……
मित्रों आप सब को आचार्य राजेश का नमस्कार। मित्रों मैं आप सब का धन्यवाद करता हूँ कि आप सब समय निकाल कर मेरे आर्टिकल्स पड़ते हैं और उनसे अधिक अधिक लाभ उठाते हैं।मित्रों आज मैं खाना न 4 की व्याख्या करने जा रहा हूं जिसे लाल किताब में माता की गोद कहा है |
चोथे भाव का स्वामी चन्द्रमा है। इस भाव का कारक भी चन्द्रमा है। लाल किताब ने चन्द्रमा को माता माना है। ज्योतिष शास्त्र में भी चन्द्रमा माता का कारक है। इसी कारण चतुर्थ को मातृ भाव की संज्ञा दी गयी है।चतुर्थ भाव केंद्र भावों में से एक है। लाल किताब में केंद्र भावों को बंद मुठी के भाव कहा गया लाल किताब में हथेली के विभिन्न भावों के स्थान माने गए है। अंगुलियों से ठीक नीचे ह्रदय - रेखा से घिरे हुए स्थान पर अनामिका की जड़ में प्रथम भाव, कनिष्टिका की जड़ में सप्तम और मध्यमा की जड़ में दसवें भाव का स्थान है। चतुर्थ भाव का स्थान कलाई के बिलकुल पास में हथेली के गुद्दे पर है। मुट्ठी बंद करने पर 1 ,7 ,10 ही मुट्ठी के भीतर आते है। चन्द्रमा का सिंहासन तो मुट्ठी से बाहर रह जाता है। फिर भी चतुर्थ को बंद मुठी का भाव कहने का कारण यह है कि इस भाव के द्वारा गर्भस्र्त शिशु का विचार किया जाता है। माता की गोद, पेट का जमाना। शिशु को अपने भीतर बंद किये हुए गर्भाशय बंद मुठी ही तो है।गर्भावस्था के समय तीनों नर ग्रह (सूर्य, मंगल, गुरु) चन्द्र माता की शरण में होते है। उसका मित्र बुध भी मदद करता है। फलतः गर्भस्थ शिशु पूर्णतः सुरक्षित रहता है।“तीनों मित्र ग्रह नर शरण माता की, पेट अंदर कुल पलता हो।”इस किलेबंदी के रहते हुए राहु केतु जैसे परम पापी भी गर्भ का कोई अनिष्ट नही कर पाते। यहां पर बैठा ग्रह चंद्र के प्रभाव में होता है“ग्रह चौथे हो जो कोई बैठा, तासीर चन्द्र वो पाता है।असर मगर हो उस घर जाता, शनि जहां टेवे बैठा हो।”यदि चतुर्थ स्तिथ ग्रहों में से किसी का अशुभ प्रभाव हो तो वह उस घर में चल जाता है, जिसमे शनि देव विराजमान हों। चन्द्रमा रात्रि बलि होता हे । इसलिए जन्म कुंडली में चतुर्थ में जो भी ग्रह विधमान होते है ,वे रात्रि बलि हो जाते है -“ग्रह चौथे का रात को जागे, या जागे मुसीबत में।”चतुर्थ में कोई ग्रह अकेला हो और उसका सहायक कोई न हो तो वह बुढ़ापे में शुभ फल देता है -“मदद कोई हो न जब करता है, आ तारे वो बुढ़ापे में”चतुर्थ भाव खाली हो और चन्द्रमा केंद्र के घरों से बाहर हो तो भी सब ग्रहों का फल उत्तम होता है, चाहे चन्द्रमा रद्दी ही क्यों न हों -“खाली होते चौथे मंदिर आखिरी उम्र तक उन्नति हो,चन्द्र का फल दे चन्द्र, बैठा चन्द्र चाहे नष्टि हो “चौथे भाव का मालिक चन्द्रमा है,जो इस घर में उच्च फ़ल का भी है,यानी चन्द्रमा या गुरु किसी का भी चौथे भाव में होना शुभ फ़ल ही देता है,चौथे घर में हम अपने