आचार्य राजेश (ज्योतिष,वास्तु , रत्न , तंत्र, और यन्त्र विशेषज्ञ ) जन्म कुंडली के द्वारा , विद्या, कारोबार, विवाह, संतान सुख, विदेश-यात्रा, लाभ-हानि, गृह-क्लेश , गुप्त- शत्रु , कर्ज से मुक्ति, सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक ,पारिवारिक विषयों पर वैदिक व लाल किताबकिताब के उपाय ओर और महाकाली के आशीर्वाद से प्राप्त करें07597718725-०9414481324 नोट रत्नों का हमारा wholesale का कारोबार है असली और लैव टैस्ट रत्न भी मंगवा सकते है
बुधवार, 22 अगस्त 2018
वक्री गुरु
मित्रो कल की पोस्ट से आगे वात करते श्चिक का सप्तम केतु और अष्टम का गुरु वक्री
आपको बता दूँ कि वक्री गुरु उस जीव के सामाजिक व्यवहारिक धार्मिक आदि सभी क्रिया कलापों को बदल कर दिखाने वाला होता है,पिता अगर अपने धर्म को लेकर चलने वाला होता है तो पुत्र जिसका वक्री गुरु होता है वह अपनी भावना मे धर्म को केवल अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिये ही प्रयोग मे लेता है,पिता अगर किसी मन्दिर मे जाकर प्रार्थना करता है कि हे ! प्रभु आपकी शरण मे हूँ,आप ही रक्षा करना,तो पुत्र की कामना होगी कि हे प्रभु ! मेरे अमुक काम को पूरा कर दो,काम पूरा होते ही आपके मन्दिर मे वापस आऊंगा। यह सब केवल उन्ही कारणो के कारण होता है जिनके अन्दर सम्बन्ध और भौतिकता का बोलबाला होना होता है। एक साल मे तीन महिने के समय के लिये लगभग गुरु वक्री होता है और समाज मे एक चौथाई लोग इस वक्री गुरु के समय मे पैदा होकर समाज रिवाज नीति रीति से बिलग होकर चलने के लिये मजबूर होते है और इसी कारण से समाज के अन्दर विकृति भी पैदा होती है,विभिन्न प्रकार के बदलाव भी देखने को मिलते है।
अगर राहु लगन मे बैठ जाये और केतु सप्तम मे वृश्चिक राशि का होकर पुरुष की कुंडली मे हो तथा गुरु वक्री होकर स्वगृही चन्द्रमा के साथ अष्टम मे बैठ जाये तो समझ लेना चाहिये कि कुल का समाप्ति का समय आ गया है। वक्री गुरु अक्सर अपने प्रभाव के कारण जो भी कारण बनायेगा वह समाज नियम कानून आदि की तरफ़ जाने वाला नही होगा,जातक अपने बचपन मे इतना तेज हो जायेगा कि उसे कठिन से कठिन से कारण बहुत जल्दी याद हो जायेंगे जो बालक साल भर मे शिक्षा को पूरा करने मे अपनी बुद्धि को प्रयोग मे लायेगा वक्री गुरु वाला जातक उसी शिक्षा को तीन महिने मे पूरी करने के बाद आगे के क्लास मे जाने की युति बना लेगा। वह जिस जगह पर समाज मे धर्म आठमे पैदा हुआ है वह बाहर के कारणो मे अपने को बहुत ही आगे ले जाने वाला बन जायेगा और विदेशी भाषा संस्कृति तथा केवल शारीरिक सुख धन का सुख और अपने को दिखाने का सुख ही प्राप्त करने मे लगा रहेगा उसे अपने वंश चलाने या अपने कुल को बढाने मे कोई मतलब नही होगा। अगर पत्नी किसी कारण से मर्यादा वाली मिल जाती है तो जातक के सप्तम मे वृश्चिक के केतु के कारण काम सुख से पूर्ण नही हो पायेगी और उसे हिस्टीरिया जैसे रोग पैदा हो जायेंगे.धीरे धीरे जातक अपने पत्नी वाले माहौल से सामाजिक या कानूनी तौर पर दूर होने की कोशिश करेगा और जैसे ही दूर हुआ वह अपने समाज से बहुत दूर चला जायेगा।मित्रो ज्योतिष मेरा profession है ओर वहुँत से मित्र दक्षिणा मांगने पर नाराज हो जाते है मित्रो हम कुंङली पर पुरी मेहनत करते है फिर ही फल कथन करते है ओर आपकी जो समस्या होती है उसका उपाय आपको वताते है अगर आप मुझे कुंङली दिखाना चाहते है तो मिले या online पर भी यह सुविधा ले सकते है maakaali jyotish hanumaangarh or dabwali 07597718725 09414481324 आचार्य राजेशअगर लेख अच्छा लगे तो like करे नही लगे तो कमी जरुर वताऐ
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