बुधवार, 21 फ़रवरी 2018

Red Coral मुगा रत्न

मित्रों आज बात करते हैं मूंगा रत्न की जिसे अंग्रेजी में कोरल कहा जाता है। यह समुद्र की गहराई मेवनस्पति के रूप में पाया जाता है। समुद्र में मूंगा का निर्माण j एक विशेष प्रकार के जन्तुओं द्वारा किया जाता है।
  इन वनस्पति को समुद्र से निकालने और तराशने के बाद कोरल यानि मूंगा रत्न का निर्माण किया जाता है।मूंगा मुख्यतः लाल रंग का होता है। इसके अतिरिक्त मूंगा सिंदूरी, गेरुआ, सफेद तथा काले रंग का भी होता है। मूंगा 
एक जैविक रत्न होता है।मूंगा समुद्र के गर्भ में लगभग छः-सात सौ फीट नीचे गहरी चट्टानों पर विशेष प्रकार के कीड़े, जिन्हें आईसिस नोबाइल्स कहा जाता है, इनके द्वारा स्वयं के लिए बनाया गया घर होता है। उनके इन्हीं 
घरों को मूंगे की बेल अथवा मूंगे का पौधा भी कहा जाता है। बिना पत्तों का केवल शाखाओं से युक्त यह पौधा लगभग एक या दो फुट ऊंचा और एक इंच मोटाई का होता है। कभी-कभी इसकी ऊंचाई इससे अधिक भी हो जाती है। परिपक्व हो जाने पर इसे समुद्र से निकालकर मशीनों से इसकी कटिंग आदि करके मनचाहे आकारों का बनाया जाता है। मूंगे के विषय में कुछ लोगों की धारणा कि मूंगे का पेड़ होता है किंतु वास्तविकता यह है कि मूंगे का पेड़ नहीं होता और न ही यह वनस्पति है। बल्कि इसकी आकृति पौधे जैसी होने के कारण ही इसे पौधा कहा जाता है। वास्तव में यह जैविक रत्न होता है। मूंगा समुद्र में जितनी गहराई पर प्राप्त होता है, इसका रंग उतना ही हल्का होता है। इसकी अपेक्षा कम गहराई पर प्राप्त मूंगे का रंग गहरा होता है। अपनी रासायनिक संरचना के रूप में मूंगा कैल्शियम कार्बोनेट का रूप होता है। मूंगा भूमध्य सागर के तटवर्ती देश अल्जीरिया, सिगली के कोरल सागर, ईरान की खाड़ी, हिंद महासागर, इटली तथा जापान में प्राप्त होता है। इटली से प्राप्त मूंगे को इटैलियन मूंगा मूंगा को मंगल ग्रह का रत्न कहा जाता है। मूंगा दूसरे रत्‍नों की तरह रसायनिक पदार्थों से मिलकर नहीं बना है बल्कि यह एक वनस्‍पति है इसलिए इसका अध्‍ययन वनस्‍पति विज्ञान में किया जाता है। यह पानी से बाहर आने के बाद हवा के संपर्क में आने से कठोर हो जाता है।  ये कहा जाता है की मूंगा धारण करने से बुरी नजर, बुरी आत्मा और शैतानी ताकतें धारक को स्पर्श  नहीं कर सकती|इसीलिए प्रायः छोटे बच्चों के गले में मूंगे के दाने डाले जाते हैं।जन्म कुंडली में मंगल अच्छे प्रभाव दे रहा हो तो मूंगा अवश्य धारण करना चाहिए। कुंडली में मंगल कमजोर होने पर मूंगा धारण करने से उसे बल दिया जा सकता है। यह पराक्रम बढ़ाता है और आलस्य में कमी लाता है। स्त्रियों में रक्त की कमी और मासिक धर्म, और रक्तचाप जैसी परेशानियो को नियंत्रित करने में भी मूंगा लाभकारी होता है। जिन बच्चों में आत्मविश्वास की कमी और दब्बूपन हो, उन्हें मूंगा जरूर धारण करना चाहिए दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदला जा सकता है। प्रतिकूल ग्रह-गोचरों को अनुकूल बनाया जा सकता है। अर्थात सभी प्रकार की उन्‍नति के लिए रत्‍न धारण करना अत्‍यंत श्रेयस्‍कर माना जाता है। रत्‍न हमें शुभ-अशुभ कार्य होने का पूर्वानुमान भी कराते हैं। ये रत्‍न जाति, धर्म, संप्रदाय से हटकर सभी मानव को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं।नौ रत्‍नों में मूंगे का स्‍थान अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण है। कहा जाता है कि मूंगा धारण करने के बाद शुभ-अशुभ घटनाओं का पूर्वाभास हो जाता है, भयानक व डरावने स्‍वप्‍न नहीं आते, अनिष्‍ट से बचाता है। करंट लगने पर भी मानसिक भय नहीं रहता।