पिता की ओर से क्या प्राप्त करेंगे,या पिता की स्थिति कैसी होगी हमे इस बात का संकेत मिलता है। इसके अलावा पिता के साथ हमारा संबन्ध कैसा होगा यह भी चौथे भाव से देखा जाता है। चौथा भाव घर में पानी रखने का स्थान है,यह नल कुंआ आदि का भी कारक है,शारीरिक तौर पर हमारे शरीर में आयुर्वेदिक सिद्धान्तों के अनुसार सर्दी गर्मी या हमारे मन की शांति का चौथे घर से विशेष सम्बन्ध है,यहां पर अशुभ ग्रह होने से मन की शांति पर बुरा असर पडता है,कई बार सब कुछ होते हुये भी व्यक्ति के मन की खुशी में विघ्न ही रहते हैं,यानी वह समस्या न होते हुये भी मुरझाये फ़ूल की तरह रहता है,तथा उसके जीवन में जद्दोजहद के हौसले में भी काफ़ी कमी आ जाती है।थे घर का सम्बन्ध हमारी उम्र के दूसरे हिस्से से यानी पच्चीस साल की आयु से लेकर पचास साल की आयु तक,इसी हिस्से में हमारे गृहस्थ जीवन और जवानी के समय में हम कहां तक लाभ प्राप्त कर सकते है उसके बारे में भी इस घर से पूरी तरह जाना जा सकता है,यह घर हमारी किस्मत भाग्य से भी संबन्ध रखता है,लेकिन किस्मत के उस हिस्से से जो पूर्वजन्म से हम अपने साथ लाये हैं,यानी किस्मत किस हद तक हमारा साथ देगी इसक संबन्ध भी चौथे घर से है।दिशा की द्रिष्टि से चौथा भाव पूर्व और उत्तर दिशा का कारक है,इस तरह से हमारे कामों के सम्बन्ध में चौथा घर कपडे के काम से विशेष सम्बन्ध रखता है,इसके अलावा पानी और दूध भी इसके अन्तर्गत आते है,शायद इसीलिये यदि चौथे भाव में चन्द्रमा हो तो इसे खर्च करने पर बढने वाला आमदन का दरिया कहा जाता है,यदि चौथे घर मे शुभ ग्रह अथवा चन्द्रमा या गुरु या दोनों हो तो तब व्यक्ति को कपडे से सम्बन्धित काम करने से भी लाभ होता है,शर्त यह है कि दसवें घर में कोई अशुभ ग्रह न हो,क्योंकि चौथे घर की सातवीं द्रिष्टि दसवें घर अर्थात हमारे कर्म स्थान पर पडती है।थोथा घर हमारे आमदन के साधनों से भी सम्बन्ध रखता है,यानी जीवन में जो हम कमायेंगे उस कमाई का चश्मा किस ओर से और किस तरह से हमें प्राप्त होगा। यह घर गर्भ अवस्था अथवा माता के पेट से भी सम्बन्ध रखता है,वास्तव में माता के पेट मे होने से नही बल्कि जन्म के बाद का जो जो पहला हिस्सा है,यानी शैशव काल है,उसका भी इस घर से सम्बन्ध है,शायद कई बार चन्द्रमा कमजोर होने की स्थिति में बच्चे का शैशव काल का जमाना स्वास्थ्य के सम्बन्ध में इतना अच्छा नहीं रह जाता है।