना जा दिखाना चाहते हैं तो आप संपर्क करें हमारी सर्विस paid है अधिक जानकारी के लिए हमारे इन नंबरों पर संपर्क करें 09414481324 07597718725
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