शुक्रवार, 17 मार्च 2017

ज्योतिष एक ऐसा शब्द है, जिसका प्रारदूरभाव हमारे जीवन मे हमारे पैदा होने से पहले ही हो जाता है। हमारे जीवन के हर क्षेत्र मे ज्योतिष एक विशेष भूमिका निभाने लगा है। इस शब्द का प्रभाव हमारे जीवन मे इतना है की, हम इससे दूर नहीं जा पाते मेरा मानना है की यदि कोई मत हमे सकारात्म्क ऊर्जा दे रहा है तो उसका पालन करने मे कोई हर्ज नहीं है कहा जाता है की ज्योतिष विज्ञान है, “जो लोग ज्योतिष क्षेत्र में अपने फन आजमा रहे हैं या जिनकी आजीविका का आधार ही ज्योतिष है उन सभी लोगों को चाहिए कि जनता का विश्वास अर्जित करें और इस बात के लिए अपनी प्रामाणिकता सिद्ध करें कि इनकी वाणी से निकला अथवा इनके ज्योतिषीय ज्ञान से उपजी भविष्यवाणी निश्चय ही खरी निकलती है मेरा अनुभव कहता है। ज्योतिष शास्त्र की भविष्य वाणी वैसी ही होती है; जैसे अर्थ शास्त्र की भविष्य वाणी होती है लेकिन इसका मतलब यह भी नही यह मान कर बैठ जाएं कि जो भाग्य में लिखा है वही मिलेगा तो जीवन ज्यादा संघर्षमय हो जाएगा। हमारा स्वभाव स्वयं का भाग्य बनाने का होना चाहिए ना कि यह मान लेने का कि जो किस्मत में होगा वह तो मिलेगा ही। कई बार लोग इस विश्वास में कर्म में मुंह मोड़ लेते हैं। फिर हाथ में आती है सिर्फ असफलता। भाग्य को मानने वालों को कर्म में विश्वास होना चाहिए। भाग्य के दरवाजे का रास्ता कर्म से ही होकर गुजरता है। कोई कितना भी किस्मतवाला क्यों ना हो, कर्म के सहारे की आवश्यकता उसे पड़ती ही है। बिना कर्म के यह संभव ही नहीं है कि हम किस्मत से ही सब कुछ पा जाएं। हां, यह तय है कि अगर कर्म बहुत अच्छे हों तो भाग्य को बदला जा सकता है बिना कर्म कोई ज्योतिष काम नहीं करेगा। हम अक्सर सड़कों से गुजरते हुए ट्राफिक सिग्रल देखते हैं। वे हमें रुकने और चलने का सही समय बताते हैं। ज्योतिष या भाग्य भी बस इसी ट्राफिक सिग्रल की तरह होता है। कर्म तो आपको हर हाल में करना ही पड़ेगा। भाग्य यह संकेत कर सकता है कि हमें कब कर्म की गति बढ़ानी है, कब, कैसे और क्या करना है। आकाश मंडल में ग्रहों की चाल और गति का मानव जीवन पर सूक्ष्म प्रभाव पड़ता है। इस प्रभाव का अध्ययन जिस विधि से किया जाता है उसे ज्योतिष कहते हैं। भारतीय ज्योतिष वेद का एक भाग है। वेद के छ अंगों में इसे आंख यानी नेत्र कहा गया है जो भूत, भविष्य और वर्तमान को देखने की क्षमता रखता है। वेदों में ज्योतिष को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। भारतीय ज्योतिष फल प्राप्ति के विषय में जानकारी देता है साथ ही अशुभ फलों और प्रभावो से बचाव का मार्ग भी देता है पर इसके साथ साथ स्वयं पर और अपने ईश्वर पर विश्वास करें। सही कार्य करें, सही निर्णय लें, दयालु बनें और कभी हार न मानें। फिर आप कठिनाइयों एवं रुकावटों के बीच अपनी राह बना लेंगे जैसे कि एक नदी धरती व चट्टानों के बीच बहती आज इतना ही आचार्य राजेश

