आचार्य राजेश (ज्योतिष,वास्तु , रत्न , तंत्र, और यन्त्र विशेषज्ञ ) जन्म कुंडली के द्वारा , विद्या, कारोबार, विवाह, संतान सुख, विदेश-यात्रा, लाभ-हानि, गृह-क्लेश , गुप्त- शत्रु , कर्ज से मुक्ति, सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक ,पारिवारिक विषयों पर वैदिक व लाल किताबकिताब के उपाय ओर और महाकाली के आशीर्वाद से प्राप्त करें07597718725-०9414481324 नोट रत्नों का हमारा wholesale का कारोबार है असली और लैव टैस्ट रत्न भी मंगवा सकते है
बुधवार, 22 अगस्त 2018
परा विद्या के द्वारा क्या होता है
परालौकिक शक्तिभूत-प्रेत, पिशाच, आत्माएं
जरा सोचिए एक ऐसी ताकत जो आपको ना तो नुकसान पहुंचा रही है न ही आपके लिए कोई परेशानी खड़ी कर रही है लेकिन फिर भी उसका दिखाई ना देना आपके लिए कितना भयामय है
भूत-प्रेत, पिशाच, आत्माएं इन सब से जुड़ी बातें जितनी ज्यादा रोमांचित करती हैं उतनी ही सिहरन और भय का माहौल भी बनाती हैं. रात के समय इन आत्माओं का अगर जिक्र भी छिड़ जाए तो भी चारों तरफ डर और भय का माहौल बन जाता है. बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो इस अंधेरी दुनिया और काले साये जैसी बातों पर भरोसा नहीं करते लेकिन एक सच यह भी है कि अच्छे के साथ-साथ बुरा भी होता है. अगर हम ईश्वर पर विश्वास करते हैं तो हमें पिशाचों पर भी विश्वास करना होगा, नहीं तो सत्य से मुंह फेरने वाली बात ही होगी. आपने ऐसे बहुत से लोगों कोवो दिखाई भी देते है ओर वहुँत से लोग ईनकी पकङ मे फंस जाते है
अपनी इच्छाओं और अधूरी आंकाक्षाओं को पूरा करने के लिए कुछ लोग मरने के बाद भी वापिस आते हैं. इसके अलावा अगर अपने संबंधियों या परिचितों के साथ उनका कोई सौदा बकाया रह जाता है तो भी उनकी आत्मा को शांति नहीं मिलती और वह उस लेन-देन को पूरा करने के लिए जीवित लोगों की दुनिया में कदम रखते हैं.अगर मरते हुऐ आदमी से कोई वायदा किया हो ओर आप उसे पुरा नही करते तो आत्मा जन्मो तक पिछा नही छोङती
बिना शरीर के मृत आत्माएं अपनी इच्छाओं को पूरा नहीं कर सकतीं इसीलिए उन्हें एक शरीर की आवश्यकता पड़ती है. वह किसी व्यक्ति के शरीर में वास कर अपनी अधूरी इच्छाओं को पूरा करती हैं. यह उनकी इच्छा की गहराई और उसके पूरे होने की समय सीमा पर निर्भर करता है कि वह किसी व्यक्ति के शरीर में कितनी देर तक ठहरते हैं. यह अवधि कुछ घंटों या सालों की भी हो सकती है. कई बार तो जन्मों-जन्मों तक वह आत्मा उस शरीर का पीछा नहीं छोड़ती.
ऐसा माना जाता है कि जानवर किसी आत्मा या पिशाच की उपस्थिति को सबसे पहले भांप सकता है. अगर रात के समय कोई कुत्ता बिना किसी कारण के भौंकने लगे या अचानक शांत होकर बैठ जाए तो इसका मतलब है उसने किसी पारलौकिक शक्ति का अहसास किया है.सुक्ष्मरुम मे भी आत्माऐ घुमती है
झगड़े या विवाद के पश्चात किसी भूमि या इमारत का अधिग्रहण किया जाता है और इस झगड़े के कारण किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो वह जगह हॉंटेड बन जाती है. निश्चित तौर पर वहां बुरी आत्माएं अपना डेरा जमा लेती हैं.
जीवित लोगों को बहुत चीजें प्यारी होती हैं. किसी को अपना मोबाइल प्यारा होता है तो कोई अपने कैमरे के बिना नहीं रह सकता. लेकिन अगर आप यह सोचते हैं कि मरने के बाद यह प्यार समाप्त हो जाता है तो आप गलत हैं. क्योंकि मरने के बाद भी चीजों के साथ यह लगाव बरकरार रहता है और जिन चीजों को मृत व्यक्ति अपने जीवन में बहुत प्यार करता था मरने के बाद भी उसे अपना ही समझता है. इसीलिए अगर कोई दूसरा व्यक्ति उस वस्तु को हाथ लगाए तो यह उन्हें बर्दाश्त नहीं होता..
भूत-प्रेत का नाम सुनते ही अचानक ही एक भयानक आकृति हमारे दिमाग में उभरने लगती है और मन में डर समाने लगता है। हमारे दैनिक जीवन में कहीं न कहीं हम भूत-प्रेत का नाम अवश्य सुनते हैं। कुछ लोग भूतों को देखने का दावा भी करते हैं जबकि कुछ इसे कोरी अफवाह मानते हैं। भूत-प्रेत से जुड़ी कई मान्यताएं व अफवाएं भी हमारे समाज में प्रचलित हैं।
विभिन्न धर्म ग्रंथों में भी भूत-प्रेतों के बारे में बताया गया है। सवाल यह उठता है कि अगर वाकई में भूत-प्रेत होते हैं तो दिखाई क्यों नहीं देते या फिर कुछ ही लोगों को क्यों दिखाई देते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार जीवित मनुष्य का शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना होता है-पृथ्वी, जल, वायु, आकाश व अग्नि। मानव शरीर में सबसे अधिक मात्रा पृथ्वी तत्व की होती है और यह तत्व ठोस होता है इसलिए मानव शरीर आसानी से दिखाई देता है।
जबकि भूत-प्रेतों का शरीर में वायु तत्व की अधिकता होती है। वायु तत्व को देखना मनुष्य के लिए संभव नहीं है क्योंकि वह गैस रूप में होता है इसलिए इसे केवल आभास किया जा सकता है देखा नहीं जा सकता। यह तभी संभव है जब किसी व्यक्ति के राक्षण गण हो या फिर उसकी कुंडली में किसी प्रकार का दोष हो। मानसिक रूप से कमजोर लोगों को भी भूत-प्रेत दिखाई देते हैं जबकि अन्य लोग इन्हें नहीं देख पाते।
धर्म शास्त्रों के अनुसार भूत का अर्थ है बीता हुआ समय। दूसरे अर्थों में मृत्यु के बाद और नए जन्म होने के पहले के बीच में अमिट वासनाओं के कारण मन के स्तर पर फंसे हुए जीवात्मा को ही भूत कहते हैं।
जीवात्मा अपने पंच तत्वों से बने हुए शरीर को छोडऩे के बाद अंतिम संस्कार से लेकर पिंड दान आदि क्रियाएं पूर्ण होने तक जिस अवस्था में रहती है, वह प्रेत योनी कहलाती है।
गरूण पुराण के अनुसार व्यक्ति की मृत्यु के बाद पुत्र आदि जो पिंड और अंत समय में दान देते हैं, इससे भी पापी प्राणी की तृप्ति नहीं होती क्योंकि पापी पुरुषों को दान, श्रद्धांजलि द्वारा तृप्ति नहीं मिलती। इस कारण भूख-प्यास से युक्त होकर प्राणी यमलोक को जाते हैं इसके बाद जो पुत्र आदि पिंडदान नहीं देते हैं तो वे मर के प्रेत रूप होते हैं और निर्जन वन में दु:खी होकर भटकते रहते हैं।
प्रत्येक नकारात्मक व्यक्ति की तरह भी भूत भी अंधेरे और सुनसान स्थानों पर निवास करते हैं। खाली पड़े मकान, खंडहर, वृक्ष व कुए, बावड़ी आदि में भी भूत निवास कर सकते हैं।
हमें कई बार ऐसा सुनने में आता है कि किसी व्यक्ति के ऊपर भूत-प्रेत का असर है। ऐसा सभी लोगों के साथ नहीं होता क्योंकि जिन लोगों पर भूत-प्रेत का प्रभाव होता है उनकी कुंडली में कुछ विशेष योग बनते हैं जिनके कारण उनके साथ यह समस्या होती है। साथ ही यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा नीच का हो या दोषपूर्ण स्थिति में हो तो ऐसे व्यक्ति पर भी भूत-प्रेत का असर सबसे ज्यादा होता है।
प्रेत बाधा से ग्रस्त व्यक्ति की आंखें स्थिर, अधमुंदी और लाल रहती है। शरीर का तापमान सामान्य से अधिक होता है। हाथ-पैर के नाखून काले पडऩे के साथ ही ऐसे व्यक्ति की भूख, नींद या तो बहुत कम हो जाती है या बहुत अधिक। स्वभाव में क्रोध, जिद और उग्रता आ जाती है। शरीर से बदबूदार पसीना आता है।
हमारे आस-पास कई ऐसी अदृश्य शक्तियां उपस्थित रहती है जिन्हें हम देख नहीं पाते। यह शक्तियां नकारात्मक भी होती है और सकारात्मक भी। सिर्फ कुछ लोग ही इन्हें देख या महसूस कर पाते हैं। राक्षस गण वाले लोगों को भी इन शक्तियों का अहसास तुरंत हो जाता है। ऐसे लोग भूत-प्रेत व आत्मा आदि शक्तियों को तुरंत ही भांप जाते हैं।
राक्षस गण, यह शब्द जीवन में कई बार सुनने में आता है लेकिन कुछ ही लोग इसका मतलब जानते हैं। यह शब्द सुनते ही मन और मस्तिष्क में एक अजीब सा भय भी उत्पन्न होने लगता है और हमारा मन राक्षस गण वाले लोगों के बारे में कई कल्पनाएं भी करने लगता है। जबकि सच्चाई काफी अलग है। ज्योतिष शास्त्र के आधार पर प्रत्येक मनुष्य को तीन गणों में बांटा गया है। मनुष्य गण, देव गण व राक्षस गण।
कौन सा व्यक्ति किस गण का है यह कुंडली के माध्यम से जाना जा सकता है। मनुष्य गण तथा देव गण वाले लोग सामान्य होते हैं। जबकि राक्षस गण वाले जो लोग होते हैं उनमें एक नैसर्गिक गुण होता है कि यदि उनके आस-पास कोई नकरात्मक शक्ति है तो उन्हें तुरंत इसका अहसास हो जाता है। कई बार इन लोगों को यह शक्तियां दिखाई भी देती हैं लेकिन इसी गण के प्रभाव से इनमें इतनी क्षमता भी आ जाती है कि वे इनसे जल्दी ही भयभीत नहीं होते। राक्षस गण वाले लोग साहसी भी होते हैं तथा विपरीत परिस्थिति में भी घबराते नहीं हैं।हा साघना सिद्दी करने वाले लोग भी ईनको देख सकते या ईन से वात कर सकते है मैने देखा है मन्दिर या कोई घर्म स्थानों मे आत्मा होती है। आओर वुरी आत्मा कावास यहा शराव जुआ या वुरे काम उनको वहा रहने मे तृप्ति मिलती है ।आज ईतना ही आचार्य राजेश
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