गुरुवार, 22 फ़रवरी 2018

Blue Sapphire शनी Ratan Neelam

मित्रों आज बात करते हैं नीलम रत्न की  रत्न प्रकृति की कोख से मिलने वाला एक मूल्यवान पत्थर है। पुराने समय से ही व्यक्ति का रत्नों के प्रति आकर्षण बना रहा है। आज भी ग्रहों के प्रभाव से बचने, रोगों के निवारण और कष्टों के निवारण के लिए व्यक्ति रत्न धारण करता है।
 यदि हम नीलम रत्न की बात करें तो यह बहुत ही शक्तिशाली रत्न है। यह गहरे नीले रंग का, हल्के नीले रंग का पारदर्शी, चमकदार और लोचदार रत्न होता है  जिस प्रकार शनि शक्तिशाली और लंबे समय तक असर दिखाने वाला ग्रह है, उसी प्रकार नीलम भी है। नीलम के विषय यह माना जाता है कि इसमें बनाने और बिगाड़ने दोनों तरह की शक्ति होती है। इसे यूं भी कह सकते हैं कि जिसे यह रास आ जाए उसे राजा बना सकता है। अगर यह किसी को अशुभ प्रभाव देने लगे तो राजा को रंक बनाने में भी इसे देर नहीं लगती। पर मेरा मानना है कि ऐसा  सारे रत्नों पर यह  वात लागू होती है हीरे के बाद दूसरा सबसे सुंदर रत्न माना जाता है।कहा जाता है कि नीलम शुभ साबित हो तो मनुष्य के जीवन में खुशियों की बहार ला देता है। 

लेकिन अशुभ होने पर उल्टा हानी करेगा ही इस लिए मेरा मानना है कि कोई भी रतन अपनी कुंडली के अनुसार पहनने आप राशी या अंक ज्योतिष के हिसाब से मत पहने शनि ग्रह सबसे डरावना, सबसे अधिक रहस्मय और एक सख्त कार्य कारक (hard taskmaster) हैं जिन्हें “कर्माधिपति” (हमारे समस्त कर्मों के मालिक) के नाम से भी जाना जाता है|शनि ज्योतिष में क्रूर ग्रहों के क्रूरतम ग्रह तो जरूर माने जाते हैं मगर इनकी कृपा के बिना जीवन में कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता|एक सुढृढ़ और अच्छी तरह स्थित शनि जातक को नाम, यश, प्रभुत्व (authority), ज्ञान, अग्रणी बनने की प्रतिभा (ability to lead), अध्यात्म, विरक्ति, सब्र, position and power आदि देता है| नीलम रत्न  
(BlueSapphiregemstone) कुंडली में एक शक्तिहीन शनि को सुढृढ़ कर उसे positive बनाता है|मित्रोंनीलम ज्यादातर चर्चा में रहता है कि इसे धारण करते ही यह तुरंत ऐसा देगा या वैसा कर देगा। या तो अचानक धनवान बना देगा या फिर दरिद्र बना देगा। इस प्रकार की बहुत सारी भ्रांति है नीलम के बारे में। किताबों में सारी वकवास भरी पड़ी हैवैदिकज्योतिषशास्त्र के अनुसार। इसे संस्कृत में शनिप्रिय भी कहते हैं, जिसे बौद्ध भिक्षु मध्य एशिया ले गए थेजो बिगड़ कर शनिप्रिय से सपिर एवं सैपहाएर या सैफायर बन 