ज्योतिष एक ऐसा शब्द है, जिसका प्रारदूरभाव हमारे जीवन मे हमारे पैदा होने से पहले ही हो जाता है। हमारे जीवन के हर क्षेत्र मे ज्योतिष एक विशेष भूमिका निभाने लगा है। इस शब्द का  प्रभाव हमारे जीवन मे इतना है की, हम  इससे दूर नहीं जा पाते मेरा मानना है की यदि कोई मत हमे सकारात्म्क ऊर्जा दे रहा है तो उसका पालन करने मे कोई हर्ज नहीं है  कहा जाता है की ज्योतिष विज्ञान है, “जो लोग ज्योतिष क्षेत्र में अपने फन आजमा रहे हैं या जिनकी आजीविका का आधार ही ज्योतिष है उन सभी लोगों को चाहिए कि जनता का विश्वास अर्जित करें और इस बात के लिए अपनी प्रामाणिकता सिद्ध करें कि इनकी वाणी से निकला अथवा इनके ज्योतिषीय ज्ञान से उपजी भविष्यवाणी निश्चय ही खरी निकलती है
मेरा अनुभव कहता है। ज्योतिष शास्त्र की भविष्य वाणी वैसी ही होती है; जैसे अर्थ शास्त्र की भविष्य वाणी होती है लेकिन इसका मतलब यह भी नही यह मान कर बैठ जाएं कि जो भाग्य में लिखा है वही मिलेगा तो जीवन ज्यादा संघर्षमय हो जाएगा। हमारा स्वभाव स्वयं का भाग्य बनाने का होना चाहिए ना कि यह मान लेने का कि जो किस्मत में होगा वह तो मिलेगा ही। कई बार लोग इस विश्वास में कर्म में मुंह मोड़ लेते हैं। फिर हाथ में आती है सिर्फ असफलता।
भाग्य को मानने वालों को कर्म में विश्वास होना चाहिए। भाग्य के दरवाजे का रास्ता कर्म से ही होकर गुजरता है। कोई कितना भी किस्मतवाला क्यों ना हो, कर्म के सहारे की आवश्यकता उसे पड़ती ही है। बिना कर्म के यह संभव ही नहीं है कि हम किस्मत से ही सब कुछ पा जाएं। हां, यह तय है कि अगर कर्म बहुत अच्छे हों तो भाग्य को बदला जा सकता है बिना कर्म कोई ज्योतिष काम नहीं करेगा। हम अक्सर सड़कों से गुजरते हुए ट्राफिक सिग्रल देखते हैं। वे हमें रुकने और चलने का सही समय बताते हैं। ज्योतिष या भाग्य भी बस इसी ट्राफिक सिग्रल की तरह होता है। कर्म तो आपको हर हाल में करना ही पड़ेगा। भाग्य यह संकेत कर सकता है कि हमें कब कर्म की गति बढ़ानी है, कब, कैसे और क्या करना है।
आकाश मंडल में ग्रहों की चाल और गति का मानव जीवन पर सूक्ष्म प्रभाव पड़ता है। इस प्रभाव का अध्ययन जिस विधि से किया जाता है उसे ज्योतिष कहते हैं। भारतीय ज्योतिष वेद का एक भाग है। वेद के छ अंगों में इसे आंख यानी नेत्र कहा गया है जो भूत, भविष्य और वर्तमान को देखने की क्षमता रखता है। वेदों में ज्योतिष को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।  भारतीय ज्योतिष फल प्राप्ति के विषय में जानकारी देता है साथ ही अशुभ फलों और प्रभावो से बचाव का मार्ग भी देता है पर इसके साथ साथ स्वयं पर और अपने ईश्वर पर विश्वास करें। सही कार्य करें, सही निर्णय लें, दयालु बनें और कभी हार न मानें। फिर  आप कठिनाइयों एवं रुकावटों के बीच अपनी राह बना लेंगे जैसे कि एक नदी धरती व चट्टानों के बीच बहती आज इतना ही     आचार्य राजेश

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