सोमवार, 27 मार्च 2017

शुक्र ग्रह पोस्ट नंबर 3 मित्रों आज भी हम शुक्र पर ही बात करेंगे फिल्मी दुनिया की चकाचौंध, फेशनेबल वस्त्रों में घूमते युवा, विपरीत लिंगियों की तरफ बढ़ता आकर्षण अदभुत सा लगता है न ये संसार, ये सारी चीजें शुक्र के प्रतिनिधित्व में आती है. अगर शुक्र का अच्छा प्रभाव कुंडली में हो तो व्यक्ति को दुनिया की बुलंदियों पर पंहुचा देता है लेकिन शुक्र का फ़ायदा भी आपको तभी मिल सकता है, जब कुंडली में अन्य ग्रह आपकी आर्थिक मदद कर सकें और ऐसा करने से आपकी जिन्दगी पूरी तरह से ही बदल जायेगीशुक्रदेव का हमारी कुंडली में बड़ा ही अलग सा किरदार होता है। शुक्र गुरु है उन दैत्यों का जो निद्रा और वासना के पुतले है। उन्हें धर्म या दर्शन से कोई दरोकर नही में शुक्र को उन्ही वासना और विश्राम कारक मन गया है। अकेला शुक्र किसी भी भाव में बुरा नही।वुघ शुक्र के साथ मित्रता रखता है लेकिन मुसीबत के वक्त मित्रता की बलि दे देता है यदि बुध शुक्र से 1, 2, 3 भावों में स्थित हो तो दोनों के फल संयुक्त रूप से शुभ होते है अलग अलग भी अच्छे ही होते है। इन स्थानों में केतु भी शुभ फल देता है। यदि भाव स्तिथि इससे भिन्न हो तो राहु फल को विषाक्त कर देता है। यदि शुक्र और बुध 2-8, 3-9, 6-12, 8-2 हों तो खराब फल देता है, किन्तु ऐसा बहुत कम होता है। शुक्र और बुध एक दूसरे से 150 की दुरी पर प्राय नही जाते। यदि बुध षष्ठ भाव में और शुक्र द्वादश भाव में हो तो दोनों उच्च के होते है। अतः शुभ फल देते है। यदि राहु की दृष्टि शुक्र पर हो तो या शुक्र की दृष्टि राहु पर हो तो शुक्र के फल शून्य जाते है। यदि जन्म कुंडली में शुक्र पर किसी प्रकार का विपरीत प्रभाव होतो गोचर से जब भी वह अशुभ घर में आयेगातो उसके फल शून्य हो जायेंगे। शुक्र की अधिस्ठात्री देवी लक्ष्मी है। उसकी धातु चांदी और रत्न हीरा माने गए है। वह पत्नी और प्रेमिका की कारक है। कपूर, घी, दही, रुई और सुगंध देने वाले पौधे शुक्र के छेत्र अधिकार में आते है। देहंगो में वह चेहरे का कारक है। भाव को सक्रिय करता है और चतुर्थ में राशिफल का ग्रह बन जाता है। ग्रहों को 35 साला दौरे में उसे 3 साल मिले है। शुक्र सफेद रंग (दही) दुनिया की मिट्टी, ज़माने की लक्ष्मी, गऊ माता, मर्द की औरत ने किसी को नीच न किया। इसलिये हर एक ने पसन्द किया और खुद नीच किया। ''बदी खुफिया तू जिससे दिन रात करता, वक्त मन्दा तेरे वही सर पर चढ़ता। शुक्र के ग्रह को दुनियावी किस्मत से कोई ताल्लुक नहीं। सिर्फ इश्क व मुहब्बत की फालतू दो से एक ही आंख हो जाने की ताकत शुक्र कहलाती है। स्त्री ताल्लुक, गृहस्थ आश्रम, बाल बच्चों की बरकत और बड़े परिवार का 25 साला ज़माना शुक्र का अहद है। इस ग्रह में पाप करने कराने की नस्ल का खून और गृहस्थी हालत में मिट्टी और माया का वजूद है। मर्द के टेवे में शुक्र से मुराद स्त्री और औरत के टेवे में उसका खाविन्द मुराद होगी। अकेला बैठा हुआ शुक्र टेवे वाले पर कभी भी बुरा असर न देगा और न ही ऐसे टेवे वाला