थोथा घर हमारी माता से विशेष संबन्ध रखता है,यदि यहां पर खराब ग्रह हों तो माता के लिये खराब असर होता है,यानी माता के मन की शांति व स्वास्थ्य ठीक नही रह पाता है,यदि यहां पर शुक्र राहु जैसे ग्रह हों तो माता की सेहत के लिये इसका असर अच्छा नहीं रह पाता। मंगल और केतु का भी असर होना माता के स्वास्थ्य को खराब करता है,माता के अलावा इसका सम्बन्ध हमारे नाना के घर से भी है,यानी माता के बहन भाइयों तथा माता के माता-पिता से यानी नाना नानी से। यहां पर बहुत अशुभ ग्रह होने से मामा पर बुरा असर पडता है,वेश टिप्पणी : जब चौथे घर में अकेला ग्रह हो और चंद्रमा बंद मुट्ठी के खानों से बाहर कहीं भी बरबाद या खराब हो रहा हो तो चौथे घर का ग्रह शुभ फल होगा, चाहे वह चंद्रमा का मित्र हो या शत्रु | यह सिद्धांत मंगल बद या मांगलिक पर भी लागू होगा। यदि चंद्रमा 8 वृश्चिक में नीच का हो या 11 वें घर मे शुन्य (निरपेक्ष या मंदा) हो, चौथे घर वाला ग्रह शुभ फल हो किताब तरमीम शुदा (1942) में लिखा है : "ग्रह चैथे के रात को जागे,या जागे वह मुसीबत में।मदद कोई न हो जब करता, आ तारे वह बुढ़ापे में ।।"
कुण्डली के खाना नम्बर 4 को लाल किताब में माता की गोद व पेट का ज़माना कहा गया है। माता का ताल्लुक दिल, दूध, धन-दौलत, कुदरती तौर पर तबीयत का झुकाव क्या होगा। शान्ति सुभाओ, सर्द तर पानी जैसा (मानिन्द पानी) होगा। व्यक्तिगत लिखी हुई बात (तहरीर जाती), माता का पेट, जिस्मानी हालत का असर, घोड़ा, दूध वाले चारपाये, आबी या पानी के जानवर, माता का खानदान, मासी फूफी का मकान, खाली तह ज़मीन, धरती माता, समन्दर पार या समन्दर का सफ़र, खुशी, बृहस्पत का धन, हौंसला, रस या फलों के रस , बजाजी कपड़े का काम, रूहानी ताकत मुताल्लिका सूरज, वक्त जवानी, साथ लाई हुई चन्द्र की चीज़ें, धन, मर्दों का ताल्लुक, रूहानी कारोबार, (उत्तर-पूर्व स्थान) शुमाल मशरिक, बृहस्पत, सूरज, चन्द्र जैसे हों वैसा ही फल होगा। शुक्र मंगल बद या मंगलीक, केतु राशि फल के होंगे। ग्रह का असर मानिन्द रफ्तार केकड़ा होगा यानी ग्रह का असर केकड़े की गति जैसा होगा। यह मैदान (सहन) है खाना नम्बर 10 का और इस घर का न्यायकर्ता (मुन्सिफ) सनीचर होगा।चन्द्र खाना नम्बर 4 का मालिक है। दूध का सफेद चन्द्र, राहु केतु इस घर में पाप छोड़ने का हलफ लिये होते हैं यानी पाप न करने की कसम खाते हैं। यह भी संभव है कि उनके चुप रहने से लाभ के स्थान पर हानि भी हो सकती है। जैसे दंड देने का अधिकारी यदि शरारती को न डांटे तो अत्याचार और भी बड जाता है।जिस तरह रात को जागने वाले आंख के होशियार होते हैं, उसी तरह ही इस घर के ग्रह रात को जागने या अपना असर रात को दिया करते हैं या वह ग्रह आखिरी वक्त जब कोई मददगार न हो, मदद दिया करते हैं। बुढ़ापे में तो खासकर मदद करते हैं।इस घर में चाहे सनीचर ज़हरीला सांप और मंगल जला हुआ मगर राहु केतु धर्मात्मा ही रहेंगे या यूं कहो कि चुप होंगे और पाप न करेंगे। चन्द्र बन्द मुट्ठी (खाना नम्बर 1,4,7, 10) से बाहर चाहे रद्दी हो और उस वक्त खाना नम्बर 4 खाली हो तो चन्द्र का नेक असर होगा। नम्बर 4 में कोई भी अकेला ग्रह हो और चन्द्र बन्द मुट्ठी से बाहर मन्दा हो रहा हो तो नम्बर 4 वाला ग्रह नेक असर ही देगा। अपने घर खाना नम्बर 4 में चन्द्र खर्चने पर और बढ़ने वाला आमदन का दरिया होगा। माता के आर्शीवाद से माया की लहर बहर होगी।