मंगलवार, 20 फ़रवरी 2018

Moti Rattan मोती रतन Gemology Jyotish

https://youtu.be/SSJXRyQmjtY


मित्रोंआज हम रत्नों में  मोती की बात करेंगे। जी हां... रत्नों की तरह ही ग्रहीय विघ्नों को हल करने वाला यह मोती ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक महत्वपूर्ण ज्योतिष उपाय है। यह अमूमन सफेद रंग का होता है 
और इसे चंद्रमा का कारक माना गयाहैचंद्रमा को ब्रह्मांड का मन कहा गया है. हमारे शरीर में भी चंद्रमा हमारे मन व मस्तिष्क का कारक है, विचारों की स्थिरता का प्रतीक है | मन ही मनुष्य का सबसे बड़ा दोस्त या


 दुश्मन है |माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से भरपूर मोती रत्न पहनने से आप लक्ष्मी को अपने द्वार पर आमंत्रित करेंगे। अगर आप की कुंडली में चंद्रमा कमज़ोर है, तो उस को सबल बनाने में आप की मदद करेगा। इस के अलावा अनिद्रा व मधुमेह को नियंत्रण में लाने में भी यह मदद करता है। मोती रत्न आप की याददाश्त को बल देता है। आप के मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है। इस के अलावा मोती यौन जीवन में शक्ति प्रदान करने के लिए भी जाना जाता है एवं आप के वैवाहिक जीवन को सुंदर बनाता है।कदली, सीप, भुजंग मुख, स्वाती एक, गुण तीन| 
जैसी संगत बैठियें, तेसोई फल दीन ||
अर्थात स्वाती नक्षत्र के समय बरसात की एक बूंद घोघे के मुख में समाती है तब वह मोती बन जाता है. वही बूंद केले में जा कर कपूर और साँप के मूह में जा कर हाला हाल विष बनती है |मोती रत्न की सरंचना कैल्शियम कार्बोनेट + एक प्रकार का जैविक तत्व(aragonite/calcite –
crystallised form of calcium carbonate)Conchiolin (गोंद की तरह सीप के सतहों पर जैविक पदार्थ) + जल का सम्मिश्रण है जो एक प्रकार का घोंघा (oyster) सीप के अन्दर उत्पन्न करता है|इस जैविक पदार्थ जिसे nacre कहते हैं इसे लपेटते लपेटते बहुत समय बाद मोती का निर्माण
ण होता है| इस पदार्थ की असाधारण ठोसपन व सघनता के कारण इसे तोडना अति कठिन होता है | मोती हलके गुलाबी छटा के साथ सफ़ेद के रंगतों में, सिल्वर, cream, सुनहरा, हरा, नीला और काला तक
रसायनिक दृष्टि से इसमे , केल्षीयम, कार्बन और आक्सीज़न,यह तीन तत्व पाए जाते है. आयुर्वेद के अनुसार मोती में 90% चूना होता है, इसलिए कैल्शियम् की कमी के कारण जो रोग उत्पन्न होते है उनमें लाभ करता है. नेत्र रोग, स्मरण शक्ति को बढ़ाने के लिए, पाचन शक्ति को तेज़ करने के लिए व हृदय को बल देने के लिए मोती धारण करना चाहिए | सामान्यत: चंद्रमा क्षीण होने पर मोती पहनने की सलाह दी जाती है मगर हर लग्न के लिए यह सही नहीं है। ऐसे लग्न जिनमें चंद्रमा शुभ स्थानों (केंद्र या‍ त्रिकोण) का स्वामी होकर निर्बल हो,ऐसे में ही मोती पहनना लाभदायक होता है। अन्यथा मोती भयानक डिप्रेशन, निराशावाद और आत्महत्या तक का कारक बन सकता है।