मंगलवार, 14 मार्च 2017

लाल किताव ओर केत लाल किताब में केतु को 'दरवेश' माना गया है। इसका सम्बन्ध इस लोक से कम, परलोक से ज्यादा है। केतु इस भव सागर से मुक्ति/मोक्ष/निर्वाण का प्रतीक है। केतु दया का सन्देश वाहक है, यात्राओं का कारक है और जीवन यात्रा के गंतव्य तक जातक का सहायक है। बृहस्पत, मंगल बद और बुध तीनों ही केतु के सम है। लाल किताब के अनुसार ये केतु के भाग है। केतु में तीन कुत्ते समाहित है ये तीन केतु के भाग है। केतु के तीन कुत्ते है: बहिन के घर भाई कुत्ता, ससुराल में जमाई और मामा के घर भांजा कुत्ता। केतु का पालतू कुत्ता सफेद ओर काले रग का हैहै। कुत्ता खूँखार भी हो सकता है और गीदड़ भी। यदि समझदार है तो रक्षक का कार्य करेगा।ै सफ़ेद रंग दिन का प्रतीक है और काला रात्रि का। इसका तात्पर्य यह हुआ कि केतु दिवा - रात्रि - बलि है, जबकि अन्य ग्रह या तो दिवा बलि होते है या केवल रात्रि बलि होते है। उसमे यदि कही और फलों की अवधि केतु निर्दिष्ट समय तक होती है मित्रो ज्योतिष में केतु अच्छी व बुरी आध्यात्मिकता एवं पराप्राकृतिक प्रभावों का कार्मिक संग्रह का द्योतक हैकेतु भावना भौतिकीकरण के शोधन के आध्यात्मिक प्रक्रिया का प्रतीक है और हानिकर और लाभदायक, दोनों ही ओर माना जाता है, क्योंकि ये जहां एक ओर दुःख एवं हानि देता है, वहीं दूसरी ओर एक व्यक्ति को देवता तक बना सकता है। यह व्यक्ति को आध्यात्मिकता की ओर मोड़ने के लिये भौतिक हानि तक करा सकता है। यह ग्रह तर्क, बुद्धि, ज्ञान, वैराग्य, कल्पना, अंतर्दृष्टि, मर्मज्ञता, विक्षोभ और अन्य मानसिक गुणों का कारक है। माना जाता है कि केतु भक्त के परिवार को समृद्धि दिलाता है, सर्पदंश या अन्य रोगों के प्रभाव से हुए विष के प्रभाव से मुक्ति दिलाता है। ये अपने भक्तों को अच्छा स्वास्थ्य, धन-संपदा व पशु-संपदा दिलाता है। मनुष्य के शरीर में केतु अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। ज्योतिष गणनाओं के लिए केतु को कुछ ज्योतिषी तटस्थ अथवा नपुंसक ग्रह मानते हैं जबकि कुछ अन्य इसे नर ग्रह मानते हैं। केतु स्वभाव से मंगल की भांति ही एक क्रूर ग्रह हैं तथा मंगल के प्रतिनिधित्व में आने वाले कई क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व केतु भी करता है। यह ग्रह तीन नक्षत्रों का स्वामी है: अश्विनी, मघा एवं मूल केतु के अधीन आने वाले जातक जीवन में अच्छी ऊंचाइयों पर पहुंचते हैं, जिनमें से अधिकांश आध्यात्मिक ऊंचाईयों पर होते हैव्यक्ति के जीवन-क्षेत्र तथा समस्त सृष्टि को यह प्रभावित करता है। आकाश मण्डल में इसका प्रभाव वायव्यकोण में माना गया है राहु की अपेक्षा केतु विशेष सौम्य तथा व्यक्ति के लिये हितकारी है। कुछ विशेष परिस्थितियों में यह व्यक्ति को यश के शिखर पर पहुँचा देता है। केतु का मण्डल ध्वजाकार माना गया है। कदाचित यही कारण है कि यह आकाश में लहराती ध्वजा के समान दिखायी देता है। इसका माप केवल छ: अंगुल है केतु के अधीन आने वाले जातक जीवन में अच्छी ऊंचाइयों