आचार्य राजेश (ज्योतिष,वास्तु , रत्न , तंत्र, और यन्त्र विशेषज्ञ ) जन्म कुंडली के द्वारा , विद्या, कारोबार, विवाह, संतान सुख, विदेश-यात्रा, लाभ-हानि, गृह-क्लेश , गुप्त- शत्रु , कर्ज से मुक्ति, सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक ,पारिवारिक विषयों पर वैदिक व लाल किताबकिताब के उपाय ओर और महाकाली के आशीर्वाद से प्राप्त करें07597718725-०9414481324 नोट रत्नों का हमारा wholesale का कारोबार है असली और लैव टैस्ट रत्न भी मंगवा सकते है
बुधवार, 22 अगस्त 2018
कुंडली का चौथा भाव में शुक्र
चौथे घर का सम्बन्ध हमारी उम्र के दूसरे हिस्से से यानी पच्चीस साल की आयु से लेकर पचास साल की आयु तक,इसी हिस्से में हमारे गृहस्थ जीवन और जवानी के समय में हम कहां तक लाभ प्राप्त कर सकते है उसके बारे में भी इस घर से पूरी तरह जाना जा सकता है,यह घर हमारी किस्मत भाग्य से भी संबन्ध रखता है,लेकिन किस्मत के उस हिस्से से जो पूर्वजन्म से हम अपने साथ लाये हैं,यानी किस्मत किस हद तक हमारा साथ देगी इसक संबन्ध भी चौथे घर से है।कुन्ङली के चोथे भाव मे जव शुक्र होता है तो लालकिताव मे हिदायत है कि पती अपनी पत्तनी से दोवारा शादी करे आखीर ऐसा क्यो क्या कारन है यह क्यों कहा जाता है. जब भी कोई ऐसी जन्मपत्री देखने को मिलती है जिसमे जातक की कुंडली मे शुक्र खाना नो 4 में हो तो लाल किताब वाले बिना किसी तार्किक विश्लेषण के और बिना कुछ सोचे तुरंत कहते है की पत्नी से दुबारा शादी कर लो. लाल किताब 1952 पेज नंबर 444 पर लिखा है ” औरते एक ही वक्त में दो जिंदा होंगी,एक बूढी माँ की तरह बढ़ी उम्र की दूसरी ऐश आराम की मालिक हरफन मौला ज़माना की बेगम होगी,मगर औलाद की फिर भी किल्लत ही होगी,बल्कि लावल्दी तक जायज़ होगी.यहाँ पर शर्त यह की खाना नंबर 2 – 7 खाली हो और शुक्र किसी दुसरे गृह का साथी गृह न बन रहा हो”.
अब इसका क्या उपाय किया जाये कि दो औरते न हो या दुबारा शादी न हो तो इसके लिए भी लाल किताब के पेज नंबर 443/1952 पर लिखा है कि पहली ही औरत से पहला मर्द दो दफा शादी की रसम अदा कर ले तो शुकर की दो औरत होने की शर्त न रहेगी और औलाद ज़ल्दी होगी.