सामान्य तोर पर लोग मोती रत्न पहन लेते है , जब उनसे पूछा जाता है की यह रत्न आपने क्यों पहना तो 95 प्रतिशत लोगो का जबाब होता है की  मुझे गुस्सा बहुत आता है , गुस्सा शांत रहे इसलिए पहना है” यह बिलकुल गलत है ! मोती रत्न चन्द्रमा ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है , और यह ग्रह आपकी जन्मकुंडली में शुभ भी हो सक्ता है और अशुभ भी ! यदि चंद्रमा शुभ ग्रहों के साथ शुभ ग्रहों की राशि में और शुभ भाव में बैठा होगा तो निश्चित ही मोती रत्न आपको फायदा पहुचाएगा इसके विपरीत कुंडली में अशुभ होने पर नुसकान भी पंहुचा सकता है |मोती, कुंडली में यदि चंद्र शुभ प्रभाव में हो तो मोती अवश्य धारण करना चाहिए | चन्द्र मनुष्य के मन को दर्शाता है, और इसका प्रभाव पूर्णतया हमारी सोच पर पड़ता है| हमारे मन की स्थिरता को कायम रखने में मोती अत्यंत लाभ दायक सिद्ध होता है| इसके धारण करने से मात्री पक्ष से मधुर सम्बन्ध तथा लाभ प्राप्त होते है! मोती धारण करने से आत्म विश्वास में बढहोतरी भी होती है | हमारे शरीर में द्रव्य से जुड़े रोग भी मोती धारण करने से कंट्रोल किये जा सकते है जैसे ब्लड प्रशर और मूत्राशय के रोग , लेकिन इसके लिए अनुभवी ज्योतिष की सलाह लेना अति आवशयक है, क्योकि कुंडली में चंद्र अशुभ होने की स्तिथि में मोती नुक्सान दायक भी हो सकता है | पागलपन जैसी बीमारियाँ भी कुंडली में स्थित अशुभ चंद्र की देंन होती है , इसलिए मोती धारण करने से पूर्व यह जान लेना अति आवशयक है की हमारी कुंडली में चंद्र की स्थिति क्या है ? छोटे बच्चो के जीवन से चंद्र का बहुत बड़ा सम्बन्ध होता है क्योकि नवजात शिशुओ का शुरवाती जीवन , उनकी कुंडली में स्थित शुभ या अशुभ चंद्र पर निर्भर करता है! यदि नवजात शिशुओ की कुंडली में चन्द्र अशुभ प्रभाव में हो तो बालारिष्ठ योग का निर्माण होता है | फलस्वरूप शिशुओ का स्वास्थ्य बार बार खराब होता है, और परेशानिया उत्त्पन्न हो जाती है , इसीलिए कई अक्सर छोटे बच्चो के गले में मोती धारण करवाते है | कुंडली में चंद्रमा के बलि होने से न केवल मानसिक तनाव से ही छुटकारा मिलता है वरन् कई रोग जैसे पथरी, पेशाब तंत्र की बीमारी, जोड़ों का दर्द आदि से भी राहत मिलती है।लंग्स से जुडी समस्या, अस्थमा, माइग्रेन, साइनस की समस्या, शीत रोग तथा मानसिक रोगों में भी मोती धारण करने से लाभ होता है तथा मानसिक अस्थिरता से व्यक्ति एकाग्रता की और बढ़ने लगता है स्थूल रूप में कहा जाये तो मोती धारण करने से पीड़ित या कमजोर चन्द्रमाँ के सभी दुष्प्रभावों में लाभ व सकारात्मक परिवर्तन होता है। परंतु आब यहाँ सबसे विशेष बात यही है के प्रत्येक व्यक्ति को मोती धारण नहीं करना चाहिए मोती धारण करना सभी व्यक्तियों के लिए शुभ हो ऐसा बिलकुल भी आवश्यक नहीं है अधिकांश लोग की सोच होती है के मोती तो सौम्य प्रवर्ति का रत्न है और इसे धारण करने से तो मानसिक शांति मिलती है इसलिए हमें भी मोती धारण कर लेना चाहिए पर यहाँ यह बड़ी विशेष बात है के बहुतसी स्थितियों में मोती आपके लिए मारक रत्न का कार्य भी कर सकता है और मोती धारण करने पर बड़े स्वास्थ कष्ट, बीमारियां, दुर्घटनाएं और संघर्ष बढ़ सकता है इसलिए अपनी इच्छा से बिना किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह के मोती नहीं धारण करना चाहिए, वास्तव में कुंडली में चन्द्रमाँ कमजोर होने पर मोती धारण की सलाह केवल उन्ही व्यक्तियों को दी जाती है जिनकी कुंडली में चन्द्रमाँ शुभ कारक ग्रह होता है, क्योंकि मोती धारण करने से कुंडली में चन्द्रमाँ की शक्ति बहुत बढ़ जाती है और ऐसे में यदि चन्द्रमाँ कुंडली का अशुभ फल देने वाला ग्रह हुआ तो मोती पहनना व्यक्ति के लिए बहुत हानिकारक सिद्ध होगा इसलिए किसी योग्य ज्योतिषी से अपनी कुंडली का विश्लेषण कराने के बाद की मोती धारण करना चाहिए और यदि चन्द्रमाँ आपकी कुंडली का शुभ कारक ग्रह है तो निःसंदेह मोती धारण से बहुत शुभ परिणाम प्राप्त होंगे।