गृहस्थी ताल्लुक में किसी का बुरा कर सकेगा। जब दृष्टि के हिसाब से आमने सामने के घरों में बैठे हों तो चमकती हुई चांदनी रात में चकवे चकवी की तरह अकेले अकेले होने का असर मन्दरज़ा जैल होगा। अगर बुध कुण्डली में शुक्र से पहले घरों में बैठा हो तो इस तरह दोनों के मिले हुए असर में केतु की नेक नीयत का उम्दा असर शामिल होगा। लेकिन अगर शुक्र कुण्डली में बुध से पहले घरों में हो तो इस तरह मिले हुए दोनों के असर में राहु की बुरी नीयत का असर शामिल होगा। दृष्टि वाले घरों में बैठे होने के वक्त शुक्र का असर प्रबल होगा। लेकिन जब बुध पहले घरों में हो और मन्दा होवे तो शुक्र में बुध का मन्दा असर शामिल हो जायेगा। जिसे शुक्र नही रोक सकता व गृहस्थ मन्दे नतीजे हाेंगे। जब अकेले अकेले बन्द मुट्ठी के खानों से बाहर एक दूसरे से 7वें बैठे हो तो दोनो ही ग्रहों और घरों का फल निकम्मा होगा। मगर शुक्र 12 और बुध 6 में दोनों का उच्च होगा जिसमें केतु का उत्तम फल शामिल होगा। ऐसी हालत में बैठे होने के वक्त दोनों का असर बाहम न मिल सकेगा। जब दोनो ग्रह जुदा जुदा मगर आपस में दृष्टि के खानों की शर्त से बाहर हों तो जिस घर शुक्र हो वहां बुध अपना असर अपनी खाली नाली के ज़रिए लाकर मिला देगा और शुक्र के फल को कई दफ़ा बुरे से भला कर देगा। लेकिन बुध के साथ अगर दुश्मन ग्रह हों तो ऐसी हालत में शुक्र कभी भी बुध को ऐसी नाली लगाकर अपना असर उसमें मिलाने नही देगा। ऐसी हालत में बुध किसी तरह भी शुक्र को निकम्मा या बरबाद नही कर सकता। जन्म कुण्डली में शुक्र अगर अपने दुश्मन ग्रहों को देख रहा हो तो जब कभी बमुजिब वर्ष फल शुक्र मन्दा हो या मन्दे घरों में जा बैठे, वह दुश्मन ग्रह जिनको कि शुक्र जन्म कुण्डली में देख रहा था, शुक्र के असर को ज़हरीला और मन्दा करेंगे ख्वाह वह शुक्र को अब देख भी न सकते हों । ऐसे टेवे वाला जिससे खुफिया बदी किया करता था अब वही दुश्मनी और बरबादी का सबब होगा। .यहा सुर्य के साथ शुक्र ,सूर्य गर्मी है और शुक्र रज है सूर्य की गर्मी से रज जल जाता है,और संतान होने की गुंजायस नही रहती है,इसी लिये सूर्य का शत्रु है,जब कभी भी कुंडली में सूर्यूर्और शनि का झगड़ा होगा, ऐसी हालत में न सूर्य बर्बाद होगा न शनि, क्योकि वे दोनों बाप-बेटे है लेकिन इसका असर शुक्र पर जरूर पड़ेगा। बेशक शुक्र उस समय अच्छी स्थिति में हो। कहने का भाव यह है कि सूर्य शनि के झगडे में व्यक्ति की स्त्री पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसी तरह बुध ने भी अपने बचाव के लिए शुक्र से दोस्ती कर रखी है, लेकिन चालाक बुध अपने वफ़ादारी के फर्ज को नही निभाता। जब कभी बुध पर कष्ट आता है तो वो अपने ही दोस्त शुक्र को मुशीबत में डाल देगा। ऐसा नहीं की हर जगह शुक्र ही मरते है। बल्कि जब कभी चन्द्र और शुक्र मुकाबले पर होखासकर शुक्र चन्द्र मुश्तरका खाना न 7 या शुक्र अकेला खाना न 7 और चन्द्र खाना न 1 तो माता पर या माता की नजर पर इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है । शुक्र देव नीच मंदे या दुश्मन ग्रहो के साथ बैठ जाये या दृष्टि आदि से पीड़ित हो तो शुक्र के बुरे फल मिलते है और ऎसे जातक के स्वाभाव में यह भी देखा जाता है की वह जल्दी बिस्तर नही छोड़ता और वह शुक्र के फल को और भी बुरा कर लेता है। शुक्र का सम्बन्ध राहु के साथ हो जाये तो पति पत्नी के सम्बन्ध में शक वहम मारपीट तक होती है। ऎसे जातक को गुप्त रोग तक हो जाते है यहाँ तक की जातक नपुंसक तक हो जाते है। ऐसा व्यक्ति अपने साथी को तंग ही करता रहता है। शुक्र का सम्बन्ध सूर्य के साथ होने से सम्भोग की इच्छा बहुत काम हो जाती है। वो भी जीवनसाथी को खुश नही रख पता। खुद के व साथी के शरीर में अंदरुनी कमजोरी हो जाती है जो की आसानी से पकड़ में नही आती। जब शुक्र का सम्बन्ध चन्द्र के साथ हो जाये तो ऎसे जातक का सम्बन्ध अपनी सास के साथ अच्छा नही होता। अगर ऐसा योग अगर लड़की की कुंडली में हो तो उसे सास की तरफ से कभी सुख नही मिलता। ऎसे जातक की माँ की आँखों में तकलीफ रहती है और साथ ही चमड़ी के रोग भी हो जाते है। यहाँ तक की जातक को भी इन्ही परेशानियो का सामना करना पड़ता है। शुक्र देव 2, 3, 7, 10, 12 में अच्छे फल देते है लेकिन यह भी जरूरी होता है की वे अपने सत्रु गृह सूर्य ,चन्द्र ,राहु के साथ युक्ति द्वारा या दृष्टि द्वारा ख़राब तो नही हो रहे। शुक्र देव के बारे में एक आश्चर्यजनक बात यह है की खाना 6 ,8 ,12 में तो इसका भेद ही बहुत रहस्यमय हो जाता है।यही अगर ,शुक्र के साथ राहु के मिलने से कामुकता में इतनी अधिकता आजाती है कि हर बात में ही कामुकता का रूप दिखाई देने लगता है। यह बात हर जगह नही मानी जाती है,कुंडली की राशि और भाव पर भी निर्भर करता है। शुक्र का प्रभाव अगर दसवे भाव में राहु के साथ हो जाता है तो कार्य करने के लिये शाही चमक दमक वाला दफ़्तर ही रास आता है चाहे सैलरी कितनी ही कम क्यों न हो। घर में भोजन की दिक्कत बनी रहे लेकिन पत्नी की सजावट और कास्मेटिक का बोलबाला जरूर होगा,पेट्रोल के लिये धन कमाने में दिक्कत होगी लेकिन गाडी चमक दमक वाली होगी। घर के अन्दर टूटा पलंग होगा लेकिन दरवाजे की सजावट निराली होगी,यह होता है शुक्र और राहु का इकट्ठा रूप।अक्सर लोगों की धारणा होती है कि अमुक ग्रह कुंडली में दिक्कत देने वाला है इसलिये इसकी उपयोगिता नही है। अमुक ग्रह का उपाय किया जाये उसका रत्न पहिना जाये या पूजा पाठ से उसे उपयोगी बनाया जाये। यह भी सभी को पता होता है कि ग्रह भी समय समय से अपना फ़ल प्रदान करता है,यह भी पता है कि ग्रह अगर जन्म से ही खराब है तो वह कितना अच्छा फ़ल दे पायेगा।मित्रों मैंने कभी नहीं कहा कि मैं फ्री देखता हूं क्या मैंने आप लोगों से कहा की आपमुझसे ही अपनी कुंडली दिखाएं यह बात मुझे कहने पड़ रही है कि कुछ लोग उल्टे सीधे सवाल करते हैं या आप मेरी Facebook से जुड़े अगर आप मुझसे अपनी कुंडली दिखाना या बनवाना चाहते हैं तो हमारी सर्विस,paid हे्है आचार्य राजेश

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