शनि ग्रह का रत्‍न नीलम, जिसे अंग्रेजी में ‘ब्‍लू सेफायर’ कहते हैं वास्‍तव में उसी श्रेणी का रत्‍न है जिसमें माणिक रत्‍न आता है। ज्‍योतिष विज्ञान में इसे कुरूंदम समूह का रत्‍न कहते हैं। इस समूह में लाल रत्‍न को माणिक तथा दूसरे सभी को नीलम कहते हैं। इसलिए नीलम सफेद, हरे, बैंगनी, नीले आदि रंगों में प्राप्‍त होता है। सबसे अच्‍छा ब्‍लू सेफायर नीले रंग का होता है जैसे आसमानी, गहरा नीला, चमकीला नीला काला  आदि।माणिक, हीरा, पन्‍ना और पुखराज की तरह नीलम रत्न भी मिनरल डिपोजीशन से बना है। अत: यह भी बड़ी-बड़ी खानों से निकाला जाता है। सबसे अच्‍छा Blue Sapphire भारत में पाया जाता है। भारत के अलावा आस्‍ट्रेलिया, अमेरिका, अफ्रीका, म्‍यांमार और श्रीलंका में भी नीलम की खानें पाई 
शनि ग्रह का रत्‍न नीलम, जिसे अंग्रेजी में ‘ब्‍लू सेफायर’ कहते हैं ‍
माणिक्‍य और नीलम की वैज्ञानिक संरचना बिल्‍कुल एक जैसी है। वैज्ञानिक भाषा में कहें तो माणिक्‍य की तरह ही Neelam भी एक एल्‍युमीनियम ऑक्‍साइड है। एल्‍युमीनियम ऑक्‍साइड में आइरन, टाइटेनियम, क्रोमियम, कॉपर और मैग्‍नीशियम की शुद्धियां मिली होती हैं जि‍ससे इनमें नीला,पीला, बैंगनी, नारंगी और हरा रंग आता है। इन्‍हें ही Neelam कहा जाता है। इसमें ही अगर क्रोमियम हो तो यह क्रिस्‍टल को लाल रंग देता है जिसे रूबी या माणिक्‍य कहते हैं।माना जाता है कि मोर के पंख जैसे रंग वाला Neelam सबसे अच्‍छा माना जाता है। यह बहुत चमकीला और चिकना होता है। इससे आर-पार देखा जा सकता है। यह बेहद प्रभावशाली रत्‍न होता है तथा सभी रत्‍नों में सबसे जल्‍दी अपना प्रभाव दिखाता है।सदियों से ही नीलम को रोमांस व शानो-शौकत का प्रतीक माना जाता है। इससे लोभ व घृणा की भावना तो कम होती ही है साथ ही साथ जीवन खुशहाली से भर जाता है और हर पल पूर्ण होने का एहसास होता है। सदियों पहले जब यूनानी लोग अपनी ज़रूरत को पूरा करवाने के लिए “ओरेकल” के पास जाते थे तो वो नीलम ही पहन कर जाते थे। 
“ओरेकल” इस रत्न के बहुत बड़े प्रशंसक थे और केवल उसी की मदद करते थे जो इस अनमोल रत्न को धारण करके जाता था। नीलम को भूत-प्रेत सिद्धि के लिए भी पूजा जाता है। इसके बल से दैवीय शक्तियों व आत्माओं पर काबू पाया जाता है। नीलम धारण करने का मतलब यह ही नहीं कि आपका शुभ ही शुभ हो, नीलम का प्रभाव कभी-कभी नकारात्मकता की ओर भी चला जाता है। इसके प्रभाव से कई बार बहुत बड़े-बड़े बदलाव आते हैं जो विनाश की ओर भी ले जाते हैं। हालांकि नकली व असली दोनों ही रत्न उद्योग में नीलम का बड़ा महत्व है बहुतायत में समृद्धि, खुशहाली व अच्छा समय लेकर आता है।यदि नीलम और आप सही सिंक्रनाइज़ेशन में हैं, तो यह आ आपको सीधे शुभ  परिणामों के पथ की ओर ले जाता है, विशेष रूप सेआपकी कुंडली में  शनि कारक ओर शुभ हो  ज्योतिष के अनुसार शनि का प्रत्येक कुंडली में विशेष महत्व है तथा किसी कुंडली में शनि का बल, स्वभाव और स्थिति कुंडली से मिलने वाले शुभ या अशुभ परिणामों पर बहुत प्रभाव डाल सकती है। शनि के बल के बारे में चर्चा करें तो विभिन्न कुंडली में शनि का बल भिन्न भिन्न होता है
जैसेसे किसी कुंडली में शनि बलवान होते हैं तो किसी में निर्बल जबकि किसी अन्य कुंडली में शनि का बल सामान्य हो सकता है। किसी कुंडली में शनि के बल को निर्धारित करने के लिय बहुत से तथ्यों का पूर्ण निरीक्षण आवश्यक है हालांकि कुछ वैदिक ज्योतिषी यह मानते हैं कि कुंडली में शनि की किसी राशि विशेष में स्थिति ही शनि के कुंडली में बल को निर्धारित करती है जबकि वास्तविकता में किसी भी ग्रह का किसी कुंडली में बल निर्धारित करने के लिए अनेक प्रकार के तथ्यों का अध्ययन करना आवश्यक है। विभिन्न कारणों के चलते यदि शनि किसी कुंडली में निर्बल रह जाते हैं 