मोती रत्न धारण करने से उदर रोग भी ठीक होता है जिस जातक का बलिष्ठ चन्द्रमा हो , सुख और समृद्धि प्रदान कर रहा हो , माता की लम्बी आयु वाले व्यक्तिओ को चन्द्र की वास्तुओ का दान नही लेना चाहिए  ना ही मोती किसी से दान में या free में लेकर पहने  द्रव्य से जुड़े व्यावसायिक और नोकरी पेशा लोगों को मोती अवश्य धारण करना चाहिए , जैसे दूध और जल पेय आदि के व्यवसाय से जुड़े लोग , लेकिन इससे पूर्व कुंडली अवश्य दिखाए |दि चंद्रमा लग्न कुंडली में अशुभ होकर शुभ स्थानों को प्रभावित कर रहा हो तो ऐसी स्थिति में मोती धारण न करें। बल्कि सफेद वस्तु का दान करें, शिव की पूजा-अभिषेक करें, हाथ में सफेद धागा बाँधे व चाँदी के गिलास में पानी पिएँ।मोती अनेक रंग रूपों में मिलते हैं। इनकी कीमत भी इनके रूप-रंग तथा आकार पर आंकी जाती है। इनका मूल्य चंद रुपए से लेकर हजारों रुपए तक हो सकता है। प्राचीन अभिलेखों के अध्ययन से पता चलता है कि फारस की खाड़ी से प्राप्त एक मोती छ: हजार पाउंड में बेचा गया था। फिर इसी मोती को थोड़ा चमकाने के बाद 15000 पाउंड में बेचा गया। संसार में आज सबसे मूल्यवान मोती फारस की खाड़ी तथा मन्नार की खाड़ी में पाए जाते हैं। वैसे तो बसरा मोती सर्वधिक प्रचलित है किन्तु यह समुद्रतट पर बनने वाला प्राकृतिक रत्न है जापान के मिकीमोतो कोकिची ने मोती से कल्चर मोती उत्पादन की तकनीक का आविष्कार किया था। इस आविष्कार करेंबाजार के 80 फीसदी भाग पर जापानियों का दबदबा है, जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया और चीन का स्थान आता है। कल्चर मोती 25 रुपये से 100 रुपये रत्ती तक मिल जाते हैं |मोती  यह रत्न, बाकी रत्नों से कम समय तक ही चलता है क्योंकि यह रत्न रूखेपन, नमी तथा एसिड से अधिक प्रभावित हो जाता है।मोती रत्न चन्द्रमा की उर्जा तरंगों को अपनी उपरी सतह से आकर्षित करके अपनी निचली सतह से धारक के शरीर में स्थानांतरित कर देता है जिसके चलते जातक के आभामंडल में चन्द्रमा का प्रभाव पहले की तुलना में बलवान हो जाता है तथा इस प्रकार चन्द्रमा अपना कार्य अधिक बलवान रूप से करना आरंभ कर देते हैं। यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि चन्द्रमा का रत्न मोती किसी कुंडली में चन्द्रमा को केवल अतिरिक्त बल प्रदान कर सकता है तथा मोती किसी कुंडली में चन्द्रमा के शुभ या अशुभ स्वभाव पर कोई प्रभाव नहीं डालता। इस प्रकार यदि किसी कुंडली में चन्द्रमा शुभ हैं तो मोती धारण करने से ऐसे शुभ चन्द्रमा को अतिरिक्त बल प्राप्त हो जायेगा जिसके कारण जातक को चन्द्रमा से प्राप्त होने वाले लाभ अधिक हो जायेंगें जबकि यही चन्द्रमा यदि किसी जातक की कुंडली में अशुभ है तो चन्द्रमा का रत्न धारण करने से ऐसे अशुभ चन्द्रमा को और अधिक बल प्राप्त हो जायेगा जिसके चलते ऐसा अशुभ चन्द्रमा जातक को और भी अधिक हानि पहुंचा सकता है। इस लिए चन्द्रमा का रत्न मोती केवल उन जातकों को पहनना चाहिये जिनकी कुंडली में चन्द्रमा शुभ रूप से कार्य कर रहे हैं तथा ऐसे जातकों को चन्द्रमा का रत्न कदापि नहीं धारण करना चाहिये जिनकी कुंडली में चन्द्रमा अशुभ रूप से कार्य कर रहें हैं।