तर्क का विषय यह है की ऐसा क्यों लिखा है दो औरते हो सकती है या दुबारा शादी हो सकती है,इसके लिए सबसे पहले खाना नंबर 4 को देखते है की यह खाना असल में है किसका. खाना नंबर 4 असल में चंद्र का है,इस घर पर हर तरह से चन्द्र का ही हक है,और चन्द्र असल में माता है,और अब यहाँ पर शुक्र आ गया है,जिस जातक की भी कुंडली में शुक्र खाना नंबर 4 में है वो देखे की उनकी पत्नी उन् पर माँ की तरह ही अधिकार जमाती है.असल में उस ने शादी तो पत्नी के लिए की है लेकिन आ गयी घर में माँ.उसकी पत्नी उसका हर समय धयान रखती है,जो की बुरी बात नहीं,लेकिन ध्यान व रख रखाव का तरीका जो है वो है एक माँ की तरह,जैसे ही यह व्यक्ति घर से निकलता है,खाने का डिब्बा त्यार मिलता है,खाना अभी खाया नहीं की दफ्तर में फ़ोन आ गया की खाना खा लिया क्या ?जैसे एक माँ को अपने बेटे की चिंता रहती है वैसे ही इसकी पत्नी को अपने पति की चिंता है.अब जन्म देने वाली माँ और पत्नी जिसने माँ की जगह ले ली आपस में वर्चस्व कि लड़ाई लड़ रही है कि इस पर मेरा अधिकार अधिक है न कि माँ का और माँ अपने बेटे पर अधिकार चाह रही है क्योकि वह मेरी संतान है |यही कारण घर में क्लेश उत्पन्न करदेता है सास बहु का अपनत्व खत्म और झगडा शुरू जैसे दो सौतन हों |
अब ज़रा दूसरी तरह से इस पर दृष्टि डालते है कि अगर ऐसे जातक की माँ न हो तो क्या हो अब पत्नी को घर की चिंता है,रिश्तेदारों की चिंता है.पति के लिए पत्नी के पास वक़्त ही नहीं है ,अब यहाँ पर पति और पत्नी का झगडा शुरू हो गया है,जब पत्नी अपने पति को प्यार के लिए समय ही नहीं देगी तो ऐसे समय में पति का भटक जाना कोई बड़ी बात नहीं,पत्नी को पता चल जाये तो क्लेश ,बात फिर एक दुसरे से अलग हो जाने तक पहुँच जाती है. मतलब साफ़ है की शुकर 4 वाला घर में अपनी पत्नी को ब्याह कर नहीं लता बल्कि अपनी माँ को अपने घर लाता है,विवाह का मुख्य उदेश्य संतान कि प्राप्ति है जब माँ लेकर आया है तो संतान किसे पैदा होगी| और संतान कोई अपनी माँ से तो नही पैदा करेगा करेगा तो पत्नी से ही |पत्नी तो प्यार दे नहीं रही,बल्कि वो तो पति का धयान एक बच्चे की तरह रख रही है.पति प्यार के लिए बाहर भटक रहा है.
अब कुछ लालकिताब का बेडागर्क करने वाले ज्योतिषी जो उपाय सूझाते है वो है कि ऐसा व्यक्ति अपनी पत्नी से दुबारा शादी कर ले,लेकिन शादी कैसे करनी है? अक्सर देखा जाता कि ऐसी शादी को मजाक के तौर पर लिया जाता है,लेकिन अगर हम लाल किताब को ध्यान से पढ़े तो यह समझ आता है की शादी को पूरी विधि से किया जाये तभी इसका सही फल मिल सकता है वर्ना नहीं. क्योंकि साफ साफ लिखा है कि शादी की पूरी रसम अदा करनी है न कि अपनी शादी की परम्परा का कोई मजाक बनाना है.इसके साथ एक सावधानी और है कि जैसे ही दुबारा शादी की जाये,तुरंत ही अपनी पत्नी का नाम बदल दें.तभी दूसरी शादी का फल मिलेगा,वर्ना नहीं.
अब आपकी पत्नी के दो नाम हो गए,एक तो वो जो आपकी माँ की तरह है,दूसरा नाम आपकी पत्नी का है,जो आपको पत्नी का प्यार दे.जिस से आपके घर में औलाद आ सके. अब फिर चलते है लाल किताब 1952 पेज नंबर 443 जैसा कि पहले लिखा गया है कि दूसरी शादी करने से औलाद की किल्लत दूर होगी.अगर इतना करने से आपका घर परिवार बच है तो में नहीं समझता की इस में कोई नुकसान है,इन्सान किस लिए इतनी मेहनत करता है,क्यों इतनी भागदौड़ लगी हुई है,अगर इस से या इतना करने घर परिवार बच जाये तो फिर और क्या चाहिए,लाल किताब आपको सही रास्ता दिखाती है
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