तो ऐसी स्थिति में शनि उस कुंडली तथा जातक के लिए अपनी सामान्य और विशिष्ट विशेषताओं के साथ जुड़े फल देने में पूर्णतया सक्षम नहीं रह पाते जिसके कारण जातक को अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में कुंडली में निर्बल शनि को ज्योतिष के कुछ उपायों के माध्यम से अतिरिक्त उर्जा प्रदान की जाती है जिससे शनि कुंडली में बलवान हो जायें तथा जातक को लाभ प्राप्त हो सकें। शनि को कि
सी कुंडली में अतिरिक्त उर्जा प्रदान करने के उपायों में से उत्तम उपाय है शनि का रत्न नीलम धारण करना जिसे धारण करने के पश्चात धारक को शनि के बलवान होने के कारण लाभ प्राप्त होने आरंभ हो जाते हैं।इस बीच आप अपनी सेहत, जीवन शक्ति और उत्साह में बढ़ावा दे सकते हैं।नीलम जीवन में अभिभावक के रूप में काम करता है क्योंकि यह आपको जादू टोना, भूत-प्रेत, विरोधियों आदि से बचाता है।नीलम रत्न आपकी कुशलता बढ़ाता है जिससे आप किसी भी कार्य को गम्भीरता से करने में सक्षम होते हैं। यदि नीलम अनुकूल पड़े तो धन-धान्य, सुख-संपत्ति, यश, मान-सम्मान, आयु, बुद्धि तथा वंश की वृद्धि करता है, रोग और दरिद्रता को दूर करता है, मुख की कांति और नेत्र की रोशनी को बढ़ाता है तथा इससे इंसान की अनेकों मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। नीलम धारण करने से अनेक प्रकार की बीमारियों पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसके धारण करने से नेत्र रोग, उल्टी, हिचकी, पागलपन, दमा, खांसी, अजीर्ण, ज्वर आदि रोगों में लाभ मिलता है। 