पर पहुंचते हैं, जिनमें से अधिकांश आध्यात्मिक ऊंचाईयों पर होते हैं। संसार में दो तरह के केतु पारिवारिक रिस्तों में मिलते है,एक तो वे जो अपने द्वारा पारिवारिक स्थिति को बढाने में सहायक होते है,और दूसरे जो पारिवारिक स्थिति से सहायता लेकर अपनी खुद की स्थिति बनाते है,यानी दो एक तो लेने वाले होते है दूसरे देने वाले होते है,मामा भान्जा साला दामाद यह चार तरह के केतु पारिवारिक रिस्तों में मिलते है,मामा से माँ मिलती है,जिसके द्वारा पिता और खुद स्थिति बनती है,साले के द्वारा पत्नी की प्राप्ति होती है,जिससे आगे का वंश और काम सुख की प्राप्ति होती है,यह दो तो हमेशा देने वाले होते है,और दूसरे भान्जा बहिन का पुत्र होता है,और बहिन के साथ आकर हमेशा ले जाने वाला होता है,मामा सकारात्मक है तो भान्जा नकारात्मक,पुत्री के पति को दामाद कहा जाता है,दामाद अपनी औकात बनाने के लिये पुत्री को ले जाता है,और अपनी औकात बनाता है,इस प्रकार से दोनो प्रकार के केतु से आना और जाना बना रहता है पारिवारिक रिस्तों के अलावा घर के अन्दर दो तरह के जीव मिलते है,एक तो घर की रखवाली करते है,और दूसरे घर के अन्दर छुपकर बरबाद करने का काम करते है,घर की रखवाली करने वाला कुत्ता होता है,और घर के अन्दर छुपकर बरबादी करने वाला चूहा होता है,एक का काम बचाना और दूसरे का काम बरबाद करना,इस प्रकार चूहा और कुत्ता को भी नकारात्मक और सकारात्मक केतु कहा गया केतु गुरु के साथ हो तो गुरु के सात्विक गुणों को समाप्त कर देता है और जातक को परंपरा विरोधी बनाता है। यह योग यदि किसी शुभ भाव में हो तो जातक ज्योतिष शास्त्र में रुचि रखता है गुरु के साथ नकारात्मक केतु अपंगता का इशारा करता है,उसी तरह से सकारात्मक केतु साधन सहित और जिम्मेदारी वाली जगह पर स्थापित होना कहता है,मीन का केतु उच्च का माना जाता है,और कन्या का केतु नकारात्मक कहा जाता है,मीन राशि गुरु की राशि है और कन्या राशि बुध की राशि है,गुरु ज्ञान से सम्बन्ध रखता है,और बुध जुबान से,ज्ञान और जुबान में बहुत अन्तर है,कह देना ढपोल शंख की बात है और कहकर कर देना मान्यता वाली बात हैशनि केतु के साथ हो तो आत्महत्या तक कराता है। ऐसा जातक आतंकवादी प्रवृति का होता है। अगर बृहस्पति की दृष्टि हो तो अच्छा योगी होता है।,इसी के साथ अगर शनि के साथ केतु है तो काला कुत्ता कहा जाता है,शनि ठंडा भी है और अन्धकार युक्त भी है,गुरु की महरबानी से काला कुत्ता भी पीला कत्थई हो जाता है,और गुरु अगर गर्मी का एहसास करवा दे तो ठंडक भी गर्मी में बदल जाती द्र यदि केतु के साथ हो और उस पर किसी अन्य शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो व्यक्ति मानसिक रोग, वातरोग, पागलपन आदि का शिकार होता है।