इसके अलावा आंधी झंझावात एवं प्राकृतिक बिजली के झटके भी मूंगा धारण करने वाले को स्पर्श नहीं कर सकते|मूंगा रत्न ऊर्जा प्रदान करने और कार्यों को पूर्ण करने के लिए जाना जाता है। मूंगा धारण करने से कई फायदे होते हैं, कुछ लाभ इस प्रकार हैं: नहीं
मूंगा रत्न खून, अस्थि मज्जा और सिर से संबंधित बीमारियों से रक्षा करता है। कुछ रोग जैसे- पाइल्स, अल्सर यानि फोड़े आदि होने पर मूंगा रत्न पहना जा सकता है।
यह रत्न शारीरिक शक्ति बढ़ाने और हड्डियों को मजबूत बनाने में भी सक्षम होता है।
मूंगा सांप और बिच्छू के विष के प्रभाव को कम करता है या सर्पदंश और बिच्छू के डंक से रक्षा करता है।
वे लोग जो जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। मूंगा के प्रभाव से उन्हें धैर्य और साहस मिलता है।
लाल मूंगा धारण करने से जीवन में आने वाले मुश्किल हालात का आत्म सम्मान और दृंढ इच्छाशक्ति के साथ सामना करने का बल प्राप्त होता है।
ऐसा माना जाता है कि यदि गर्भवती महिला मूंगा रत्न पहनती हैं तो गर्भावस्था के शुरुआती 3 महीनों में गर्भपात की संभावना कम हो जाती है।
वे बच्चे जो कुपोषण से पीड़ित हैं उनके लिए लाल मूंगा रत्न पहनना लाभकारी होता है।
मूंगा आपके अंदर नेतृत्व क्षमता का विकास करता है और आप जीवन की चुनौतियों से लड़ने में सक्षम बनते हैं।ज्योतिष विद्या के अनुसार हर ग्रह को एक विशेष रत्न प्रदर्शित करता है। अपनी कुंडली के अनुसार पहनने से कुंडली में मंगल को वल  देने ओर मंगल की उर्जा वडाने के लिए चारण करें यदि मंगल कारक ओर शुभ है   इसी तरह हर ग्रह के अनुसार रत्न धारण किया जाता है। यदि किसी पर मंगल का क्रूर प्रभाव है तो उस जातक को अपनी कुंडली के अनुसार मूंगा धारण करना चाहिए ना की राशी या अंक ज्योतिष के अनुसार। मूंगा पहनने से व्यक्ति को अपार ऊर्जा मिलती है। इसको धारण करने से दुर्घटनाओं से, अपयश से, जेल यात्रा आदि से छुटकारा मिल जाता है  अर्थात सभी प्रकार की उन्‍नति के लिए रत्‍न धारण करना अत्‍यंत श्रेयस्‍कर माना जाता है। रत्‍न हमें शुभ-अशुभ कार्य होने का पूर्वानुमान भी कराते हैं। ये रत्‍न जाति, धर्म, संप्रदाय से हटकर सभी मानव को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं ज्योतिष को परोपकार से ज्यादा व्यवसाय मानकर अपना लिया गया है, इसलिए बाजार में असली के साथ-साथ नकली रत्न भी उपलब्ध है। नकली मूंगा भी बहुत कुछ असल से मिलता है। इसीलिए आम मनुष्य क्या कई बार तो ज्योतिषशास्त्री भी इसे देखकर धोखा खा जाते हैं।और अगर इसके उलट किसी ने इस रत्न को बिना सलाह के जबरदस्ती पहन लिया और उसका मंगल नकारात्मक है तो क्रोध एकदम बढ़ जाता है , उच्च - रक्तचाप कि समस्या हो जायेगी , आपकी संपत्ति सम्बन्धी विवाद बढ़ जायेंगे और ख़तम होने का नाम नहीं लेंगे , बहन - बुआ के साथ विशेष रूप से झगड़ा करवा देगा , कर्कश भाषा हो जायेगी आपकी , हड्डियाँ कि कमजोरी और पेट में बढ़ा देगा ।* अगर कुंडली में आपका मंगल खराब है , आपको आमतौर पर गुस्सा रहता है , और गुस्सा नाक पर बैठा रहता है , धुल , धुप और धुए से परेशानी होती है , अगर आप ज्यादा दवाई लेते है तो मूंगा नहीं पहनना चहिये ।नोट :


( कृपया किसी भी रत्न करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिष से सलाह जरुर ले ले और सिर्फ यहाँ पोस्ट पढ़ने मात्र से कृपया रत्न को धारण करने का मन न बनाये क्यूंकि सभी भी कुंडली अलग होती है आचार्य राजेश 07597718725-09414481324

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