- राजनीति में नीलम की अहम भूमिका है। नीलम धारण से पराजय विजय में बदल सकती है। शनि का रत्‍न नीलम धारण करने से व्‍यक्‍ति के विचारों में सकारात्‍मकता आती है। इस रत्‍न के प्रभाव में कोई व्‍यक्‍ति सही निर्णय ले पाने में सक्षम होता है। शनि का रत्‍न नीलम  मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है। नीलम रत्‍न धारण करने से कार्यक्षमता में भी सुधार आता है।नीलम रत्‍न के प्रभाव से जातक में आत्‍मविश्‍वास में बढ़ोत्तरी होती है। प्रोफेशन ही नहीं बल्कि पर्सनल लाइफ में भी वह व्‍यक्‍ति चुनौतियों से डटकर सामना कर पाता है और उसे इतनी शक्‍ति नीलम रत्‍न की चमत्‍कारिक ऊर्जा से प्राप्‍त होती है।नीलम रत्न शनि की उर्जा तरंगों को अपनी उपरी सतह से आकर्षित करके अपनी निचली सतह से धारक के शरीर में स्थानांतरित कर देता है जिसके चलते जातक के आभामंडल में शनि का प्रभाव पहले की तुलना में बलवान हो जाता है तथा इस प्रकार शनि अपना कार्य अधिक बलवान रूप से करना आरंभ कर देते हैं। यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि शनि का रत्न नीलम किसी कुंडली में शनि को केवल अतिरिक्त बल प्रदान कर सकता है तथा नीलम किसी कुंडली में शनि के शुभ या अशुभ स्वभाव पर कोई प्रभाव नहीं डालता। इस प्रकार यदि किसी कुंडली में शनि शुभ हैं तो नीलम धारण करने से ऐसे शुभ शनि को अतिरिक्त बल प्राप्त हो जायेगा जिसके कारण जातक को शनि से प्राप्त होने वाले लाभ अधिक हो जायेंगें जबकि यही शनि यदि किसी जातक की कुंडली में अशुभ है तो शनि का रत्न धारण करने से ऐसे अशुभ शनि को और अधिक बल प्राप्त हो जायेगा जिसके चलते ऐसा अशुभ शनि जातक को और भी अधिक हानि पहुंचा सकता है। 
        इस लिए शनि का रत्न नीलम केवल उन जातकों को पहनना चाहिये जिनकी कुंडली में शनि शुभ रूप से कार्य कर रहे हैं तथा ऐसे जातकों को शनि का रत्न कदापि नहीं धारण करना चाहिये जिनकी कुंडली में शनि अशुभ रूप से कार्य कर रहें हैं। नीलम के कुछ गुणों के बारे में चर्चा करें तो नीलम का रंग हल्के नीले रंग से लेकर, गहरे नीले या बैंगनी रंग तक हो सकता है तथा संसार के विभिन्न भागों से आने वाले नीलम विभिन्न रंगों के हो सकते हैं। यहां पर इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि विभिन्न जातकों के लिए नीलम के भिन्न भिन्न रंग उपयुक्त हो सकते हैं जैसे किसी को हल्के नीले रंग का नीलम अच्छे फल देता है जबकि किसी अन्य को गहरे लाल रंग का नीलम अच्छे फल देता है। इसलिए नीलम के रंग का चुनाव केवल अपने ज्योतिषी के परामर्श अनुसार ही करना चाहिए तथा अपनी इच्छा से ही किसी भी रंग का नीलम धारण नहीं कर लेना चाहिये क्योंकि ऐसा करने से ऐसा नीलम लाभ की अपेक्षा हानि भी दे सकता है। रंग के साथ साथ अपने ज्योतिषी द्वारा सुझाये गये नीलम के भार पर भी विशेष ध्यान दें तथा इस रत्न का उतना ही भार धारण करें जितना आपके ज्योतिषी के द्वारा बताया गया हो क्योंकि अपनी इच्छा से नीलम का भार बदलने से कई बार यह रत्न आपको उचित लाभ नहीं दे पाता जबकि कई बार ऐसी स्थिति में आपका नीलम आपको हानि भी पहुंचा सकता है।उदाहरण के लिए अपने ज्योतिषी द्वारा बताये गये नीलम के भार से बहुत कम भार का नीलम धारण करने से ऐसा नीलम आपको बहुत कम लाभ दे सकता है अथवा किसी भी प्रकार का लाभ देने में अक्षम हो सकता है जबकि अपने ज्योतिषी द्वारा बताये गये नीलम के धारण करने योग्य 
भार से बहुत अधिक भार का नीलम धारण करने से यह रत्न आपको हानि भी पहुंचा सकता है जिसका कारण यह है कि बहुत अधिक भार का नीलम आपके शरीर तथा आभामंडल में शनि की इतनी उर्जा स्थानांतरित कर देता है जिसे झेलने तथा उपयोग करने में आपका शरीर और आभामंडल दोनों ही सक्षम नहीं होते जिसके कारण ऐसी अतिरिक्त उर्जा अनियंत्रित होकर आपको हानि पहुंचा सकती है। इसलिए सदा अपने ज्योतिषी के द्वारा बताये गये भार के बराबर भार का नीलम ही धारण करें क्योंकि एक अनुभवी वैदिक ज्योतिषी तथा रत्न विशेषज्ञ को यह पता होता है कि आपकी कुंडली के अनुसार आपको नीलम रत्न का कितना भार धारण करना चाहिये।   आचार्य राजेश कुमार 07597718725-09414481324

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