सोमवार, 20 मार्च 2017

रिश्ते और ग्रह नक्षत्तर मित्तरो ग्रह नक्षत्रों व रिश्तों का एक अनोखा व अटूट सम्बन्ध होता है. आपके पारिवारिक रिश्ते ग्रह व नक्षत्रों से प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े होते हैं. नक्षत्र यानि आकाश के तारों का समूह व ग्रह यानि आकाश में स्थापित अन्य पिंड. ग्रह व नक्षत्र हमारे आपसी रिश्ते / नातों पर प्रभाव डालते हैं. ये बिल्कुल सत्य है. लाल किताब के अनुसार हमारी जिंदगी से जुड़ने वाला हर रिश्ता किसी ना किसी ग्रह का सूचक है. हमारी कुंडली में जो ग्रह जहाँ स्थित है, वो रिश्ता वहीँ से हमारी ज़िन्दगी में भी आता हैयदि किसी ग्रह की दशा खराब चल रही है तो उस से जुड़े रिश्ते पर ध्यान देने से लाभ प्राप्त होगा. कुंडली का प्रत्येक भाव किसी ना किसी रिश्ते अथवा रिश्तेदार से प्रभावित होता है और इसीलिए कुंडली में यदि कोई ग्रह कमजोर है तो उस से जुड़े रिश्ते को मजबूत बनाने की कोशिश करें व अपने आपसी संबंधों में सुधार व बदलाव लायें.. जिंदगी की आपाधापी में रिश्ते कहीं खो गए हैं शायद इसीलिए अब लोग दुखी है सो तरा के उपाय हम कर रहे हैं लेकिन अपने रिश्तो को नहीं सुधारतेमाता-पिता, भाई-बहिन,पति पत्नी, मित्र पड़ोसी सगे-सम्बन्धी इत्यादि संसार के अजितने भी रिश्ते नाते है। सब मिलते है। क्योंकि इन सबको हमें या तो कुछ देना होता है या इनसे कुछ लेना होता है।जन्म पत्रिका के बाहर भावों में ग्रह और सामाजिक रिश्ते अलग-अलग भाव से होते है।व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों ग्रह स्वामी ,ग्रहों के आपसी संबंध, ग्रहों की दृष्टि, आदि का प्रभाव व्यक्ति के संबंधों पर पड़ता है। जो की परिवारजनों के संबंधों को अनुकूल बनाता है। रिश्ते की बुनियाद प्यार और विश्वास हर टिकी होती है। इसलिए अाजकल के समय में जितना रिश्तों को बनाना अासान है उतना ही बनाएं रखना मुश्किल हो गया है। इसके लिए आपको हर रिश्ते की अच्छे से देखभाल करने के लिए अपने रिश्ते को ज्यादा समय देकर और समझदारी से बना कर रखना चाहिए ताकि अापका रिश्ता कमजोर न हों। ऐसे में अगर आपके रिश्ते में कोई गलतफहमी हो या फिर दूरिया हो तो अापके अापकी प्यार से इन्हें दूर करेबदलते जमाने के साथ हर किसी की सोच बदल गई है, तो एेसे ही हर परिवार में बदलती सोच के साथ परिवार भी बिखर गए हैं। पुराने समय में सभी एक साथ एक परिवार बन कर रहते थें पर अब अलग-अलग रहने लगे हैं। एेसे में हर किसी के लिए उन रिश्तों की अहमियत बढ़ जाती है जो खून के न हों, जैसे दोस्ती, व्यापारिक या आसपड़ोस के रिश्ते। एेसे रिश्ते हमारी जरूरतों की वजह से बनते हैं। एेसे में हमें खून के रिश्तों को भी समय देकर और समझदारी से निभाना चाहिएइसलिए दोस्तों अगर आपके ग्रह छप्पर ठीक नहीं चलोगे तो सबसे पहले आपसे बंधुओं को सुधारें उसके बाद ही ज्योतिष उपाय काम करेंगे जब तक आपके अपने आप से दूर है यानी माता-पिता भाई-बहन पड़ोसीं।इनसे आप अपने रिश्ते की करें और इन से मधुर संबंध बनाएंग्रह और संबंध :ग्रह अनुकूल होने पर ग्रहों के अनुसार संबंध ठीक रहते हैं। अपने रिस्तो पर नजर डाले । देखें आपका कौन सा सम्बन्धी आपसे संतुस्ट नही है ,उससे सम्बंधित ग्रह आपका ख़राब होगा। जैसे आपकी माँ आपसे रूठी है तो चन्द्रमाँ आपका अच्छा फल नही कर रहा है। इसी प्रकार पिता से आपके सम्बन्धं अगर ठीक नही है तो सूर्य अच्छा फल नही दे रहा है । पत्नी से अनबन चल रही होतो समझले आप का शुक्र ग्रह ख़राब फल कर रहा है । बहने अगर आपसे खफा हैं तो बुध आप से खफा है। भाई आपके साथ नहीं है तो मंगल आपके साथ नही है । आपके गुरुजन आपसे रुष्ट है तो गुरु ग्रह आपसे रुष्ट है । और जब शनि की टेड़ी नजर आप पर है तो आपके नौकर चाकर आप का नुकसान करते रहेंगे । रहू अपनी सैतानी आपके दुष्ट मित्रो के रूप में दिखा सकता है । केतु आपके पालतू जानवर पर प्रभाव दिखता है । इसके आलावा भी आलग आलग रिस्तो के लिए आलग आलग ग्रह प्रभाव रख ते है । इस तथ्य को जानकर आप आसानी से जान सकते है की ,कौन सा ग्रह आप का ख़राब है और कौन सा अच्छा है आज इतना ही आचार्य राजेश

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