चन्द्र केतु मिलकर दर्जी का काम करते है,दर्जी की कई श्रेणियां है,एक दर्जी कपडे को कई टुकडों में काटकर जोडता है,और पहिनने के लिये सूट पाजामा कुर्ता पेंट और न जाने क्या क्या बना देता है,यह तो हुयी साधारण तरीके के दर्जी वाली बात,उसी प्रकार से चन्द्र केतु एक दर्जी वकील के रूप में भी तैयार करता है,कई तरह की अर्जियां जोड कर एक केस बना देता है,जिसे व्यक्ति या तो पहिन कर कुछ प्राप्त कर लेता है,या फ़िर अपना उतार कर चला आता है,पहिनता वही जिसके ऊपर गुरु महरबान होता है। वही वकील सकारात्मक हो जाता है जिसके ऊपर गुरु की कृपा होती है,और वही वकील कानून जानने के बाद भी नकारात्मक हो जाता है,जिसके ऊपर गुरु की महरबानी नही होती है,इसी प्रकार से चन्द्र केतु एक दर्जी और तैयार करता है,जिसे मार्केटिंग मैनेजर कहते है,कितने ही ग्राहकों को मिलाकर,एक फ़र्म तैयार करना उसका काम होता है,जिसके ऊपर गुरु महरबान होता है,वह सफ़ल मार्केटिंग मैनेजर कहलाता है,इसी काम के लिये लोग विभिन्न विषयों में एम.बी.ए और न जाने कौन कौन सी उपाधियां प्राप्त करने की होड में लगे रहते है,लेकिन जिसके ऊपर गुरु महरबान नही होता है,वह एम.बी.ए. करने के बाद भी विभिन्न फ़र्मों के चक्कर लगाता रहता है,वह अपनी अर्जी को देकर तो आता है,लेकिन दर्जी की तरह से किसी भी फ़र्म में कपडे के पैबंद की तरह से लगने लायक नही होती इसलिये रद्दी की टोकरी में चली जाती है। चन्द्र केतु के साथ गुरु की महरबानी प्राप्त करने के लिये जातक को धर्म कर्म पर विश्वास करना जरूरी होता है,सबसे पहले वह अपने परिवार के गुरु यानी पिता की महरबानी प्राप्त करे,फ़िर वह अपने कुल के पुरोहित की महरबानी प्राप्त करे,फ़िर वह अपने शरीर में विद्यमान दिमाग नामक गुरु की महरबानी प्राप्त करे,और अपने दिमाग नामक गुरु के अन्दर राहु नामक भ्रम या शनि नामक नकारात्मकता को प्रवेश नही होने दे,राहु नामक भ्रम तभी प्रवेश करते है,जब राहु और केतु को साथ साथ मिलाया जाये,जैसे राहु शराब है तो केतु बोतल भी है,राहु गांजा है तो चिलम केतु है,इसी प्रकार से गुरु में शनि नकारत्मकता तभी देगा,जब वह शनि से आमिष भोजन और गुरु से दिमागी इच्छा को प्रकट किया जाना,राहु शुक्र मिलकर जब गुरु पर प्रभाव डालते है,तो शुक्र से स्त्री और राहु से बदचलन इस प्रकार का संसय दिमाग के अन्दर प्रवेश करजाने के बाद गुरु के अन्दर एक अफ़ेयर वाला प्रभाव दिमाग में हमेशा मंडराता रहता है,जिसे दूर करने की किसी के अन्दर भी हिम्मत नही होती है,अगर जातक खुद प्रयास करे तो वह अपने को मुक्त कर सकता है।मंगल केतु के साथ हो तो जातक को हिंसक बना देता है। इस योग से प्रभावित जातक अपने क्रोध पर नियंत्रण नहीं रख पाते और कभी-कभी तो कातिल भी बन जाते हैं। बुध केतु के साथ हो तो व्यक्ति लाइलाज बीमारी ग्रस्त होता है। यह योग उसे पागल, सनकी, चालाक, कपटी या चोर बना देता है। वह धर्म विरुद्ध आचरण करता है।मंगल के साथ यही हाल केतु का सकारात्मक और नकारात्मक रूप में माना जाता है,चौथे भाव में केतु और मंगल सकारात्मक है तो वे एक अच्छे पुलिस अफ़सर की तरफ़ इशारा करते है,और अगर वे नकारात्मक है तो एक गली के दादा के रूप में दिखाने की कोशिश करते है,इसके साथ शनि मिल जाता है तो वह चोर का रूप हो जाता है,और चौथे भाव के मकान या दुकान के अन्दर औजारों की सहायता से सेंध लगाने का काम भी कर सकता है,और यही मंगल और केतु चन्द्र के साथ सकारात्मक हो जाते है,सूर्य और गुरु का जोर इनके साथ लग जाता है,तो गृहमंत्री भी बना सकते है,लेकिन आदतों के अन्दर कमी नही आती हैसूर्य जब केतु के साथ होता है तो जातक के व्यवसाय, पिता की सेहत, मान-प्रतिष्ठा, आयु, सुख आदि पर बुरा प्रभाव डालता है।केतु का इशारा सूर्य के साथ मिलकर सकारात्मक प्रभाव के अन्दर राष्टपति की तरफ़ इशारा करता है,केतु सूर्य और मंगल के साथ शनि का प्रभाव मिल जाये तो बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री श्री लालूप्रसाद की तरह भी बनाने से नही चूकता है,जिसके अनुसार शनि मंगल सूर्य और शुक्र की दशा के अन्दर आपको रेल मंत्री बना दिया,आगे आने वाले समय में शनि का प्रभाव राहु के प्रति हमदर्दी दिखाने के चक्कर में बहुत बुरा फ़ंसा भी सकता है।शुक्र केतु के साथ हो तो जातक दूसरों की स्त्रियों या पर पुरुष के प्रति आकर्षित होता है।शनि राहु केतु के साथ के बिना कोई शुक्र सडक पर नही चल सकता है,शुक्र गाडी है,खाली शुक्र शनि है तो भार वाहक गाडी है,शुक्र के साथ राहु है तो सजी हुई गाडी है,गुरु का प्रभाव है तो हवाई जहाज भी है,केतु अगर कर्क के संचरण में है तो चार पहिये की गाडी है,वृश्चिक के संचरण में है तो आठ पहिये की गाडी है,और अगर किसी प्रकार से तुला या वृष का है तो दो पहिये के अलावा कुछ सामने नही आता है,गुरु केतु और शुक्र सही जगह पर है तो जातक हवाई जहाज उडाने की हैसियत रखता है,और अगर वह नकारात्मक पोजीसन में है तो जातक को पतंग उडाना सही रूप से आता होगा,तो देखा आपने केतु को बिना केतु की सहायता के jio के फ़ोन नही चल सकते थे,बिना सूर्य राहु और नवें भाव के केतु के बीएसएनएल भारत में टेलीफ़ोन नही चला सकता था,और बिना गुरु केतु के टावर खडे करने के बाद मोबाइल का काम नही कर सकता था,शुक्र महंगे मोबाइल दे रहा है,तो शुक्र केतु ही सूर्य के असर से सस्ते मोबाइल बाजार में लाने की हिमाकत कर रहा है,शुक्र मंगल और बुध केतु को सहारा बनाकर दुनिया की बडी बडी बैंको के अन्दर दिवालियापन ला रहे है,लेकिन यही कारण उन कम्पनियों को बहुत आशा देगा,जो राहु नामकी रिस्वत को न देकर अपने काम को ईमानदारी से कर रहे है,और उनके लिये बहुत बढिया समय सामने आ रहा है।शनि गाडी है,राहु पैट्रोल है और केतु पहिये है,इसी प्रयोग को अगर शरीर के अन्दर लाया जाय तो शनि शरीर राहु विद्या और केतु हाथ पैर,बताइये इनके बिना गाडी कैसे चल सकती है मित्रों अगर आप भी मुझसे अपनी कुंडली बनवाना जा दिखाना चाहते हैं जकी समस्या का हल चाहते हैं तो आप मुझसे संपर्क करें हमारे नंबरों पर कॉल करके पूरी जानकारी ले हमारे नंबर हैं 07597718725 81324094144 paid service

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मेरेबरे में🌟 मैं कौन हूँ – , Acharya Rajesh की एक सीधी बात 🌟 मैं फिर से सबको एक बात साफ़ कर दूँ –मेरा मकसद किसी का पैसा  लूटने नहीं  मैं क...