गुरुवार, 23 अगस्त 2018

एकादश भाव खाना नं 11

जीवन के आधारभूत तत्वों में से आय और व्यय महत्वपूर्ण होता है. हम सभी यह जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि हमारी आमदनी कैसी होगी तथा संचय की स्थिति क्या होगी. इन सभी बातों की जानकारी क्रमश: ग्यारहवें और बारहवें घर से मिलती है. ग्यारहवां भाव आय का घर माना जाता है तो बारहवां व्यय काएकादश भाव को आय का घर कहा जाता है .

 यह घर दशम भाव में किये गये कर्मों का फल होता है. यह भाव बलवान होने पर व्यक्ति को अपने किये कर्यों का पूरा लाभ मिलता है. व्यक्ति की आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है. व्यक्ति के मन में आशा का संचार होता रहता है. जीवन की सामान्य आवश्यकताओं को पूरा करना आसान होता है.आज का युग अर्थ युग कहा जाता है. इसलिए जीवन में धन की अहमियत बढ़ गयी है., इसलिए आय भाव यानी ग्यारहवें घर का महत्व भी ज्यादा हो गया है. सभी लोग यह जानना चाहते हैं कि उनकी आय कैसी होगी. इस विषय की जानकारी ग्यारहवें भाव से ही मिलती है. हमारे शरीर में ग्यारहवें भाव का स्थान कान तथा पैर की पिण्डलियों को माना जाता है.छोटे-भाई बहनों की उच्च शिक्षा (high education) व विदेश यात्रा के लिये देखा जाता है. मां की लम्बी अवधि की बीमारी के विषय में इस स्थान से विचार किया जाता है क्योंकि एकादश भाव माता के स्थान यानी चतुर्थ भाव से आठवां घर होता है . माता के साथ होने वाली किसी प्रकार की दुर्घटना के विषय में भी इस घर से विचार किया जाता है. पिता की कम दूरी की यात्रा का संबन्ध भी इस भाव से होता है. वाहन को बदलने का विचार हो तो उस स्थिति में भी एकादश भाव का आंकलन किया जाता है. संतान की सफलता के विषय में जानने के लिए इस भाव को देख सकते हैं.बारहवें स्थान से बारहवां होने के कारण व्ययों में कमी के लिए भी देखा जाता है. बारहवें स्थान को अस्पताल का घर कहते है. मृत्युशैय्या के लिये बारहवें घर को देखा जाता है. परन्तु एकादश भाव से रोग से मुक्ति का विचार किया जाता है. कोई वस्तु खो गई हो अथवा कोई व्यक्ति घर छोड़कर चला गया हो तो इस विषय में सम्बन्धित बातों को जानने के लिए ग्यारहवें घर को देखा जाता है. बारहवां स्थान दु:ख का स्थान होता. इस भाव से मिलने वाले सभी विषयों में ग्यारहवां घर कमी लाता है.घर के बरामदे या टेरिस में स्थान दिया गया है. आय भाव के बाधित होने पर घर के बरामदे में रखी वस्तुओं में दिशा दोष आने की संभावना रहती है.एकादश भाव दशम स्थान(कर्म) से द्वितीय है| अतः कर्मों से प्राप्त होने वाले लाभ या आय एकादश भाव से देखे जाते हैं| मनुष्य को प्राप्त होने वाली प्राप्तियों के संबंध में एकादश भाव सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाव है| ये निज प्रयास या निजकर्मों द्वारा अर्जित व्यक्ति की उपलब्धियों की सूचना देता है फारसी में इस भाव को याप्ति खाने कहते हैं| यह भाव एक उपचय स्थान भी है| इस भाव की दिशा आग्नेय(South-East) है|द्वितीय भाव के साथ-साथ एकादश स्थान का भी मनुष्य की आर्थिक स्थिति से घनिष्ठ संबंध है। जब भी किसी जन्मकुंडली में द्वितीय भाव के साथ-साथ एकादश भाव मजबूत स्थिति में होता है तो व्यक्ति धनवान, यशस्वी तथा अनेक प्रकार की भौतिक सुख- सुविधाओं को भोगने वाला होता है।पाप अकेला असर अकेला, तीन पांच नौ ग्यारह; शनि बली का साथ मिले तो, असर बढ़े गुणा ग्यारह।’’ कुण्डली के खाना नम्बर 11 को लाल किताब में गुरू अस्थान (जाये इन्साफ) इंसाफ की जगह या इन्सानी किस्मत की बुनियाद कहा गया है। इन्सान का जाती हाल (आमदन-कमाई-जन्म वक्त) या टेवे वाले का कुल दुनिया से ताल्लुक और सब की इकट्ठी (मुश्तर्का) किस्मत का मैदान हर शख्स अपने साथ लिए हुये है।

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