इस घर का पानी में रहने वाले जीव जन्तुओं से भी सम्बन्ध है,और इसके अलावा दूध देने वाले जानवर गाय भैंस आदि से भी इसका संबन्ध है,सवारी के संबन्ध में यह घर चार पहिया के वाहन का कारक है,क्योंकि पिछले जमाने में इस घर को घोडे का घर कहा जाता था,और दरियायी घोडा भी इसी घर से सम्बन्ध रखता है,चौथे घर को लक्ष्मी स्थान भी माना जाता है,इसका अर्थ है कि उस व्यक्ति के धन रखने का स्थान,यदि यहां पर शुभ ग्रह हों तो मकान के उसी भाग में यदि वह व्यक्ति अपने धन को रखे तो उसका फ़ल काफ़ी मात्रा में शुभ हो जाता है,इस घर को चश्मारिजक भी कहा जाता है,यानी हमारे जीवन में उन्नति के लिये हमारी किस्मत का चश्मा फ़ूटेगा,या नहीं अथवा किस प्रकार या किस साधन से हम अपना धन कमायेंगे,और किस मात्रा में कमा सकते हैं।पौधों दरख्तों में रसभरे फ़लों के वृक्षों का कारक चौथा घर है,ऐसे वृक्ष जिनके फ़ल रस से भरे हों,फ़ल तो खजूर भी कहा जाता है,लेकिन खजूर कोई रसभरा फ़ल नहीं है,उदाहरण के लिये तरबूज आम अंगूर अनानास आदि फ़ल चौथे भाव के फ़ल से सम्बन्धित होते हैं।हमारे शरीर के अंगों में चौथे घर का संबन्ध हमारी छाती या हमारे दिल से है,इसी तरह से कई बार चौथे घर में अशुभ ग्रह होने से दिल की बीमारी होने का अंदेशा रहता है,औरत के टेवे में चौथा घर नाभि या पेट के अंदरूनी भाग से भी सम्बन्ध रखता है,यानी स्त्री की कुंडली में यदि चौथे भाव में अशुभ ग्रह होंतो वह बच्चा होने के समय या गर्भावस्था में स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है।धन के मामले में चौथे घर का सम्बन्ध हमारे पिछले जन्म से लाये हुये बंद मुट्ठी का कारक है,यानी पिछले जन्मों के अनुसार जो हमारा भाग्य है,उसके फ़ल की प्राप्ति की मात्रा का संबन्ध भी इसी घर से है,इसीलिये इसे साथ लाया माल या बन्द मुट्ठी के अन्दर का हिस्सा कहा जाता है।चौथा घर चन्द्रमा का घर है,इसलिये इस घर का रात्रि के समय में बहुत सम्बन्ध है,यदि यहां पर शुभ ग्रह हों तो रात को किये हुये काम अच्छा फ़ल देंगे,यानी वह ग्रह रात के समय ज्यादा शक्तिशाली होंगे,यदि यहां अशुभ ग्रह हों तो हम पर विपदा भी रात के समय ही आयेगी,यदि यहां शुभ ग्रह हों तो वह रात्रि के समय पूरी अवस्था में जाग पडते हैं,यहां पर यह बात भी ध्यान रखने योग्य है,कि चौथे घर में यानी चन्द्रमा के घर में माता के घर में बैठा हुया कोई भी ग्रह अशुभ फ़ल नहीं देता है,यदि चन्द्रमा केंद्रीय घरों अर्थात एक चार सात दस से बाहर बैठा हो। इस घर में चन्द्रमा ग्रहफ़ल का और मंगल शुक्र केतु राशिफ़ल के होते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें