बुधवार, 22 अगस्त 2018

जातक ओर देवज्ञ

, एक ज्‍योतिषी के रूप में जब मैं तुम्‍हारे सामने आता हूं तब दैहिक दृष्टिकोण से यह हमारी पहली ही मुलाकात होती है। तुम्‍हें ऐसा लगता होगा कि तुम मुझसे पहली बार मिल रहे हो। मुझे भी कमोबेश पहली मुलाकात में ऐसा ही लगता है। 

हकीकत इससे कुछ जुदा होती है हमारे मिलने से कई क्षणों, मिनटों, घंटों, दिनों, हफ्तों, महीनों या कभी कभार सालों पहले तुमसे मिलने की तैयारी शुरू हो चुकी होती है। तुम्‍हारे साथ बिताए पल कुछ इस तरह होते हैं कि तुम मेरे चेहरे और कुण्‍डली के निर्जीव से खानों पर नजर गड़ाए देखते रहते हो और मैं समय के विस्‍तार में खो जाता हूं। जहां सितारों के संकेत पूरी शिद्दत से तुम्‍हारी कहानी कह रहे होते हैं। समय के फलक पर उन क्षणों में मैं तुम्‍हारे साथ विचरण करता हूं। हां, मैं यह दावा करता हूं कि भूत, वर्तमान और भविष्‍य के बीच समय ने जो पर्दा डाल रखा है, मैं उसके पार देखने जुर्रत करता हूं। मेरे गुरुओं ने मुझे सिखाया कि संकेतों को समझो और खुद को इतना पारदर्शी बनाओ कि जो जातक अपनी समस्‍याएं लेकर आए वह चाहे तो भी तुमसे अपने अतीत को छिपा न सके, ताकि तुम जातक की वर्तमान सुदशा या दुर्दशा का सही आकलन कर सको। हां, मैंने अभ्‍यास किया है, समय के पार झांकने का। मुझे खुद नहीं पता कि संकेत कहां से और कितनी मात्रा में आते हैं, लेकिन जब आते हैं तो इतने स्‍पष्‍ट होते हैं कि मैं खुद आश्‍चर्यचकित रह जाता हूं। मैं उन्‍हें देखकर बोलता हूं और जातक को लगता है जैसे मैं कहीं नेपथ्‍य में लिखे उसके भूतकाल को पढ़कर सुना रहा हूं। संकेतों का विश्‍लेषण और जातक के जीवन की घटनाओं का तारतम्‍य इतना रोचक होता है कि मैं खुद भी मुग्‍ध हो जाता हूं और तुम्‍हें तो मैं आश्‍चर्यचकित होता हुआ देखता हूं।

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