मोती के कुछ गुणों के बारे में चर्चा करें तो मोती का रंग श्वेत रंग से लेकर, हल्के पीले, हल्के नीले अथवा हल्के काले रंग तक हो सकता है तथा संसार के विभिन्न भागों से आने वाले मोती विभिन्न रंगों के हो सकते हैं। यहां पर इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि विभिन्न जातकों के लिए मोती के भिन्न भिन्न रंग उपयुक्त हो सकते हैं जैसे किसी को हल्के पीले रंग का मोती अच्छे फल देता है जबकि किसी अन्य को श्वेत रंग का मोती अच्छे फल देता है। इसलिए मोती के रंग का चुनाव केवल अपने ज्योतिषी के परामर्श अनुसार ही करना चाहिए तथा अपनी इच्छा से ही किसी भी रंग का मोती धारण नहीं कर लेना चाहिये क्योंकि ऐसा करने से ऐसा मोती लाभ की अपेक्षा हानि भी दे सकता है। रंग के साथ साथ अपने ज्योतिषी द्वारा सुझाये गये मोती के भार पर भी विशेष ध्यान दें तथा इस रत्न का उतना ही भार धारण करें जितना आपके ज्योतिषी के द्वारा बताया गया हो क्योंकि अपनी इच्छा से मोती का भार बदलने से कई बार यह रत्न आपको उचित लाभ नहीं दे पाता जबकि कई बार ऐसी स्थिति में आपका मोती आपको हानि भी पहुंचा सकता है।   उदाहरण के लिए अपने ज्योतिषी द्वारा बताये गये मोती के भार से बहुत कम भार का मोती धारण करने से ऐसा मोती आपको बहुत कम लाभ दे सकता है अथवा किसी भी प्रकार का लाभ देने में अक्षम हो सकता है जबकि अपने ज्योतिषी द्वारा बताये गये मोती के धारण करने योग्य भार से बहुत अधिक भार का मोती धारण करने से यह रत्न आपको हानि भी पहुंचा सकता है जिसका कारण यह है कि बहुत अधिक भार का मोती आपके शरीर तथा आभामंडल में चन्द्रमा की इतनी उर्जा स्थानांतरित कर देता है जिसे झेलने तथा उपयोग करने में आपका शरीर और आभामंडल दोनों ही सक्षम नहीं होते जिसके कारण ऐसी अतिरिक्त उर्जा अनियंत्रित होकर आपको हानि पहुंचा सकती है। इसलिए सदा अपने ज्योतिषी के द्वारा बताये गये भार के बराबर भार का मोती ही धारण करें क्योंकि एक अनुभवी वैदिक ज्योतिषी तथा रत्न विशेषज्ञ को यह पता होता है कि आपकी कुंडली के अनुसार आपको मोती रत्न का कितना भार धारण करना चाहिए यह व्यक्ति की आयु, भार तथा कुंडली में चन्द्रमाँ की स्थिति का पूरा विश्लेषण करने पर मोती के भार को निश्चित किया जाता है  सब से महत्वपूर्ण बात यह है कि विचार किए बिना किसी भी प्रकार का रत्न पहनना उचित नही है, क्योंकि यह आप के जीवन पर प्रभाव डालता है। आप उस रत्न को धारण करें, जो आप की जन्म कुंडली के अध्ययन के बाद सुझाया जाए। हो सकता है कि हर रत्न आप के लिये अनुकूल न हो, इसलिए आप रत्न से प्राप्त होने वाले लाभों से वंचित रह जाएंगे। रत्न को, उस के उत्तम गुणों के बावजूद, पहले आप की कुंडली की ग्रहीय दशा के साथ जोड़ कर देखा जाता है। इस से फायदा भी ज़्यादा होता है और संभावित नकारात्मक प्रभावों से भी आप बच सकते हैं। आप  अपनी कुंडलीकी विवेचना अध्ययन करने  के वाद ही रतन घारन करें आचार्य राजेश कुमार 07597718725-09414481324



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