मित्रों आज नवम भाव के बारे में चर्चा करेंगे के यह भाव धरम का और भाग्य का माना जाता हैनवम भाव किस्मत का है | यहाँ बैठे ग्रह आपके भाग्य को बहुत हद तक प्रभावित करते हैं |
यदि यहाँ कोई भी ग्रह न हो तो भी यहाँ स्थित राशी के स्वामी को देखा जाता है | नवम भाव भाग्य का और दशम भाव कर्म का है | जब इन दोनों स्थानों के ग्रह आपस में किसी भी प्रकार का सम्बन्ध रखते हैं तब राजयोग की उत्पत्ति होती है | राजयोग में साधारण स्थिति में व्यक्ति सरकारी नौकरी प्राप्त करता है | नवम और दशम भाव का आपस में जितना गहरा सम्बन्ध होगा उतना ही अधिक बड़ा राज व्यक्ति भोगेगा | मंत्री, राजनेता, अध्यक्ष आदि राजनीतिक व्यक्तियों की कुंडली में यह योग होना स्वाभाविक ही है |जन्मकुंडली का नौवां घर सर्वाधिक शुभ घरों में गिना जाता है | इस घर का अपना विशेष महत्व है | मैंने जीवन में इस घर का प्रभाव स्वयं अनुभव करके देखा है | अक्सर हम राजयोग के बारे में बात करते हैं | हर व्यक्ति की कुंडली में राजयोग और दरिद्र योग मिल जायेंगे | हर योग की कुछ समय अवधि रहती है | दो तीन साल से लेकर पांच छह साल तक ही ये योग प्रभावशाली रहते हैं | जिस राजयोग के विषय में मैं सोच रहा हूँ अलग है नवम भाव से बनने वाला योग पूरे जीवन में प्रभाव कारी रहता है |
कुछ लोगों को आगे बढ़ने के अवसर ही नहीं मिल पाते और कुछ लोग अवसर मिलते ही बहुत दूर निकल जाते हैं | बदकिस्मती जो जीवन बदल दे इसी घर की देन होती है | खुशकिस्मती जो अगली पीढ़ियों के लिए भी रास्ता साफ़ कर दे नवम भाव का प्रबल होना दर्शाती है |
मनपसंद जीवनसाथी पाने की आस में पूरा जीवन गुजर जाता है उसके साथ जिसे कभी पसंद किया ही नहीं | जिन्दगी के साथ समझौता कर लेना या यह मान लेना कि यही नसीब था इन घटनाओं के लिए नवम भाव ही उत्तरदायी है
आस लगाकर बैठे हजारों हजार लोग भाग्य के पीछे भागते रहते हैं और यह भी सच है कि इस दौड़ में हम सब हैं | प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हर कोई भाग्य की और देख रहा है | किस्मत का यह ताना बाना अपने आप में विचित्र है | भाग्य को समझ पाना आसान नहीं परन्तु जन्मकुंडली के द्वारा एक कोशिश की जा सकती है इसे लाल किताब में किस्मत की कहानी कहते हैं. इस घर का स्वामी और कारक दोनों ही बृहस्पति हैं. लाल किताब में इस स्थान को गुरू की गद्दी कहा गया है. नौंवा घर कर्मों का विशाल सागर कहा गया हैदेव गुरु वृहस्पति जो के समस्त सुखों का कारक है और हमें यही सन्देश देता है के हमें मानवता का धर्म अपनाते हुए ही करमरत रहना चाहिए क्यों की चाहे इस संसार में आदमी ने कितने धरम बनाये हैं वो अपनी व्यक्तिगत सोच और परम्परा के अनुसार बनाये जाते हैं पर कल्पुरुख लग्न के रूप में ईश्वर ने सिर्फ एक ही धरम बनाया जो की सिर्फ मानवता ही है वैसे भी धरम का मतलब होता है धारण करना यानी आप किसी विचार को धारण करते हैं और उसके बनाये नियम में चलते हैं ये सब कुछ तभी बनाये गए क्यों की यह संसार विविद्ध संस्कृतियों के मेल जोल से बनता है और हम एक दुसरे का आदर करते हुए सबसे कुछ न कुछ सीखते रहते हैं पर इस चीज़ को न भूलते हुए के इश्वर को सिर्फ और सिर्फ मानवता का ही धरम अच्छा लगता है तभी जब काल्पुरुख कुंडली की ब्रह्मा ने कल्पना की होगी तो शुक्र रुपी भौतिकता का ख्याल ना आते हुए आध्यात्मिक देव गुरु वृहस्पति को ही इस पदवी का हक़दार बनाया गया क्यों की तमाम धरम ग्रंथों व गीता का भी अंत का सन्देश सिर्फ मोक्ष को ही माना गया जिसका सन्देश योगेश्वर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था और इस पर निरर्थक वादविवाद से कोई फायदा नहीं क्यों की मोक्ष का कांसेप्ट बहुत गहरा है जो हर किसी के बस की बात नहीं !. नवम घर और दूसरे घर के मध्य एक गहरा संबंध होता है. जब नौंवा घर सोया हुआ हो तो दूसरे घर के माध्यम से उसे जगाया जा सकता है. पर इस स्थित के लिए तिसरे घर और पांचवें घर को खाली होना चाहिए.
सोया हुआ ग्रह जब नौवें घर में आता है तो वह जाग उठता है और अपने भाग्य से संबंधित फलों को देने की कोशिश करता है. ऎसी स्थिति में सूर्य और चंद्रमा सदैव शुभ फल देने वाले बनते हैं. राहु केतु भी बुरा प्रभाव नहीं देते इस घर के बुरे प्रभावों से बचने के लिए नौवें घर के ग्रहों की वस्तुओं को माथे से लगाना चाहिए.
जड़ बुनियाद ग्रह 9 होता किस्मत का आगाज भी है
घर दूजे पर बरिश करता समुद्र भरा ब्रह्माण भी है
नवम में स्थित ग्रह को भाग्योदय करने वाला ग्रह माना जाता है. इसे ही ब्रह्माण का समुद्र भी कहते हैं इसलिए जब यहां से घटाएं उठती हैं तो दूसरे घर अर्थात धन स्थान में वर्षा करती है उसे ही सुख समृद्धि देने की कोशिश करती हैं.
घर तीजे का असर हो पहले बाद मिला घर पांच का हो
कुंडली मकान मरकज गिनते हाकिम गिना सभी ग्रह का हो
अगर लाल किताब कुण्डली में तीसरा घर और पांचवां घर खाली हो तो
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